वाराणसी में पीएम मोदी करेंगे 30,000 कृषि सखियों को प्रमाण पत्र वितरित

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वाराणसी में पीएम मोदी करेंगे 30,000 कृषि सखियों को प्रमाण पत्र वितरित

वाराणसी में पीएम मोदी करेंगे 30,000 कृषि सखियों को प्रमाण पत्र वितरित

  • Ratna Muslimah
  • 18 जून 2024
  • 17

वाराणसी में कृषि सखियों का महाअभियान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी में एक महत्वपूर्ण पहल के तहत 30,000 से अधिक स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों को 'कृषि सखियों' के रूप में प्रमाण पत्र प्रदान करेंगे। यह सरकारी योजना, जिसे 'लाखपति दीदी' कहा जाता है, ग्रामीण भारत में महिलाओं को सशक्त बनाने के उद्देश्य से चलाई जा रही है। यह पहल ग्रामीण महिलाओं को कृषि क्षेत्र में परा-विस्तार कार्यकर्ता बनने के लिए प्रशिक्षित और प्रमाणित करने पर केंद्रित है।

कृषि सखी कौन हैं?

कृषि सखी वे महिलाएं हैं जो सरकार की इस योजना के तहत विभिन्न कृषि तकनीकों में प्रशिक्षण प्राप्त करती हैं। इन्हें समुदाय का विश्वसनीय संसाधन व्यक्ति माना जाता है। ये महिलाएं खुद अनुभवी किसान होती हैं और उन्होंने 56 दिनों के प्रशिक्षण में विभिन्न कृषि गतिविधियों जैसे कि कृषि पारिस्थितिकी प्रक्रिया, बीज बैंक, मृदा स्वास्थ्य, एकीकृत खेती प्रणाली और पशुपालन को समझा है।

प्रशिक्षण और रोजगार के जरिए सशक्तिकरण

प्रशिक्षण के बाद, कृषि सखियों को एक प्रोफिसिएंसी टेस्ट देना होता है। जो महिलाएं इस टेस्ट को पास करती हैं, उन्हें परा-विस्तार कार्यकर्ता के रूप में प्रमाणित किया जाता है। इसके बाद ये महिलाएं कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय (MoA&FW) की विभिन्न योजनाओं के तहत गतिविधियों को संचालित करने में सक्षम होती हैं। इस योजना के तहत, ये महिलाएं सालाना 60,000 से 80,000 रुपये तक कमा सकती हैं।

स्वास्थ्य कार्ट और प्राकृतिक खेती पर जोर

यह कार्यक्रम केवल कृषि सखियों को सशक्त बनाने तक ही सीमित नहीं है। इसे ग्रामीण समुदायों में कृषि के संबंध में स्थायित्व और दक्षता को बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। पुनः प्रशिक्षण में प्राकृतिक खेती और मृदा स्वास्थ्य कार्ट पर विशेष ध्यान दिया जाता है। इन पहलुओं के माध्यम से, पर्यावरण के अनुकूल और स्थायी कृषि तकनीकों को ग्रामीण क्षेत्रों में फैलाना लक्ष्य है।

महत्वपूर्ण सामाजिक और आर्थिक प्रभाव

महत्वपूर्ण सामाजिक और आर्थिक प्रभाव

कृषि सखी कार्यक्रम का सामाजिक और आर्थिक प्रभाव दूरगामी है। यह केवल महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि ग्रामीण समुदाय के समग्र विकास में भी योगदान करता है। महिलाओं को प्रशिक्षित लगाने से उनके परिवारों की आय में वृद्धि होती है और समुदाय में उनकी स्थिति मजबूत होती है। यह पहल कृषि उत्पादकता को बढ़ावा देने और समृद्धि लाने में भी सहायक होगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस महाअभियान का उद्देश्य न केवल ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने का है, बल्कि उन्हें कृषि क्षेत्र में विशेषज्ञ बनाने का भी है। इस पहल से ग्रामीण भारत को सतत विकास और महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक मजबूत कदम उठते देखा जा सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के लिए यह एक नई आशा की किरण है, जिससे वे न केवल अपने परिवार का समर्थन कर सकेंगी, बल्कि देश के विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान दे सकेंगी।

समापन

समापन

प्रधानमंत्री द्वारा वाराणसी में 30,000 कृषि सखियों को प्रमाण पत्र प्रदान करना एक महत्वपूर्ण कदम है, जो ग्रामीण महिलाओं के जीवन को बदल सकता है। यह पहल न केवल कृषि क्षेत्र को मजबूत करेगी बल्कि सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण से भी एक नई दिशा प्रदान करेगी। ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने की इस यात्रा में सभी को भागीदारी करनी आवश्यक है।

इस कार्यक्रम के लाभ देशभर में गांवों तक पहुंचेंगे और महिलाएं अपने परिवार, समाज और देश के विकास में सक्रिय रूप से जुड़ सकेंगी। इस कदम से न केवल वर्तमान समय में बल्कि आने वाले वर्षों में भी व्यापक परिवर्तन की उम्मीद की जा सकती है।

लेखक के बारे में
Ratna Muslimah

Ratna Muslimah

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मैं एक न्यूज विशेषज्ञ हूँ और मैं दैनिक समाचार भारत के बारे में लिखना पसंद करती हूँ। मेरे लेखन में सत्यता और ताजगी को प्रमुखता मिलती है। जनता को महत्वपूर्ण जानकारी देने का मेरा प्रयास रहता है।

