भारतीय विदेश सेवा: क्या है, कैसे बनें, क्या मिलता है?

भारतीय विदेश सेवा, यानी IFS, भारत के डिप्लोमैटिक कार्यों की जिम्मेदारी संभालती है। विदेश में भारतीय मिशन, दूतावास, काउंसलेट और वाणिज्य दूतावासों का संचालन IFS अधिकारियों के हाथ में होता है। अगर आप यात्रा, अंतर्राष्ट्रीय मामलों और नीति निर्मिती में रुचि रखते हैं, तो IFS आपके लिए आदर्श करियर हो सकता है।

IFS बनने के लिए सबसे पहले यूपीएससी सिविल सर्विसेज़ परीक्षा (संयुक्त) देना होता है। यह परीक्षा तीन चरणों में होती है – प्रीलिमिनरी, मुख्य परीक्षा और इंटरव्यू। सभी चरणों में पास होकर आप चुनिंदा उम्मीदवारों में जगह बना सकते हैं। एक बार चयन हो जाने पर आप शुरुआती तौर पर सत्र 0/1 में ट्रेनी डिप्लोमैट होते हैं और बाद में विभिन्न विदेश मंत्रालयों में नियुक्त होते हैं।

IFS की चयन प्रक्रिया

सबसे पहले प्रीलिमिनरी में दो पेपर होते हैं – सामान्य अध्ययन (GS) और विकल्पीय विषय (CSAT)। यहाँ मुख्य बात यह है कि आप फोकस्ड रीविजन और टाइम मैनेजमेंट पर काम करें। अधिकांश कोचिंग केंद्र एक महीने में दो फुल मॉक्स आयोजित करते हैं, लेकिन अगर आप आत्म-विद्या कर रहे हैं तो पिछले साल के प्रश्नपत्रों का विश्लेषण बहुत मददगार रहेगा।

मुख्य परीक्षा में नौ पत्र होते हैं, जिनमें दो निबंध, दो सामान्य अध्ययन, दो वैकल्पिक विषय (जैसे इतिहास, भूगोल, अंतरराष्ट्रीय संबंध) और दो भाषा (हिंदी/इंग्लिश) शामिल होते हैं। इसमें लिखी गई रणनीति साफ़ होनी चाहिए – पहले आसान पेपर हल करें, फिर कठिन पर जाएँ। समय सीमा के भीतर उत्तर देना और लिखित भाषा पर ध्यान देना बहुत जरूरी है।

इंटरव्यू (पर्सनलिटी टेस्ट) में व्यक्तिगत गुण, विदेश नीति की समझ, समसामयिक मुद्दों पर राय और संचार कौशल की जांच होती है। यहाँ तैयारी के लिए आप वर्तमान समाचार, विदेश नीति के प्रमुख घटनाक्रम और भारत के प्रमुख अंतरराष्ट्रीय समझौते पढ़ें। एक दोस्त के साथ मॉक इंटरव्यू से आत्मविश्वास बढ़ेगा।

IFS में करियर और कार्य

सेलेक्शन के बाद, आप 2 साल की डिप्लोमैटिक ट्रेनिंग लेते हैं, जिसमें विदेश नीति, कूटनीति, अंतरराष्ट्रीय कानून और भाषा प्रशिक्षण शामिल होता है। इस अवधि में भारतीय विदेश मंत्रालय के विभिन्न विभागों में रोटेशन भी हो सकता है।

ट्रेनिंग पूरी करने के बाद, आप प्रथम पोस्टिंग के लिए किसी भी भारतीय दूतावास या मिशन में जा सकते हैं। शुरुआती पोस्टिंग में काउंसुलर सर्विस, वाणिज्य, सांस्कृतिक कार्यक्रम या राजनयिक कार्य शामिल होते हैं। समय के साथ, आप एम्बेसी के प्रमुख, हाई कमिशनर या विदेश मंत्रालय में हीटिंग पदों पर पहुँच सकते हैं।

IFS में काम करने के कई फायदे हैं – विदेशों में रहने की संभावना, ग्रेडेड सैलरी, सरकारी लाभ, और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नेटवर्क बनाने का मौका। साथ ही, आप भारत की विदेश नीति को आकार देने में सीधे योगदान देते हैं।

भविष्य में IFS की मांग बढ़ेगी, खासकर जब भारत का वैश्विक भूमिका बढ़ रही है। इसलिए, यदि आप विदेश नीति में रुचि रखते हैं और अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व करना चाहते हैं, तो IFS एक शानदार विकल्प है। तैयार रहें, सही रणनीति अपनाएँ और अपने लक्ष्य की दिशा में लगातार मेहनत करें।

डिप्टी एनएसए विक्रम मिश्री बने नए विदेश सचिव, जानिए उनके करियर की खासियतें

के द्वारा प्रकाशित किया गया Ratna Muslimah पर 29 जून 2024

भारत के नए विदेश सचिव के रूप में डिप्टी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) विक्रम मिश्री की नियुक्ति की गई है। आधिकारिक आदेश के अनुसार, मिश्री 15 जुलाई से पदभार संभालेंगे। वह 1989 बैच के भारतीय विदेश सेवा (IFS) अधिकारी हैं और वर्तमान में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय में डिप्टी एनएसए के रूप में कार्यरत हैं। मिश्री विनय मोहन क्वात्रा का स्थान लेंगे, जिन्हें इस वर्ष मार्च में छह महीने का विस्तार मिला था। (आगे पढ़ें)