तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने अपने नवीनतम बयान में राज्य की राजनीति में खलबली मचा दी है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि मूसी नदी पुनर्जीवन परियोजना को लेकर कोई भी बाधा डालने वालों के साथ सख्ती से निपटा जाएगा। यह बयान उन्होंने एक सार्वजनिक सभा में दिया जब वे मूसी पुनर्जीवन संकल्प पदयात्रा का नेतृत्व कर रहे थे। पदयात्रा का उद्देश्य नदी के किनारों पर बसी जनता को परियोजना का समर्थन देना और उन्हें जागरूक करना था।
अपने भाषण के दौरान रेवंत रेड्डी ने बीआरएस नेताओं, विशेषकर केसीआर, केटी रामा राव और हरीश राव पर तीखे शब्दों में हमला किया। उन्होंने कहा कि ये नेता परियोजना के नाम पर राजनीति कर रहे हैं और जनता के भले का सोचने के बजाय अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को साध रहे हैं। उन्होंने चुनौती दी कि जो भी इस परियोजना में बाधा डालेगा, उस पर बुलडोजर भी चल सकता है। यह सार्वजनिक बयान अपने आप में बेहद विवादित रहा और राज्य की राजनीति में भूचाल ला दिया।
रेवंत रेड्डी ने विपक्षी दलों द्वारा परियोजना पर उठाए सवालों का भी जवाब दिया। विपक्षी दलों का कहना है कि सरकार परियोजना की आड़ में भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रही है। इस पर रेड्डी ने कहा कि विपक्ष पहले खुद नदी के पास जाकर वहां की हालत देखे और फिर इस मुद्दे पर बोले। उन्होंने चुनौती दी कि विपक्षी नेता तीन महीने के लिए मूसी नदी के किनारे आकर रहें और वहां की दुर्दशा को खुद महसूस करें। उन्होंने कहा कि यदि विपक्ष को यह स्थान रहने लायक लगता है, तो वे खुद इस परियोजना को रद्द कर देंगे।
रेवंत रेड्डी का कहना है कि परियोजना का मुख्य उद्देश्य नदी के किनारों पर बसे लोगों के जीवन स्तर को सुधारना और नदी को स्वच्छ बनाना है। उन्होंने विपक्ष को खुला निमंत्रण दिया कि यदि उनके पास कोई रचनात्मक सुझाव है तो वे उसे विशेष विधानसभा सत्र में रखें। यह विशेष सत्र परियोजना के विभिन्न पहलुओं की गहराई से चर्चा के लिए बुलाया जाएगा।
परियोजना पर विवाद सिर्फ राजनीतिक बयानबाजी तक सीमित नहीं है। यह एक बड़ा सामाजिक और आर्थिक मुद्दा भी है। मूसी नदी के आसपास के क्षेत्र गंदगी और प्रदूषण से ग्रस्त हैं। यहां रहने वाले लोग स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं, और जीवन की मौलिक सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हैं। परियोजना का उद्देश्य इन समस्याओं को दूर करना है, लेकिन राजनीतिक दलों के बीच आपसी खींचतान से स्थिति जटिल होती जा रही है।
राजनीतिक दलों में गहन मतभेद हैं। एक तरफ सरकार दावा कर रही है कि परियोजना से राज्य का समग्र विकास होगा, वहीं विपक्ष इसे सरकारी खजाने की बर्बादी बता रहा है। जनता के लिए यह समझना मुश्किल हो रहा है कि कौन सही है। ऐसे में मुख्यमंत्री के बयान से आने वाले दिनों में और भी राजनीतिक उथल-पुथल की संभावना है।
इस पूरे विवाद ने यह स्पष्ट कर दिया है कि मूसी पुनर्जीवन परियोजना केवल एक पर्यावरणीय मुद्दा नहीं है। यह राजनीति, समाज और उनके जीवन स्तर से गहराई से जुड़ा है। अगले कुछ सप्ताह में स्थिति किस दिशा में जाती है, यह देखना महत्वपूर्ण होगा। लेकिन एक बात निश्चित है कि यह विवाद जल्द ही शांत होने वाला नहीं है। तेलंगाना की राजनीति के लिए यह एक लंबे समय तक चर्चित मुद्दा बना रहेगा।