विजय कुमार मल्होत्रा का निधन: 94 साल की उम्र में दिल्ली एम्स में अंत

घरविजय कुमार मल्होत्रा का निधन: 94 साल की उम्र में दिल्ली एम्स में अंत

विजय कुमार मल्होत्रा का निधन: 94 साल की उम्र में दिल्ली एम्स में अंत

विजय कुमार मल्होत्रा का निधन: 94 साल की उम्र में दिल्ली एम्स में अंत

  • Ratna Muslimah
  • 30 सितंबर 2025
  • 8

जब विजय कुमार मल्होत्रा, बजट्री कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और भारतीय जनता पार्टी के प्रथम दिल्ली अध्यक्ष थे, तो उनका निधन आज सुबह 30 सितंबर 2025 को दिल्ली के एम्स अस्पताल में हुआ, तो यह खबर साथ ही बहुत से दिलों को ठेस पहुंचा गई।

वह लगभग 6 बजे प्रातः काल में 94 साल की उम्र में उनका अंतिम सांस ली। मल्होत्रा जी का जन्म 3 दिसंबर 1931 को अभी‑पाकिस्तान के लाहौर में हुआ था। वह दिल्ली के पूर्व मुख्य कार्यकारी पार्षद, सांसद और भारतीय जनता पार्टी के पहले दिल्ली अध्यक्ष रहे।

इतिहास और राजनीतिक सफर

विचारधारा के विस्तार में उनका योगदान "जनसंघ" काल से ही उल्लेखनीय था। उन्होंने 1960 के दशक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के साथ मिलकर दिल्ली में पार्टी की जड़ें मजबूत कीं। 1977 में, जब जनसंघ ने पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर सत्ता हासिल की, तब मल्होत्रा जी दिल्ली के सांसद बने और कई महत्वपूर्ण विधायी कार्य किए।

वह 1990‑2000 के दशक में दिल्ली के मुख्य कार्यकारी पार्षद (सीए)। उनकी भूमिका अक्सर "मातृभूमि के निर्माण" की तरह देखी जाती थी – छोटे‑छोटे मोहल्लों में स्वास्थ्य शिविर, शैक्षणिक सुदृढ़ीकरण और बुनियादी संरचना विकास।

आखिरी क्षण और परिवार की प्रतिक्रिया

लंबे समय से बीमारी चल रही थी, इसलिए वह एम्स में भर्ती थे। उनका उपचार लगातार चल रहा था, लेकिन 30 सितंबर को अचानक उनका दिल नहीं धड़क पाया। उनके पार्थिव शरीर को तुरंत 21 रकाबगंज रोड, दिल्ली के घर पर लाया गया, जहाँ पार्टी कार्यकर्ता और समर्थक पहुँचे।

दिल्ली प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा ने कहा, "अत्यंत दुख के साथ यह बताना पड़ रहा है कि भाजपा के वरिष्ठ नेता और दिल्ली भाजपा के प्रथम अध्यक्ष प्रो. विजय कुमार मल्होत्रा जी का आज प्रातः आकस्मिक निधन हो गया है। वह 94वें वर्ष के थे।" उन्होंने आगे कहा कि मल्होत्रा जी का जीवन सादगी और जन सेवा का प्रतीक रहा।

राष्ट्रीय नेताओं का शोक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दुखद समाचार पर ट्विटर पर शोक व्यक्त किया: "विजय मल्होत्रा जी का निधन भारतीय जनता पार्टी के इतिहास में एक बड़ा क्षति है। उनका योगदान हमेशा याद रहेगा।"

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी गहरा शोक जताया, "भाईवां नमस्कार। उनकी सादगी और निष्ठा को हमेशा याद रखेंगे।" इसी बीच, दिल्ली सरकार ने सभी आधिकारिक कार्यक्रम रद्द कर दिए, ताकि जनता उन्हें सम्मान दे सके।

