आयात शुल्क: सरल समझ और ताज़ा खबरें

अगर आप व्यापार या आयात‑निर्यात से जुड़े हैं तो "आयात शुल्क" शब्द रोज़ सुनते होंगे। लेकिन असली मतलब, कैसे गिनती होती है और कब बदलता है, ये अक्सर उलझन पैदा करता है। यहाँ हम आसान भाषा में बताएँगे कि आयात शुल्क क्या होता है, कौन‑से कारक दर तय करते हैं और 2025 की नई अपडेट्स आपके खर्चे को कैसे घटा सकती हैं।

आयात शुल्क कैसे तय होते हैं?

पहले तो ये समझें कि आयात शुल्क सिर्फ एक प्रतिशत नहीं, कई घटकों का मेल है। मूल में दो मुख्य चीज़ें होती हैं – कस्टम ड्यूटी और सर्विस टैक्स (जैसे GST)। कस्टम ड्यूटी वस्तु की वर्गीकरण (HS कोड) पर निर्भर करती है; इलेक्ट्रॉनिक सामान, मशीनरी या रसायन के लिए अलग‑अलग दरें लगती हैं। दूसरी तरफ़, GST का अनुप्रयोग भी वही नियमों से होता है जो घरेलू बिक्री में लागू होते हैं।

उदाहरण लें: अगर आप 10 लाख रुपये की इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस आयात कर रहे हैं और उसका कस्टम ड्यूटी 7.5% है, तो शुल्क का पहला हिस्सा 75,000 रुपये होगा। फिर उसी वस्तु पर 18% GST लगेगा, लेकिन यह GST शूल्क के ऊपर नहीं बल्कि कस्टम‑ड्यूटी सहित कुल मूल्य (10,075,000) पर लगता है, जिससे आपका अंतिम खर्च थोड़ा बढ़ जाता है।

नवीनतम बदलाव और बचत के उपाय

2025 में सरकार ने कुछ मुख्य बदलाव किए हैं जो आयातकों को राहत दे सकते हैं। सबसे बड़ा कदम है 2000 रुपये से कम की UPI लेन‑देन पर GST हटाना – इसका मतलब छोटे मूल्य वाले डिजिटल सामानों का शुल्क घटेगा। दूसरा, कई हाई‑टेक वस्तुओं के लिए कस्टम ड्यूटी में छूट दी गई है ताकि भारतीय निर्माण को प्रोत्साहन मिले। ये बदलाव खासकर स्टार्ट‑अप और ई‑कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म पर असर डालेंगे।

बचत के लिए कुछ आसान टिप्स अपनाएँ: पहला, सही HS कोड चुनें – गलत वर्गीकरण से अनावश्यक ड्यूटी लग सकती है। दूसरा, आयात लाइसेंस की वैधता और स्वीकृत रूटिंग पर ध्यान दें; गैर‑अनुपालन से पेनाल्टी भी जुड़ सकती है। तीसरा, अगर आप छोटे मूल्य वाले सामानों को निरंतर आयात करते हैं तो एक ही लेन‑देन में कई वस्तुएँ जोड़कर कुल मूल्य 2000 रुपये के ऊपर न जाएँ – इससे GST नहीं लगेगा।

साथ ही, कस्टम एजेंट या फ़्रेट फॉरवर्डर से नियमित अपडेट लेना भी ज़रूरी है। वे अक्सर नई नीति या टैरिफ़ में बदलाव की जानकारी पहले बता देते हैं, जिससे आप समय पर रणनीति बदल सकते हैं। अगर आपका व्यापार सीमा‑पर्यंत विस्तार कर रहा है तो इन छोटे‑छोटे कदमों से लाखों रुपये बचाए जा सकते हैं।

आखिर में यही कहेंगे कि आयात शुल्क को समझना और उसके अनुसार योजना बनाना अब उतना कठिन नहीं है जितना लगता था। सही जानकारी, सही दस्तावेज़ीकरण और समय पर नीति बदलाव की निगरानी से आप अपने खर्चे को नियंत्रित रख सकते हैं और व्यवसाय को स्थिरता दे सकते हैं। तो अगली बार जब आयात शुल्क का सवाल आए, इन बिंदुओं को याद रखें – आपका फायदा ही होगा।

बांग्लादेश ने फिर बढ़ाई संतरे पर आयात शुल्क: विदर्भ के निर्यातकों पर असर

के द्वारा प्रकाशित किया गया Ratna Muslimah पर 17 जुल॰ 2024

बांग्लादेश ने संतरे पर आयात शुल्क को ₹64 प्रति किग्रा से बढ़ाकर ₹72 प्रति किग्रा कर दिया है, जिससे विदर्भ क्षेत्र के निर्यातकों पर बहुत बड़ा असर पड़ेगा। यह अंशदायित्व क्षेत्र, विशेषकर अमरावती जिले के वरुड और मोर्शी तहसीलें, संतरे का प्रमुख उत्पादक है। यहां 1.26 लाख हेक्टेयर जमीन पर संतरे की खेती होती है। आयात शुल्क बढ़ोतरी से विदर्भ से बांग्लादेश को संतरे का निर्यात 25% से कम होकर 15% हो सकता है। (आगे पढ़ें)