भौतिकी में नोबेल पुरस्कार विजेता जेफ्री हिंटन: कृत्रिम बुद्धिमत्ता में क्रांति

घरभौतिकी में नोबेल पुरस्कार विजेता जेफ्री हिंटन: कृत्रिम बुद्धिमत्ता में क्रांति

भौतिकी में नोबेल पुरस्कार विजेता जेफ्री हिंटन: कृत्रिम बुद्धिमत्ता में क्रांति

भौतिकी में नोबेल पुरस्कार विजेता जेफ्री हिंटन: कृत्रिम बुद्धिमत्ता में क्रांति

  • Ratna Muslimah
  • 9 अक्तूबर 2024
  • 5

जेफ्री हिंटन का नोबेल पुरस्कार: कृत्रिम विवेक में युगांतरकारी योगदान

कैरनेगी मेलन विश्वविद्यालय के भूतपूर्व संकाय सदस्य और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में अग्रणी शोधकर्ता जेफ्री हिंटन को, प्रिंसटन विश्वविद्यालय के जॉन जे. हॉपफील्ड के साथ, 2024 का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया है। यह पुरस्कार उन्हें मशीन लर्निंग में उनके योग्यता और कृत्रिम न्यूरल नेटवर्क पर उनके कार्य के लिए दिया गया है। हिंटन के योगदान ने तकनीकी जगत में नई प्रगति की राह खोली है, और उनकी उपलब्धियाँ आधुनिक विज्ञान में अभूतपूर्व मानी जाती हैं।

कृत्रिम न्यूरल नेटवर्क की दुनिया में क्रांति

जेफ्री हिंटन का शोध कार्य कृत्रिम न्यूरल नेटवर्क में उनके योगदान और बैकप्रोपेगेशन एल्गोरिदम के विकास के लिए जाना जाता है। यह एल्गोरिदम मशीनों को अपने डेटा के आंतरिक प्रतिनिधित्व को समझने और उसे संसाधित करने की क्षमता देता है, बिलकुल उसी प्रकार जैसे मानव मस्तिष्क करता है। उनके काम ने उन समस्याओं को हल करने की संभावना बनाई जिसे पहले असंभव माना जाता था। यह काम अर्थशास्त्र, जैविक अनुसंधान, और सामाजिक प्रणालियों के अनुशासनिक सीमा को पार कर चुका है।

कृत्रिम विवेक में प्रगति का अद्वितीय नमूना

हिंटन का योगदान केवल तकनीक तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह सामाजिक और अकादमिक जगत में भी प्रभावी साबित हुआ है। टोरंटो विश्वविद्यालय में उन्होंने अपने छात्रों के साथ मिलकर कनवल्यूशनल न्यूरल नेटवर्क में सुधार किए, जिससे वस्तु पहचान के लिए त्रुटि दर कम हो गई। उनकी खोज ने कंप्यूटर विज्ञान और विशेष रूप से कंप्यूटर दृष्टि क्षेत्र को नया आकार दिया है। धमाकेदार प्रगति के कार्रवाई में, यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण था कि गहन शिक्षण का उपयोग केवल तकनीकी उपलब्धियों के लिए ही नहीं, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी और नैतिक मूल्यांकन के लिए भी हो।

बोल्ट्जमैन मशीन और उसके प्रभाव

हिंटन द्वारा विकसित की गई बोल्ट्जमैन मशीनें पैटर्न या चित्रों को पहचानने और नए जनरेट करने की क्षमता रखती हैं। यह मौजूदा जेनरेटिव एआई मॉडल जैसे कि ChatGPT के लिए आधार तैयार करती है। इस मॉडल के अनुप्रयोग व्यापार, स्वास्थ्य सेवाओं, और मनोरंजन उद्योग तक विस्तृत हुए हैं। यह तकनीक आज की जटिल समस्याओं को हल करने में मदद करती है और डिजिटल युग में अगली पीढ़ी के नवाचार को प्रेरित करती है।

प्रभाव और प्रेरणा का विशाल क्षेत्र

हिंटन की छाप न केवल उनके शोध कार्यों तक सीमित है, बल्कि उनके दृष्टिकोण ने गहन शिक्षण के क्षेत्र के कई अन्य शोधकर्ताओं को भी प्रेरित किया है। गहरी कर्मठता और रचनात्मकता उनके मार्गदर्शन के महत्वपूर्ण स्तंभ रहे हैं, जिन्होंने उनके छात्रों और सहयोगियों को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने में निर्णायक भूमिका निभाई है। इस प्रकार का जुड़ाव और नेतृत्व आज की वैश्विक चुनौतियों को समाधान प्रदान करने में सहायक है।

एनालिटिक्स और डेटा प्रबंधन

रुसलान सलाखुत्दीनोव, जो वर्तमान में कैरनेगी मेलन विश्वविद्यालय के मशीन लर्निंग विभाग में प्रोफेसर हैं, हिंटन के मार्गदर्शन को अपनी सफलता का स्रोत मानते हैं। उनके विचार से, हिंटन की व्यापक दृष्टि और विशिष्ट प्रशिक्षण ने उन्हें अपनी यात्रा के दौरान सही दिशा में अग्रसर करने में मदद की। इसी प्रकार, अन्य वैज्ञानिक भी इस तथ्य को स्वीकार करते हैं कि गहन शिक्षा आबादी के लिए प्रभावकारिता का साधन बन गई है।

