आपने कभी सुना है जेफ्रि हिंटन नाम? वह एक ऐसा शख्स हैं जिनके काम ने शिक्षा को डिजिटल बनाने में नई दिशा दी है। इस टैग पेज पर हम उनके हालिया कार्य, भारत की खबरें और तकनीकी पहल के बारे में बात करेंगे—सब कुछ आसान शब्दों में। तो चलिए, बिना किसी जटिलता के सीधे मुद्दे पे आते हैं!
हिंटन ने मशीन लर्निंग को कक्षा में लागू करने के कई प्रयोग किए हैं। उनका मानना है कि एआई टूल्स छात्रों की सीखने की गति बढ़ा सकते हैं, लेकिन इसे सही ढंग से उपयोग करना ज़रूरी है। उन्होंने कई ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म लॉन्च किए जहाँ शिक्षक मुफ्त में AI‑आधारित अभ्यास बना सकते हैं। इन पहल ने छोटे शहरों के स्कूलों को भी आधुनिक शिक्षा से जोड़ दिया है।
हाल ही में उन्होंने भारत सरकार के साथ मिलकर एक राष्ट्रीय डिजिटल लर्निंग नेटवर्क शुरू किया। इस नेटवर्क का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों तक हाई‑स्पीड इंटरनेट और इंटरएक्टिव सामग्री पहुंचाना है। साथ ही, उन्होंने स्थानीय शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया जहाँ प्रशिक्षक खुद AI मॉडल बना कर कक्षाओं में प्रयोग कर सकें। ये कदम छात्रों की परीक्षा परिणाम में सुधार लाने के लिए तैयार किए गए हैं।
यदि आप इस टैग पेज पर मौजूद लेख पढ़ते हैं तो आपको पता चलेगा कि कैसे हिंटन की सोच ने भारतीय शैक्षणिक परिदृश्य को बदल दिया है। उदाहरण के तौर पर, एक recent article में बताया गया है कि UAE ट्राई‑सीरीज़ 2025 के दौरान AI‑सहायता से बनाये गये पिच रिपोर्ट्स ने टीमों के रणनीति चयन में मदद की। इसी तरह के प्रयोग हमारे देश में भी शुरू हो रहे हैं।
हमारे पास कई अपडेटेड पोस्ट हैं—जैसे "ऑब्रे प्लाज़ा और जेफ़ बने" वाली ख़बर, जहाँ तकनीकी दुनिया में अचानक हुई अप्रत्याशित घटनाओं को समझाया गया है। ये सभी लेख आपके लिए उपयोगी जानकारी लाते हैं, चाहे आप छात्र हों, शिक्षक या शिक्षा‑प्रौद्योगिकी में काम करने वाले पेशेवर।
सारांश में, जेफ्रि हिंटन सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि एक विचारधारा हैं जो सीखने को आसान और सुलभ बनाती है। इस टैग पेज पर आप उनके कार्यों से जुड़ी ताज़ा ख़बरें, विश्लेषण और भविष्य की योजनाएँ पा सकते हैं—सब कुछ सरल हिन्दी में। पढ़ते रहिए, सीखते रहिए!
कैरनेगी मेलन विश्वविद्यालय के भूतपूर्व संकाय सदस्य जेफ्री हिंटन को प्रिंसटन विश्वविद्यालय के जॉन जे. हॉपफील्ड के साथ 2024 का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया है। हिंटन की शोध ने कृत्रिम न्यूरल नेटवर्क के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे मशीनें डेटा से सीख सकें। उनके द्वारा विकसित बैकप्रोपेगेशन एल्गोरिदम ने नई प्रगति के दरवाजे खोले और उनका अनुसरण करने वाले कई शोधकर्ताओं को प्रेरित किया। (आगे पढ़ें)