पोप फ्रांसिस की LGBTQ+ समुदाय पर टिप्पणियों की गूंज और माफी: एक जटिल मुद्दा

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पोप फ्रांसिस की LGBTQ+ समुदाय पर टिप्पणियों की गूंज और माफी: एक जटिल मुद्दा

पोप फ्रांसिस की LGBTQ+ समुदाय पर टिप्पणियों की गूंज और माफी: एक जटिल मुद्दा

  • सुशीला गोस्वामी
  • 29 मई 2024
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पोस्ट फ्रांसिस की LGBTQ+ समुदाय पर टिप्पणी: विवाद और माफी

इस सप्ताह की शुरुआत में पोस्ट फ्रांसिस ने समलैंगिक पुरुषों के संदर्भ में अपने द्वारा उपयोग किए गए एक गलत शब्द के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगी। उन्होंने यह माफी उस समय मांगी जब उन्होंने कैथोलिक चर्च की समलैंगिकता पर दृष्टिकोण की जटिलताओं को स्वीकार किया। हालांकि उनकी टिप्पणी ने कई लोगों को आहत किया, परन्तु उनका उद्देश्य LGBTQ+ कैथोलिक समुदाय के प्रति चर्च के दृष्टिकोण को सहानुभूतिपूर्ण बनाने का था।

पोस्ट फ्रांसिस के 11 साल लंबे कार्यकाल में, उन्होंने बार-बार ऐसे वक्तव्य दिए हैं जो यह दर्शाते हैं कि वह LGBTQ+ समुदाय के साथ सहानुभूति रखते हैं। उन्होंने 2013 में अपने चर्चाध्यक्ष के पद पर अपना शब्द 'Who am I to judge?' कहकर साबित किया कि वह हर व्यक्ति के प्रति समानता और सम्मान का समर्थन करते हैं। 2018 में उन्होंने एक समलैंगिक व्यक्ति को कहा, 'भगवान ने तुम्हें ऐसा बनाया है और वह तुमसे प्यार करते हैं,' जिससे उनकी सोच और भी स्पष्ट हो गई।

2023 में उन्होंने कहा, 'समलैंगिक होना अपराध नहीं है,' हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कैथोलिक नैतिक शिक्षाओं के अनुसार यह एक पाप है। इस प्रकार की द्विअर्थक टिप्पणियाँ उनके उद्धृतियों का हिस्सा रही हैं, जिन्हें अत्यधिक महत्वपूर्ण भी माना जाता है।

समलैंगिकता पर कैथोलिक चर्च का दृष्टिकोण

कैथोलिक चर्च समलैंगिक व्यक्तियों को गरिमा और सम्मान का अधिकार देता है, परंतु समलैंगिक गतिविधियों को 'आंतरिक रूप से विकृत' मानता है। इनके बीच के इस अंतर को समझने के लिए पोस्ट फ्रांसिस की टिप्पणियों का विश्लेषण करना बेहद जरूरी है। 2023 में उन्होंने विश्व युवा दिवस में समग्रता के लिए एक नारा भी दिया, जो LGBTQ+ समुदाय के प्रति चर्च की स्वीकार्यता को बढ़ाता है।

अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं में समलैंगिक जोड़ों के लिए आशीर्वाद की मंजूरी, और ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को बपतिस्मा और गॉडपेरेंट्स के रूप में सेवा करने की अनुमति देना शामिल है।

समलैंगिक पुरुषों के संदर्भ में अपमानजनक शब्द का उपयोग

हाल ही में, पोस्ट फ्रांसिस ने 'फैगोटनेस' शब्द का उपयोग किया, जिससे बहुत विवाद उत्पन्न हुआ। उन्होंने सेमिनरी में इस संदर्भ में इसका उपयोग किया था और बाद में इसे 'गंभीर त्रुटि' कहते हुए माफी मांगी। यह स्पष्ट करता है कि चर्च समलैंगिक पादरियों पर प्रतिबंध लगाना जारी रखता है।

यह मामला दर्शाता है कि कैथोलिक चर्च के अंदर इस मुद्दे पर सतत बातचीत और बहस चल रही है। पहचाने गए संघर्ष और जटिलताओं के बावजूद, कुछ लोग पोस्ट फ्रांसिस की भावनात्मक ईमानदारी और सहानुभूति को सराहते हैं।

माफी और आगे का रास्ता

पोस्ट फ्रांसिस की माफी और उसके बाद के कदम यह दर्शाते हैं कि चर्च के अंदर इस मुद्दे पर एक बदलाव की हवा है। हालांकि चर्च के सिद्धांतों में कोई बड़ा परिवर्तन नहीं हुआ है, परंतु सहानुभूति और समावेशिता के संकेत स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं।

समय के साथ, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह रुख बदलता है या नहीं। पोस्ट फ्रांसिस ने यह माफी देते समय यह स्वीकार किया कि उनके शब्दों ने कैसे लोगों को आहत किया। यह उदाहरण हमें सिखाता है कि किस प्रकार हम अपने शब्दों के प्रभाव को समझ सकते हैं और उनसे सीख सकते हैं।

भविष्य में, LGBTQ+ समुदाय और कैथोलिक चर्च के बीच संबंध किस दिशा में बढ़ते हैं, यह भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण सवाल है। पोस्ट फ्रांसिस की इच्छा इस संबंध को सुधारने और समावेशिता को बढ़ावा देने की रही है, और यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह दृष्टिकोण किस हद तक सफल होता है।

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सुशीला गोस्वामी

सुशीला गोस्वामी

लेखक

मैं एक न्यूज विशेषज्ञ हूँ और मैं दैनिक समाचार भारत के बारे में लिखना पसंद करती हूँ। मेरे लेखन में सत्यता और ताजगी को प्रमुखता मिलती है। जनता को महत्वपूर्ण जानकारी देने का मेरा प्रयास रहता है।

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