पुरस्कार और मान्यता

पुरस्कार और मान्यता

जेफ्री हिंटन नोबेल पुरस्कार के साथ-साथ पहले ट्यूरिंग अवार्ड भी प्राप्त कर चुके हैं। उनके समर्पण और कड़ी मेहनत को मान्यता देने के लिए, हिंटन और उनके सह-विजेता को 11 मिलियन स्वीडिश क्रोनर (अर्थात् $1 मिलियन) की राशि प्रदान की गई। यह नवाचार और तकनीकी उत्कृष्ठता के लिए दिया गया सम्मान है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा।

भविष्य की दिशा

कैरनेगी मेलन विश्वविद्यालय के अध्यक्ष, फारनाम जाहानियन ने हिंटन के इस यात्रा का सराहनीय मूल्यांकन किया और उनके योगदान को समाज की भलाई के एक बड़े हिस्से के रूप में देखा। कंप्यूटर विज्ञान और कृत्रिम बुद्धिमत्ता में इन प्रतिभाओं के योगदान ने समाज में एक सकारात्मक बदलाव लाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

लेखक के बारे में
Ratna Muslimah

Ratna Muslimah

लेखक

मैं एक न्यूज विशेषज्ञ हूँ और मैं दैनिक समाचार भारत के बारे में लिखना पसंद करती हूँ। मेरे लेखन में सत्यता और ताजगी को प्रमुखता मिलती है। जनता को महत्वपूर्ण जानकारी देने का मेरा प्रयास रहता है।

टिप्पणि (5)
  • Aman Upadhyayy
    Aman Upadhyayy 11 अक्तूबर 2024

    अरे भाई, हिंटन ने तो बस एक न्यूरल नेटवर्क को थोड़ा और बेहतर बनाया और नोबेल मिल गया? 😅 मैंने तो 2018 में अपने घर के बाथरूम में एक टेंपरेचर सेंसर को एआई से जोड़ दिया था, लेकिन किसी ने उसे नोबेल नहीं दिया। बस ये सब नाम-निशान का खेल है। जब तक तुम अमेरिका या कैनेडा में रहते हो, तब तक तुम्हारा काम नोबेल वर्थी होता है। भारत में लाखों लोग ऐसा करते हैं, लेकिन उनका नाम तक नहीं आता। 🤷‍♂️

  • ASHWINI KUMAR
    ASHWINI KUMAR 12 अक्तूबर 2024

    ये सब तो बस बातों का खेल है। हिंटन ने जो किया, वो तो बस बैकप्रोपेगेशन को थोड़ा ऑप्टिमाइज़ किया, जिसे 1980 के दशक में पहले ही बता दिया गया था। अब ये सब नया नहीं, बस रिबूट है। और फिर इतना धमाका? लोगों को तो अब एआई के बारे में बताओ तो वो बहुत बड़ी बात समझ लेते हैं। असल में तो हमारे देश में लाखों इंजीनियर्स ऐसे ही काम कर रहे हैं, लेकिन उनका कोई ध्यान नहीं रखता। ये सब नोबेल वाले लोग तो बस अपनी बात चलाने के लिए नाम बनाते हैं।

  • vaibhav kapoor
    vaibhav kapoor 12 अक्तूबर 2024

    हिंटन को नोबेल मिला, लेकिन हमारे भारतीय वैज्ञानिकों को क्यों नहीं? ये सब अंग्रेजी वालों का खेल है। हमारे देश में भी ऐसे लोग हैं जो एआई के बारे में असली काम कर रहे हैं, लेकिन उन्हें कोई नहीं जानता। अब तो हमें अपने देश के लिए गर्व करना चाहिए, न कि अमेरिकी लोगों के लिए।

  • Manish Barua
    Manish Barua 14 अक्तूबर 2024

    मैं तो बस ये समझ पा रहा हूँ कि ये सब तकनीकी चीज़ें कैसे इतनी बड़ी हो गईं... मैंने तो अभी तक एआई के बारे में सिर्फ ट्विटर पर पढ़ा है 😅 लेकिन जब मैंने देखा कि ये न्यूरल नेटवर्क चेहरे पहचान रहे हैं या बीमारियाँ डायग्नोस कर रहे हैं, तो मुझे लगा कि ये तो जादू है। असल में, हिंटन जैसे लोगों के बिना हम आज अपने फोन पर जो कुछ भी यूज़ कर रहे हैं, वो नहीं होता। शायद ये लोग नोबेल नहीं मिलने चाहते, बस इतना चाहते थे कि ये चीज़ें काम करें।

  • Abhishek saw
    Abhishek saw 16 अक्तूबर 2024

    हिंटन के योगदान को सम्मान देना बहुत जरूरी है। उनके शोध ने न केवल तकनीकी दुनिया को बदला, बल्कि चिकित्सा, शिक्षा और आपातकालीन प्रणालियों में भी गहरा प्रभाव डाला है। ये एक ऐसा व्यक्ति है जिसने अपनी निरंतरता और विनम्रता के साथ विज्ञान के क्षेत्र में नए मानक स्थापित किए हैं। उनकी यात्रा हम सबके लिए प्रेरणा है। भारत भी ऐसे शोधकर्ताओं को बढ़ावा दे, जो अपने काम में ईमानदारी और दृढ़ता से लगे रहते हैं।

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