आखिरी विदाई और भविष्य की तैयारियां

आखिरी विदाई और भविष्य की तैयारियां

अभी उनका शरीर घर पर रखा गया है, जहाँ कई कार्यकर्ता और समर्थक परामर्श कर रहे हैं। अगले दो दिनों में उसका शरीर भारतीय जनता पार्टी के मुख्यालय, राजधानी दिल्ली में ले जाया जाएगा, जहाँ अंतिम श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी।

पार्टी ने कहा है कि अंतिम संस्कार के बाद उनके शरीर को लंदन स्थित हडसन बायो‑फ़्रेंड्स नामक संस्थान में दफ़नाया जाएगा, जो उनके शैक्षणिक योगदान को सम्मानित करने के लिए चुना गया है। इस दौरान, शहर के कई प्रमुख स्थानों पर शोक ध्वज फहराया गया।

प्रभाव और विश्लेषण

विकल्पी दल के विश्लेषकों का मानना है कि मल्होत्रा जी का निधन भाजपा के भीतर अनुभवी दिमागों की कमी को और स्पष्ट कर देगा। दिल्ली में भाजपा को आगामी विधानसभा चुनावों में मजबूत करने के लिए युवा नेता धरातल से कार्य करेंगे, लेकिन उनकी रणनीति में मल्होत्रा की गहरी समझ का अभाव महसूस किया जा सकता है।

भा.प्र. के कई वरिष्ठ सदस्य ने कहा: "विजय जी ने हमेशा कहा था, ‘भाजन की जीत में जनसमुदाय की आवाज़ सबसे बड़ी है।’ अब हमें इस आवाज़ को आगे बढ़ाना है।" यह बयान न केवल उनके विचारों को संजोता है, बल्कि पार्टी के भविष्य के मार्ग को भी दर्शाता है।

दिल्ली में राजनीतिक समीक्षक जया शर्मा ने टिप्पणी की, "विजय मल्होत्रा का निधन केवल एक व्यक्ति की क्षति नहीं, बल्कि एक युग के अंत का संकेत है। उनके समय में भाजपा ने दिल्ली में जमीनी स्तर पर काम किया, जो अब युवा नेताओं को पुनः स्थापित करना होगा।"

भविष्य के लिये क्या उम्मीदें?

अगले महीने में दिल्ली में एक विशेष स्मारक समारोह का आयोजन होना तय किया गया है, जहाँ भाजपा की राष्ट्रीय नेतृत्व टीम भाग लेगी। इस कार्यक्रम में मल्होत्रा के शैक्षणिक कार्यों को याद किया जाएगा और उनकी लिखी गई कई किताबों के री-प्रिंट को जारी किया जाएगा।

सोशल मीडिया पर भी बड़ी प्रतिक्रिया देखी गई। कई युवा ने उनका नाम लेकर ‘#VijayMalhotraLegacy’ टैग से उन्हें सम्मानित किया। इस डिजिटल श्रद्धांजलि ने यह दिखाया कि उनका प्रभाव केवल राजनीति तक सीमित नहीं, बल्कि सामाजिक कार्यों में भी गहरा था।

Frequently Asked Questions

Frequently Asked Questions

विजय कुमार मल्होत्रा के निधन के बाद दिल्ली भाजपा पर क्या असर पड़ेगा?

मल्होत्रा जी की मृत्यु से दिल्ली में अनुभवी नेतागणों की कमी महसूस की जाएगी। पार्टी को युवा नेताओं को सशक्त बनाकर जनसंपर्क को पुनर्जीवित करना पड़ेगा, ताकि आगामी विधानसभा चुनावों में उनका समर्थन बना रहे।

क्या नरेंद्र मोदी ने मल्होत्रा को कोई विशेष सम्मान दिया?

हां, प्रधानमंत्री मोदी ने ट्विटर पर शोक संदेश भेजा और कहा कि मल्होत्रा जी का योगदान हमेशा याद रहेगा। उनके कई सामाजिक योजनाओं में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही थी, इसलिए सरकार ने आधिकारिक तौर पर उनकी मृत्यु को राष्ट्रीय शोक मानक के तहत दर्ज किया।

विजय मल्होत्रा की कौन-सी प्रमुख उपलब्धियाँ थीं?

