शक्तिकांत दास की नई नियुक्ति का महत्व
आरबीआई के पूर्व गवर्नर शक्तिकांत दास को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रमुख सचिव-2 के रूप में नियुक्त किया गया है। यह पहली बार है जब इस तरह की भूमिका बनाई गई है, जो दास की वित्तीय और मौद्रिक नीति समन्वय में विशेषज्ञता को मान्यता देती है। तमिलनाडु कैडर के 1980 बैच के आईएएस अधिकारी रहे दास ने दिसंबर 2024 तक आरबीआई गवर्नर के रूप में अपनी सेवाएं दी हैं।
उनकी नियुक्ति से सरकार और केंद्रीय बैंकिंग संचालन के बीच समन्वय को मजबूती मिलने की उम्मीद है। दास का योगदान 2016 की नोटबंदी और 2020 के कोविड-19 महामारी जैसे संकटों में उनकी विशेषज्ञता और प्रबंधन की सराहना करता है। यह भूमिका मोदी के कार्यकाल के साथ सह-समाप्त होगी, जो उनके व्यापक अनुभव का लाभ उठाने का एक अवसर है।

कठिन आर्थिक चुनौतियों के बीच भूमिका
दास की नियुक्ति ऐसे समय पर हुई है, जब देश को कई आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है जैसे कि अमेरिका-चीन व्यापार तनाव और स्थानीय मुद्रास्फीति दबाव। उनके आरबीआई कार्यकाल में बैंकिंग नियमों में सुधार, मुद्रास्फीति प्रबंधन और रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे भू-राजनीतिक जोखिमों का सामना करना शामिल था।
उनकी रणनीतिक दृष्टिकोण और वित्त मंत्रालय में उनकी पिछली भूमिकाएं उन्हें आर्थिक संकट के समय में आदर्श उम्मीदवार बनाती हैं। इस नियुक्ति का उद्देश्य इन जटिल आर्थिक मसलों का मुकाबला करना और देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना है, जिसमें दास का अनुभव मुख्य भूमिका निभाएगा।