अगर आप छात्र राजनीति में दिलचस्पी रखते हैं तो NSUI (नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया) के अपडेट खोना नहीं चाहते। इस टैग पेज पर हम भारत के सबसे बड़े छात्र संघ की ताज़ा खबरें, कार्यक्रम, और विश्लेषण एक जगह इकट्ठा करके लाते हैं। यहाँ आपको मीटिंग रिपोर्ट, ग्रेजुएट स्टूडेंट्स की मांगें, और नेताओं के बयानों की आसान भाषा में समझ मिलती है।
पिछले महीने दिल्ली विश्वविद्यालय में NSUI ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) पर एक स्टूडेंट फोरम आयोजित किया। इस फोरम में 500 से अधिक छात्र‑छात्राओं ने भाग लेकर सरकारी नीति पर सवाल उठाए और सुधार की माँग की। फोरम के मुख्य बिंदु थे – ऑनलाइन शिक्षा की गुणवत्ता, कॉर्नर स्टूडेंट रूम की सुविधा, और रोजगार के लिए स्किल ट्रेनिंग। अध्यक्ष ने कहा, "हमारी आवाज़ को सरकार तक पहुंचाना हमारा प्राथमिक लक्ष्य है।"
इसके अलावा, कोलकाता में एक प्रो-टेस्टिंग कैंपेन चलाया गया जहाँ NSUI ने परीक्षा‑दबाव से जूझ रहे छात्रों को मिंटल सपोर्ट ग्रुप्स की मदद से मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूक किया। यह पहल छात्रों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रही है और कई कॉलेजों ने इसे अपना बना लिया है।
NSUI हमेशा से पार्टी‑संबंधी राजनीति में उलझा रहा है। हाल ही में कुछ राज्य इकाइयों में नेतृत्व चुनाव हुए और नई पीढ़ी के नेताओं ने पुराने कॅड्र को चुनौती दी। इस बदलाव से विद्यार्थियों की अपेक्षाएँ साफ़ दिखाई देती हैं – अधिक पारदर्शिता, तेज़ निर्णय‑लेना, और स्थानीय स्तर पर समस्याओं का समाधान।
आगे के कुछ महीनों में NSUI कई राज्यों में छात्र हॉल का निर्माण, मुफ्त Wi‑Fi व्यवस्था, और स्कॉलरशिप की मांग को लेकर एंगेजमेंट सत्र करेगा। अगर ये एंगेजमेंट सफल होते हैं तो छात्र समुदाय में NSUI की भरोसेमंद छवि बन सकती है।
परन्तु चुनौती भी बड़ी है। कई कॉलेज में प्रशासनिक प्रतिबंध, बजट की कमी, और कभी‑कभी राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों की नकारात्मक प्रचार रणनीतियाँ NSUI के काम को जटिल बनाती हैं। इसलिए, सदस्यों को लगातार अपने थिम्स को स्पष्ट रखना और सोशल मीडिया पर सक्रिय रहकर समर्थन जुटाना जरूरी है।
अंत में, अगर आप NSUI की गतिविधियों को फॉलो करना चाहते हैं, तो इस टैग पेज पर नियमित रूप से नई पोस्ट पढ़ें। हर लेख में हम सरल भाषा में आप तक महत्वपूर्ण जानकारी पहुँचा रहे हैं, ताकि आप छात्र राजनीति की धड़कन के करीब रह सकें।
दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ (DUSU) चुनाव 2025 में एबीवीपी ने राष्ट्रपति, सचिव और संयुक्त सचिव पद जीतकर बढ़त बना ली, जबकि एनएसयूआई को केवल उपाध्यक्ष पद मिला। कुल मतदान लगभग 40% रहा। आर्यन मान ने 16,196 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की। यह नतीजे 2024 के उलट हैं जब एनएसयूआई ने राष्ट्रपति पद जीता था। (आगे पढ़ें)