टिप्पणि (17)
  • Nandini Rawal
    Nandini Rawal 20 जून 2024
    ये बहुत अच्छी बात है। महिलाएं अब सिर्फ घर की बातें नहीं, खेत की भी समझ रही हैं।
  • TARUN BEDI
    TARUN BEDI 21 जून 2024
    इस पहल का वास्तविक उद्देश्य तो यह है कि ग्रामीण महिलाओं को राजनीतिक आधार बनाया जाए, जिससे भारत के ग्रामीण इलाकों में सामाजिक संरचना को नियंत्रित किया जा सके। यह एक गहरी रणनीति है, जिसमें आर्थिक सशक्तिकरण का नाम लेकर एक नए प्रकार के नियंत्रण का निर्माण किया जा रहा है।
  • Shikha Malik
    Shikha Malik 22 जून 2024
    मुझे लगता है ये सब बहुत अच्छा है... लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि इन महिलाओं को असली जीवन में कितना समय मिलता है? 😔
  • Himanshu Tyagi
    Himanshu Tyagi 23 जून 2024
    कृषि सखी बनने के लिए 56 दिन का प्रशिक्षण काफी है? ये लोग वाकई में किसानों की मदद कर पाएंगे? कुछ जगहों पर तो बीज बैंक का नाम भी नहीं सुना।
  • sandhya jain
    sandhya jain 24 जून 2024
    मुझे लगता है कि इस योजना का सच्चा लाभ तब दिखेगा जब हम देखेंगे कि कृषि सखियां अपने गांव में न केवल खेती के बारे में बताती हैं, बल्कि बच्चों को भी जल संरक्षण, बीज संरक्षण और जैविक खेती के बारे में सिखाती हैं। ये बस एक योजना नहीं, ये एक जागृति है। जब एक महिला अपने खेत को समझने लगती है, तो वह अपने परिवार की आत्मनिर्भरता की नींव रख देती है। यह बदलाव आंखों से नहीं, दिल से देखा जाना चाहिए।
  • Vikas Rajpurohit
    Vikas Rajpurohit 26 जून 2024
    30,000 कृषि सखियाँ?! 😍 ये तो भारत की नई शक्ति है! बस एक बात कहूं... अगर ये योजना 2014 में शुरू होती तो आज हम दुनिया की सबसे बड़ी कृषि शक्ति होते! 🇮🇳🔥
  • Shriya Prasad
    Shriya Prasad 27 जून 2024
    इस तरह की योजनाएं गांवों में बहुत काम आती हैं। मेरी चाची भी कृषि सखी हैं।
  • Anupam Sood
    Anupam Sood 27 जून 2024
    फिर से वही बात... प्रमाण पत्र देकर फोटो खिंचवाना तो बहुत आसान है लेकिन जब बारिश नहीं होती तो कौन खाएगा? 🤷‍♂️
  • Shailendra Soni
    Shailendra Soni 27 जून 2024
    क्या ये सब वाकई में लाभदायक है? या बस चुनाव से पहले एक बड़ा नाटक है?
  • Hari Wiradinata
    Hari Wiradinata 29 जून 2024
    यह एक बहुत ही सकारात्मक योजना है। ग्रामीण महिलाओं को प्रशिक्षण देकर उन्हें सशक्त बनाना हमारे देश के लिए बहुत जरूरी है। इससे न केवल आय बढ़ेगी, बल्कि समाज में सम्मान भी बढ़ेगा।
  • Ranjani Sridharan
    Ranjani Sridharan 1 जुलाई 2024
    kya ye sach mei kaam karega? mera bhai kaunsa kisan hai jo apni biwi ko kisi training ke baad kheti sikhne de raha hai? sabhi toh apne beti ko padhake city mei bhejna chahte hai 😅
  • Shraddha Tomar
    Shraddha Tomar 2 जुलाई 2024
    yeh toh ek real game changer hai! natural farming + soil health cart + women empowerment = sustainable future. sabhi ko ye samajhna chahiye ki yeh sirf ek scheme nahi hai... yeh ek movement hai. 🌱
  • Nishu Sharma
    Nishu Sharma 3 जुलाई 2024
    maine apne gaon mei ek kisan sakhhi ki training dekhi thi wo kaise apne ghar ke paas ke kisanon ko neem oil aur cow dung fertilizer ki baat krti thi aur unki kheti mei 40 percent increase aaya tha... ye toh sach mei jeevan badal deta hai
  • Balaji T
    Balaji T 3 जुलाई 2024
    इस प्रमाणपत्र वितरण के आधार पर ग्रामीण आर्थिक विकास के लिए एक व्यवस्थित राष्ट्रीय नीति का निर्माण करना आवश्यक है। अन्यथा, यह केवल एक चरणबद्ध राजनीतिक नाटक है जिसका दीर्घकालिक प्रभाव शून्य होगा।
  • Priya Kanodia
    Priya Kanodia 4 जुलाई 2024
    क्या ये सब डेटा फेक है? क्या कोई जांच करता है कि वाकई में ये महिलाएं 60,000 रुपये कमाती हैं? या सिर्फ एक आंकड़ा बनाया जा रहा है? अगर ये सच है तो क्यों नहीं दिखाया जाता कि वे कहां काम कर रही हैं? क्या ये सब एक बड़ा धोखा है?..
  • Leo Ware
    Leo Ware 5 जुलाई 2024
    एक गांव की एक महिला के पास जब ज्ञान आता है, तो वह सिर्फ खेती नहीं बदलती, वह अपने परिवार का भविष्य बदल देती है।
  • Sujit Ghosh
    Sujit Ghosh 6 जुलाई 2024
    ये सब बहुत अच्छा है... लेकिन क्या अगर हम बिना किसी योजना के सिर्फ ग्रामीण महिलाओं को पैसे दे दें तो वो खुद ही काम कर लेंगी? ये सब बहुत जटिल बना दिया गया है।
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