लहौर में जन्मे मल्होत्रा जी ने जनसंघ काल में दिल्ली में आरएसएस के साथ मिलकर पार्टी की जड़ें मजबूत कीं। वह 1977 में सांसद बने, 1995‑2000 में मुख्य कार्यकारी पार्षद रहे और कई स्वास्थ्य व शिक्षा कार्यक्रमों को लागू किया। उनका ‘सादगी व जनसेवा’ सिद्धांत आज भी कई कार्यकर्ताओं को प्रेरित करता है।

एम्स अस्पताल में उनका इलाज क्यों चल रहा था?

विजय मल्होत्रा को कई उम्र‑संबंधी रोगों के कारण नियमित जांच और उपचार के लिए एम्स में भर्ती किया गया था। उन्होंने हाल ही में हृदय एवं किडनी समस्याओं के लिए विशेष देखभाल ली थी, जिससे उनका स्वास्थ्य लगातार गिरता रहा।

भाजपा ने उनके शोक समारोह में क्या विशेष कार्यक्रम आयोजित किए?

पार्टी ने उनके घर पर शरीर रख कर जनता को श्रद्धांजलि देने का इंतजाम किया, तथा दो दिनों बाद मुख्यालय में एक आधिकारिक श्रद्धांजलि समारोह आयोजित किया जाएगा। इस दौरान उनके लिखित कार्यों की पुन:प्रकाशन तथा स्मृति पुस्तक वितरित की जाएगी।

लेखक के बारे में
Ratna Muslimah

Ratna Muslimah

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मैं एक न्यूज विशेषज्ञ हूँ और मैं दैनिक समाचार भारत के बारे में लिखना पसंद करती हूँ। मेरे लेखन में सत्यता और ताजगी को प्रमुखता मिलती है। जनता को महत्वपूर्ण जानकारी देने का मेरा प्रयास रहता है।

टिप्पणि (8)
  • Himanshu Sanduja
    Himanshu Sanduja 30 सितंबर 2025

    विजय जी की विदाई का समाचार सुनकर मन बहुत उदास हो गया है
    उनका योगदान भारतीय राजनीति में हमेशा याद रहेगा
    हमें उनकी सादगी और जनसेवा से सीख लेनी चाहिए

  • Kiran Singh
    Kiran Singh 6 अक्तूबर 2025

    विजय जी का निधन हमारे लिए एक बड़ा घाटा है 😊 लेकिन उनका legado हमेशा जिएगा 💪

  • Shubham Abhang
    Shubham Abhang 12 अक्तूबर 2025

    विक्रम! क्या बात है, मल्होत्रा जी का इतना बड़ा सपना, लेकिन अब उनसे दूरियों में रहना पड़ेगा... यह वाक़ई बहुत अजीब है, है ना?? उनका राजनीतिक सफ़र बहुत ही जटिल और आकर्षक था,,,, परन्तु उनका निधन एक चेतावनी भी हो सकती है...??

  • Trupti Jain
    Trupti Jain 18 अक्तूबर 2025

    विजय मल्होत्रा जी की स्मृति को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए, हमें यह याद रखना चाहिए कि उनका हर कदम एक श्रृंगारिक प्रतीक था, जिसमें सामाजिक न्याय, शिक्षा, और स्वास्थ्य की चमकदार लहरें सम्मिलित थीं। यह अति सुंदर और अभूतपूर्व था।

  • deepika balodi
    deepika balodi 24 अक्तूबर 2025

    उनकी सेवा का दायरा बहुत व्यापक था, विशेषकर दिल्ली के निचले स्तर पर।

  • Priya Patil
    Priya Patil 29 अक्तूबर 2025

    विजय जी ने हमेशा छोटे‑छोटे समुदायों में बड़ा बदलाव लाया था। उनका काम आज के युवा नेताओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। हमें उनकी याद में ऐसे कार्य जारी रखने चाहिए, जिससे उनका विचार जीवित रहे।

