ऋद्धिमान साहा की लंबी और प्रतिष्ठित क्रिकेट यात्रा
फरवरी 1, 2025 को, भारतीय क्रिकेट के अनुभवी विकेटकीपर-बल्लेबाज ऋद्धिमान साहा ने क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास की घोषणा की। इस घोषणा के साथ, क्रिकेट के हर कोने में प्रशंसा और समर्पण की भावना उनके प्रशंसकों, साथियों और विशेषज्ञों के बीच देखने को मिली। साहा का करियर 28 वर्षों तक फैला, जिसमें उन्होंने कई अविस्मरणीय क्षणों का हिस्सा रहे। उन्होंने अपने अंतिम रणजी ट्रॉफी मैच में बंगाल के लिए पंजाब के खिलाफ खेला, जहां उनका सफर समाप्त हुआ, लेकिन उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता।
साहा का क्रिकेट करियर: एक अवलोकन
ऋद्धिमान साहा ने 1997 में अपनी रणजी ट्रॉफी की शुरुआत से एक शानदार क्रिकेट सफर की शुरुआत की थी। भारतीय टीम के लिए उनकी अंतरराष्ट्रीय यात्रा 2010 में शुरू हुई, जब उन्होंने अपना पहला मैच खेला। उनका चयन उनकी खास विकेटकीपिंग और कठिन परिस्थितियों में बल्लेबाजी करने की क्षमता के कारण हुआ। 2014 में एमएस धोनी के टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद, साहा ने भारतीय विकेटकीपर के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। टेस्ट क्रिकेट में उनकी भूमिका तब और भी बढ़ गई जब उन्होंने नई चुनौतियों का सामना किया और विकट परिस्थितियों में टीम की नैया पार लगाई।
उन्होंने कुल 49 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले, जिसमें 40 टेस्ट और 9 वनडे शामिल थे। इसके अलावा, प्रथम श्रेणी क्रिकेट में उन्होंने 142 और लिस्ट ए क्रिकेट में 116 मैच खेले। ये आँकड़े उनके व्यापक अनुभव और भारतीय क्रिकेट में उनके योगदान का प्रमाण हैं।
साहा की विदाई और प्रशंसा
अपने विदाई संदेश में, साहा ने सोशल मीडिया पर भावनात्मक पोस्ट साझा किया, जिसमें उन्होंने क्रिकेट को अपने जीवन में लाए खुशियों, जीतों और अमूल्य अनुभवों के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने अपने परिवार, क्रिकेट प्रशासकों और प्रशंसकों के प्रति उनकी अपार समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया। साहा का कहना था कि क्रिकेट में बिताए वर्षों ने उन्हें बहुत कुछ सिखाया और एक बेहतर व्यक्ति बनने में मदद की।
अंतिम मैच में साहा बिना खाता खोले पवेलियन लौटे, लेकिन टीम ने अद्वितीय प्रदर्शन के साथ पंजाब को पारी और 13 रन से हराया। उनके इस विदाई मैच को उनके टीम के साथी और प्रशिक्षकों द्वारा विशेष बनाया गया। मैच के बाद टीम के साथियों ने उन्हें कंधों पर उठा कर उनकी योगदान की सराहना की, जो उनके विदाई का एक अनमोल क्षण था।
भारतीय क्रिकेट के लिए साहा का योगदान
ऋद्धिमान साहा का अंतरराष्ट्रीय करियर टेस्ट क्रिकेट के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण था। उनके विकेटकीपिंग कौशल और जबरदस्त श्रमशीलता के कारण टीम को कई निकट मैचों में जीत हासिल करने में मदद मिली। 2014 से साहा ने टेस्ट टीम में अपनी जगह बनाई और महत्वपूर्ण पारी खेल कर टीम के असंभव सझ में सफलता हासिल की। उनके संयमित और स्थिर प्रदर्शन ने उन्हें खेल के आलोचकों और प्रशंसकों के बीच एक प्रतिष्ठित खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया।
जहां एक ओर साहा मैदान पर अपनी अधिकतम शक्ति के साथ खेलते थे, वहीं दूसरी ओर उन्होंने ड्रेसिंग रूम में भी टीम के युवाओं के लिए मेंटर के रूप में अनमोल भूमिका निभाई। उनके अनुभव और खेल के प्रति समर्पण ने अधिकतर युवा खिलाड़ियों को प्रेरित किया और यही उनकी सबसे बड़ी विशेषता रही।
ऋद्धिमान साहा की विरासत
साहा की सेवानिवृत्ति भारतीय क्रिकेट के लिए एक युग का अंत है। उनकी दृढ़ता, अनुशासन और समर्पण ने कई खिलाड़ियों को प्रेरणा दी है। ऋद्धिमान साहा के खेल के प्रति अटूट समर्पण ने उन्हें क्रिकेट प्रशंसकों के दिलों में खास जगह दिलाई है। उनकी विरासत न केवल उनकी रिकॉर्ड्स में बल्कि उनके अद्वितीय प्रदर्शन और अदम उदास साहस में दिखाई देती है। साहा की कहानी संघर्ष की है, यह कहानी साहस की है और यह कहानी आज के युवाओं के लिए प्रेरणा है।
ऋद्धिमान साहा ने जो किया, वो केवल क्रिकेट नहीं, बल्कि एक जीवन दर्शन था। उनकी टेस्ट मैचों में लगी जुनून, विकेटकीपिंग की सटीकता, और ड्रेसिंग रूम में युवाओं के साथ बैठकर बात करने का अंदाज़-ये सब असली लीडरशिप है। आज के खिलाड़ी जल्दी फेमस होना चाहते हैं, लेकिन साहा ने धीरे-धीरे, लगातार, और निस्वार्थ तरीके से अपनी जगह बनाई। उनकी विरासत कभी नहीं मिटेगी।
संन्यास एक अंत नहीं, बल्कि एक नए चक्र की शुरुआत है।
yaar kya baat hai saha ne toh bas ek match khela aur chale gaye?? koi record nhi banaya kya?? sab kuchh toh dhoni ne kiya tha na??
