जब हम इतिहास की बात करते हैं तो नेल्सन मंडेला का नाम सबसे पहले दिमाग में आता है। दक्षिण अफ्रीका के रंगभेद विरोधी नेता ने सिर्फ़ एक राजनेता ही नहीं बना, बल्कि लाखों लोगों को उम्मीद का सन्देश दिया। आज हम उनके जीवन के कुछ मुख्य पहलुओं को आसान भाषा में समझेंगे, ताकि आप भी उनकी कहानी से प्रेरित हो सकें।
नेल्सन रोलिहला मंडेला का जन्म 1918 में मवेज़ो गाँव में हुआ था। उनका परिवार राजपूत जॉबाना कुल के थे और वे छोटे‑छोटे गांवों में घुसे रहते थे। बचपन से ही उन्होंने शिक्षा को महत्व दिया, लेकिन स्कूल की दूरियों और गरीबी ने रास्ता मुश्किल बना दिया। फिर भी मंडेला ने पढ़ाई नहीं छोड़ी – उन्होंने टेबलटॉप पर लिखी किताबें बनाकर खुद सीखना शुरू किया।
उनकी पढ़ाई के दौरान वह अफ्रीका में हुए भेदभाव को देख कर गुस्सा होते रहे। इस गुस्से ने उन्हें राजनीति की ओर धकेला और 1944 में उन्होंने अफ़्रीकन नॅशनल कॉंग्रेस (ANC) से जुड़ाव किया। यह कदम उनके जीवन का मोड़ बन गया, क्योंकि अब उनका लक्ष्य व्यक्तिगत सफलता नहीं बल्कि पूरे राष्ट्र के लिये लड़ना था।
1950‑60 के दशक में मंडेला ने कई विरोधी आंदोलन चलाए – ‘डिफरेंस रेज़िस्टेंस’ से लेकर ‘शार्प वैली अभियान’ तक। उनका सबसे बड़ा कदम 1961 में सशस्त्र मुक्ति संग्राम का हिस्सा बनना था, जिससे सरकार को उनका सामना करना मुश्किल हो गया। इस कारण उन्हें कई बार गिरफ्तार किया गया और अंततः 1962 में जेल भेजा गया।
जेल की सबसे कठिन अवधि रिवर कैम्प (अब रोब्बेनी) थी, जहाँ मंडेला ने 27 साल तक बंधक रहे। इन सालों में उन्होंने अपने साथी कैदीयों को पढ़ाया, किताबें लिखी और भविष्य का एक स्पष्ट विज़न बनाया। उनका मानना था – जेल सिर्फ़ दीवारों की जगह नहीं, बल्कि विचारों की जाँच का मंच है। इस सोच ने उन्हें कई बार कठिनाइयों से उबार दिया।
1990 में उनके रिहा होने के बाद भी मंडेला ने राजनयिक काम को नहीं छोड़ा। 1994 में दक्षिण अफ्रीका के पहले काले राष्ट्रपति बने और देश में रंगभेद की समाप्ति का रास्ता साफ़ किया। उन्होंने सच्ची माफी, राष्ट्रीय एकता और आर्थिक विकास पर जोर दिया।
उनकी कहानी से हमें दो मुख्य बातें सीखने को मिलती हैं – पहला, कठिनाई चाहे कितनी भी बड़ी हो, अगर लक्ष्य स्पष्ट हो तो हार नहीं मानते। दूसरा, परिवर्तन सिर्फ़ सत्ता में बैठ कर नहीं, बल्कि लोगों की सोच बदलकर आता है।
आज भी मंडेला के विचार स्कूलों में पढ़ाए जाते हैं और उनके नाम पर कई सामाजिक कार्यक्रम चलते हैं। यदि आप अपने जीवन या काम में कठिनाई महसूस करते हैं तो उनका एक उद्धरण याद रखें – “मैं हार नहीं मानता, मैं सीखता हूँ।” इस सरल सोच को अपनाकर आप अपनी राह आसान बना सकते हैं।
इस लेख को पढ़कर उम्मीद है कि आपको नेल्सन मंडेला की जीवनी और उनके संघर्ष के बारे में स्पष्ट समझ मिली होगी। अब जब भी कोई चुनौती आए, तो उनके जैसे दृढ़ रहिए और आगे बढ़ते रहिए।
नेल्सन मंडेला अंतर्राष्ट्रीय दिवस 18 जुलाई को नेल्सन मंडेला के जीवन और विरासत को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है। 2024 में थीम 'गरीबी और असमानता का मुकाबला करने के लिए अभी भी हमारे हाथ में है।' मंडेला, दक्षिण अफ्रीका के पहले काले और लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित राष्ट्रपति, ने अपना जीवन समानता, न्याय और मेल-मिलाप के लिए समर्पित किया था। (आगे पढ़ें)