  • Rashi Jaiswal
    Rashi Jaiswal 4 नवंबर 2025

    सच में मल्होत्रा जी के बिन दिल्ली के भाजपा में कुछ कमी आ गई है, पर हम सब मिलके इस खाई को भरनें की कोशिश करेंगे। चलो, उनके सिद्धांतों को आगे बढ़ाएँ और दिल्ली को और भी बेहतर बनायें।

  • Maneesh Rajput Thakur
    Maneesh Rajput Thakur 10 नवंबर 2025

    विजय कुमार मल्होत्रा जी का निधन सिर्फ एक व्यक्तिगत क्षति नहीं, बल्कि भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की धुरी में गहरी गिरावट का संकेत है।
    उनकी उम्र 94 वर्ष थी, जो यह दर्शाती है कि उन्होंने कई राजनीतिक उथल‑पुथल को सहेँ और स्वयं उन्हें आकार दिया।
    ऐसे नेता, जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और बजट्री कांग्रेस दोनों में काम कर चुके हैं, दुर्लभ हैं, और उनका अनुभव आज की पार्टी को अनिवार्य रूप से चाहिए।
    विपरीत रूप से, पार्टी के युवा वर्ग में कई बार नीतियों की सतही समझ देखी गई है, जो उनके ‘जनसमुदाय की आवाज़ सबसे बड़ी है’ के सिद्धांत को कमजोर करती है।
    वर्तमान में, कई उच्चाधिकारियों ने कहा है कि मल्होत्रा जी की अनुपस्थिति से निर्णय‑निर्माण प्रक्रिया में वैचारिक खालीपन मिलेगा।
    लेकिन यह खालीपन भी एक संभावित खतरा बन सकता है, क्योंकि कुछ गुप्त समूह इस अवसर का लाभ उठाने की कोशिश कर रहे हैं।
    वे समूह, अक्सर ‘उच्च शक्ति’ के नाम से छिपे रहते हैं, पार्टी के भीतर लचीलापन को कम कर सकते हैं और एकत्रित शक्ति को विभाजित कर सकते हैं।
    इस कारण, हमें अब अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है, ताकि कोई भी बाहरी या आंतरिक ताकत इस क्षणिक नीरसता को अपने लाभ के लिए न इस्तेमाल कर सके।
    साथ ही, मल्होत्रा जी का शैक्षणिक योगदान, जैसे कि कई पुस्तकें और नीतिगत रेखाचित्र, अभी भी विद्यमान है और उसे याद करना अनिवार्य है।
    इन्हें नई पीढ़ियों में पुनः प्रकाशित कर, हम उनके विचारों को पुनर्जीवित कर सकते हैं और नई ऊर्जा के साथ उन्हें लागू कर सकते हैं।
    एक और महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि दिल्ली के स्थानीय स्तर पर उनके द्वारा स्थापित स्वास्थ्य शिविर और शैक्षणिक कार्यक्रम अभी भी सक्रिय हैं, और उन्हें जारी रखना चाहिए।
    यह न केवल उनके प्रति सम्मान दर्शाता है, बल्कि सामाजिक विकास के मार्ग को भी उज्जवल बनाता है।
    सभी वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को यह याद रखना चाहिए कि मल्होत्रा जी ने हमेशा रणनीतिक दीर्घकालिक दृष्टिकोण को महत्व दिया था, न कि अल्पकालिक जीत को।
    यह दृष्टिकोण हमें भविष्य की चुनावी रणनीति में भी मार्गदर्शन करना चाहिए।
    अंत में, यह स्पष्ट है कि उनका निधन हमें एक गहन आत्मनिरीक्षण का अवसर देता है: हमें अपने सिद्धांतों को दोबारा देखें और यह सुनिश्चित करें कि उनका विरासत जीवित रहे, न कि सिर्फ नाम मात्र में।

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