OMG 🤯 Saha ka retirement ek national tragedy hai 😭😭😭 I mean seriously, who’s gonna catch those edge shots now?? 😭💔 40 Tests?? Bro, that’s like 40 soul-crushing battles in the trenches!! 🏏🔥 He didn’t just keep wickets-he held the entire Indian team together during the darkest hours!! 🙌🇮🇳 #SahaLegend #NeverForget
He never sought the spotlight but always showed up when it mattered. That’s rare.
क्या कभी किसी ने ये देखा है कि साहा ने 2011 वनडे वर्ल्ड कप के दौरान ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एक बाउंसर को बिना ग्लव्स के रोक लिया था? वो लगा था जैसे वो बैट नहीं, एक शील्ड हो। उनकी रिफ्लेक्सेस और अप्रत्याशित बल्लेबाजी ने कई मैच बचाए। लोग टेस्ट में उन्हें नहीं जानते, लेकिन जो जानते हैं, वो उन्हें असली गॉड बोलते हैं।
मैंने उन्हें 2008 में बंगाल के लिए खेलते देखा था... उस दिन बारिश हो रही थी, मैदान गीला था, और उन्होंने एक लो-बाउंसर को एक नजर में पकड़ लिया। उस लम्हे के बाद मैंने क्रिकेट को बदल दिया।
अरे भाई, ये साहा कौन है? धोनी के बाद तो बहुत बेहतर विकेटकीपर आ गए हैं। ये लोग अपने जमाने के लिए रो रहे हैं। आज का युवा खिलाड़ी तो जल्दी आउट हो जाता है तो भी शॉट लगाता है। साहा तो बस बैठे रहते थे।
जब मैंने पहली बार साहा को खेलते देखा, तो मैं बस एक छोटी लड़की थी, और मेरे पापा ने मुझे बताया कि ये आदमी अपने हाथों से खेल को बचाता है। उस दिन से मैंने ये समझ लिया कि क्रिकेट में जीतना नहीं, बल्कि खेलना ही असली जीत है। उन्होंने मुझे बताया कि असफलता भी एक रास्ता हो सकती है, बस उसे अपने तरीके से जीना होगा। आज मैं एक कोच हूँ, और हर बच्चे को उनकी कहानी सुनाती हूँ। उनकी आत्मा अभी भी मैदान पर खेल रही है।
so what he retired? big deal... i mean come on, he was never even the main guy... dhoni was the real king... and now everyone is acting like he was shiva or something 😴
He didn’t need applause to be great.
It is with profound solemnity that one must acknowledge the cessation of Mr. Saha’s professional engagement with the sport of cricket, an act which, while personally laudable, may be interpreted as emblematic of a broader decline in the institutional reverence for sustained excellence in the domain of Indian athletics.
मैंने उन्हें 2012 में विशाखापत्तनम में खेलते देखा था, वो तब भी बहुत थक चुके थे लेकिन फिर भी दूसरी पारी में 80 रन बनाए थे, जब टीम 50 पर थी। उस दिन उन्होंने मुझे सिखाया कि लगन क्या होती है। मैं अब एक डॉक्टर हूँ, लेकिन जब भी थक जाती हूँ, मैं उनकी तस्वीर देख लेती हूँ।
bro sesh was like the ultimate vibes guy-no flexing, no drama, just pure grind. he was the silent OG who made the team feel safe. like when you’re in a group project and someone just quietly does all the work without taking credit? yeah. that was him. and now the team’s missing that energy. we need more sahas, not more influencers.
Wait... is it possible... that this retirement was orchestrated by some hidden cricket syndicate to make room for a new generation of players who are actually controlled by... satellite signals? I’ve noticed all the new wicketkeepers have the exact same stance... and they never blink during close catches... what if they’re not human??