डिप्टी एनएसए विक्रम मिश्री बने नए विदेश सचिव
केंद्र सरकार ने निर्णय लेते हुए डिप्टी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) विक्रम मिश्री को भारत का नया विदेश सचिव नियुक्त किया है। यह महत्वपूर्ण नियुक्ति 15 जुलाई से प्रभावी होगी, जो भारत की विदेश नीति और वैश्विक कूटनीति में उनकी भूमिका को और भी महत्वपूर्ण बनाती है।
विक्रम मिश्री का अनुभव और करियर
विक्रम मिश्री 1989 बैच के भारतीय विदेश सेवा (IFS) अधिकारी हैं। उनके पास अंतर्राष्ट्रीय मामलों में विशाल अनुभव है और वे कई महत्वपूर्ण पदों पर सेवा चुके हैं। वर्तमान में, वह राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय में डिप्टी एनएसए के पद पर कार्यरत हैं। इस पद पर उनकी जिम्मेदारी राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों पर ध्यान केंद्रित करना होता है।
मिश्री ने अपने करियर में विभिन्न महत्वपूर्ण दूतावासों में भारतीय राजनयिक के तौर पर कार्य किया है, जिसमें चीन, म्यांमार, और अमेरिका जैसी प्रमुख देश शामिल हैं। उनकी उत्कृष्ट सेवाओं और कार्यक्षमता के कारण वे कई चुनौतियों का समाधान करने में सफल रहे हैं।
नए विदेश सचिव के रूप में उनकी प्राथमिकताएं
विक्रम मिश्री के नए विदेश सचिव बनने के साथ ही, उनकी प्राथमिकताओं में भारत की वैश्विक कूटनीतिक स्थिति को मजबूत करना और द्विपक्षीय संबंधों को और भी प्रगाढ़ बनाना शामिल होगा। इससे अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत की उपस्थिति और भूमिका में और मजबूती आएगी।
उनकी नई भूमिका में विभिन्न देशों के साथ आर्थिक, राजनीतिक, और सांस्कृतिक संबंधों को नए आयाम देना शामिल होगा। इसके साथ ही, उन्हें वैश्विक मुद्दों पर भारत का दृष्टिकोण प्रस्तुत करने और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में भारत के हितों की रक्षा करने का जिम्मा भी मिलेगा।
पूर्व विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा का कार्यकाल
विनय मोहन क्वात्रा, जो पहले से ही इस पद पर कार्यरत थे, को मार्च 2023 में छह महीने का विस्तार दिया गया था। उनके कार्यकाल में महत्वपूर्ण योगदान रहा है, जिसमें विभिन्न देशों के साथ भारत के संबंधों को मजबूत करना और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत की उपस्थिति को बढ़ाना शामिल है।
नए विदेश सचिव की नियुक्ति की महत्वपूर्णता
विक्रम मिश्री की नियुक्ति एक महत्वपूर्ण कदम है जिससे यह साफ होता है कि सरकार ने कूटनीतिक क्षेत्र में अनुभवी और कुशल अधिकारी को चुना है। उनकी नई भूमिका में वे भारत के विदेश नीति को और भी व्यापक और प्रभावी बनाने के लिए काम करेंगे।
खासतौर पर इस समय, जब वैश्विक परिदृश्य तेजी से बदल रहा है और नए चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, विक्रम मिश्री का अनुभव और नेतृत्व महत्वपूर्ण साबित होगा।
अन्य महत्वपूर्ण जानकारी
विक्रम मिश्री का करियर मार्ग और उनकी गतिशीलता दर्शाती है कि उन्होंने विभिन्न महत्वपूर्ण मिशनों पर सफलता प्राप्त की है। इससे न केवल उनके समर्पण और कौशल का प्रमाण मिलता है, बल्कि भारत को भी अंतर्राष्ट्रीय मंच पर एक मजबूत स्थिति प्राप्त करने में मदद मिलती है।
नए विदेश सचिव के रूप में उनकी भूमिका में, मिश्री को विभिन्न देशों के साथ संबंधों को और भी बेहतर बनाने का अवसर मिलेगा। उनकी कुशलता और अनुभव से निसंदेह भारत को लाभ होगा और देश की विदेश नीति में नई दिशा और ऊर्जा का समावेश होगा।
विक्रम मिश्री का चुनाव बहुत समझदारी से हुआ है। उनका चीन और अमेरिका में काम करने का अनुभव अभी के टेंशन वाले टाइम में बहुत काम आएगा। मैंने देखा है कि जब वो एनएसए के तौर पर बात करते हैं, तो उनकी बातों में एक अजीब सी गहराई होती है। जैसे कि वो सिर्फ डॉक्यूमेंट्स नहीं, बल्कि इमोशनल डायनेमिक्स भी रीड करते हैं। इस तरह के लोग ही अब जरूरी हैं।
ये सब बकवास है... ये नियुक्ति किसी राजनीतिक डील का हिस्सा है... वो जो चीन में रहे थे, उन्होंने क्या छिपाया होगा?? आप लोग नहीं जानते कि वो वहाँ क्या समझौते कर रहे थे... आईएसआई के साथ कनेक्शन हैं क्या?? ये सब फेक है... ये लोग सबको धोखा देते हैं...!!!
अरे यार, ये विक्रम मिश्री तो बस एक और बुद्धिजीवी बॉस है जिसे बैठाया गया ताकि लोग सोचें कि कुछ हो रहा है। असली काम तो एनएसए और प्रधानमंत्री के बीच होता है। विदेश सचिव का पद अब सिर्फ एक टाइटल है। और हाँ, वो चीन में रहे थे... तो क्या? उसने उस देश के लिए कुछ नहीं किया, बस उसके लिए काम किया।
इतना बड़ा नाम लेकर भी ये लोग कुछ नहीं कर पाते। ये सब बस दिखावा है। मैंने भी विदेश सेवा में देखा है... जो लोग बाहर जाते हैं, वो अंदर आकर बस बैठ जाते हैं। इस वक्त जो चाहिए वो है एक आदमी जो गली में बात कर सके, न कि एम्बेसी में बैठकर डॉक्यूमेंट बनाए।
अच्छा नियुक्ति हुई है। लेकिन जब तक विदेश सचिव को राजनीतिक दबाव से आजाद नहीं किया जाता, तब तक ये सब नाटक है। वो जो चीन में थे, उन्हें जानना चाहिए कि वहाँ की भाषा सिर्फ बोलने की नहीं, बल्कि चुप रहने की भी होती है। उन्हें अब भारत के लिए चुप रहना नहीं, बल्कि बोलना है।
विक्रम मिश्री का नाम सुनकर मुझे बहुत आशा हुई... वो तो वो हैं जिन्होंने अमेरिका में भारतीय समुदाय को एकजुट किया था... जब वो वहाँ थे, तो वो हर हफ्ते कॉलेजों में जाते थे... युवाओं को समझाते थे कि भारत बड़ा देश है... अब जब वो विदेश सचिव हैं, तो उन्हें ये बातें सिर्फ विदेशी दूतावासों तक ही सीमित नहीं रखना चाहिए... ये एक नई शुरुआत है... 😊
इतना लंबा आर्टिकल लिखा है और कुछ नहीं बताया। किसने फैसला किया? किसने उन्हें चुना? क्या उनका कोई विरोधी था? क्या उनकी कोई गलती थी? क्या उन्होंने कभी अपनी नीति में गलती की है? क्या उनके बारे में कोई जांच हुई? इतना ज्यादा बहाना बनाया है कि लगता है कि कुछ छिपाया जा रहा है। बस इतना ही।