पेरिस पैरालंपिक 2024 में पुरुषों के भाला फेंक F41 वर्ग में नवदीप सिंह ने जीता स्वर्ण पदक

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पेरिस पैरालंपिक 2024 में पुरुषों के भाला फेंक F41 वर्ग में नवदीप सिंह ने जीता स्वर्ण पदक

पेरिस पैरालंपिक 2024 में पुरुषों के भाला फेंक F41 वर्ग में नवदीप सिंह ने जीता स्वर्ण पदक

  • सुशीला गोस्वामी
  • 10 सितंबर 2024
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पेरिस पैरालंपिक 2024 में नवदीप सिंह का स्वर्णिम सफर

हरियाणा के 23 वर्षीय नवदीप सिंह ने पेरिस पैरालंपिक 2024 में अपनी चोटी की प्रदर्शन से इतिहास रच दिया। पुरुषों के F41 वर्ग के भाला फेंक प्रतियोगिता में नवदीप ने स्वर्ण पदक हासिल करने के साथ-साथ नया पैरालंपिक रिकॉर्ड भी बनाया। नवदीप की यह सफलता तब और भी खास हो गई जब ईरान के सादेग बीत सयाह के द्वारा बार-बार आपत्तिजनक झंडा प्रदर्शन के कारण उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया।

नवदीप की सफलता की संघर्षपूर्ण कहानी

नवदीप की यह उपलब्धि केवल एक स्वर्ण पदक जीतने की कहानी नहीं है, बल्कि उनके संघर्ष, उनके जज्बे और समाजिक बाधाओं को पार करने की प्रेरणादायी दास्तान भी है। नवदीप ने 47.32 मीटर की दूरी तक भाला फेंककर नया पैरालंपिक रिकॉर्ड कायम किया, जबकि पिछला रिकॉर्ड 47.13 मीटर का था जो चीन के सन पेंगज़ियांग ने टोक्यो 2020 पैरालंपिक में बनाया था।

नवदीप ने पहले रजत पदक हासिल किया था, लेकिन सादेग बीत सयाह के अयोग्य घोषित होने के बाद उन्हें स्वर्ण पदक दे दिया गया। अब सन पेंगज़ियांग ने 44.72 मीटर के साथ सिल्वर मेडल जीता, जबकि ईराक के वाइल्डन नुखैला वी ने 40.46 मीटर के साथ कांस्य पदक हासिल किया।

समाजिक चुनौतियों और समर्थन

इस स्वर्ण पदक तक पहुंचने का नवदीप का सफर चुनौतियों से भरा रहा। उन्हें न केवल अपने शारीरिक विकार के प्रति समाजिक तानों का सामना करना पड़ा, बल्कि 2020 टोक्यो पैरालंपिक्स और 2022 एशियन पैरा गेम्स में चौथे स्थान पर रह कर निराशा भी झेलनी पड़ी। हालांकि, उन्होंने अपने जज्बे को बरकरार रखा और 2024 विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतकर अपनी क्षमता को साबित किया।

नवदीप ने अपनी जीत का श्रेय अपने कोच नवल सिंह को दिया, जिन्होंने उन्हें सात सालों तक प्रशिक्षण दिया। उनके कोच ने उन्हें नीरज चोपड़ा जैसी तकनीक सिखाई, जिसमें भाला छोड़ने के ठीक पहले एक "फॉलिंग" हरकत होती है, जिससे भाले को अधिक ताकत मिलती है।

भारत के लिए गर्व का क्षण

भारत के लिए गर्व का क्षण

नवदीप सिंह की यह जीत भारत के लिए गर्व का क्षण है। यह पुरुषों के F41 वर्ग के भाला फेंक में भारत का पहला स्वर्ण पदक है और यह जीत पेरिस पैरालंपिक में भारत की पदक तालिका में एक महत्वपूर्ण योगदान है। नवदीप की सफलता उनके पहले के नाकामियों का प्रतिकार करते हुए उन्हें शीर्ष पैरा एथलीट की श्रेणी में लेकर आती है।

इस अद्वितीय सफलता की प्रेरणादायी कहानी युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणादायक है और यह दिखाती है कि संघर्षों के बावजूद अगर सही दिशा और मेहनत हो तो किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।

निष्कर्ष

नवदीप सिंह का सफर और उनकी सफलता बताती है कि सपनों को साकार करने के लिए कठिन परिश्रम और सही मार्गदर्शन कितना महत्वपूर्ण होता है। उनकी इस विजयगाथा से न केवल पैरालंपिक खिलाड़ियों को, बल्कि सभी युवाओं को प्रेरणा मिलेगी। भारत को नवदीप पर गर्व है और उनकी यह ऐतिहासिक जीत युगों तक याद रखी जाएगी।

लेखक के बारे में
सुशीला गोस्वामी

सुशीला गोस्वामी

लेखक

मैं एक न्यूज विशेषज्ञ हूँ और मैं दैनिक समाचार भारत के बारे में लिखना पसंद करती हूँ। मेरे लेखन में सत्यता और ताजगी को प्रमुखता मिलती है। जनता को महत्वपूर्ण जानकारी देने का मेरा प्रयास रहता है।

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