भारत-रूस व्यापार में स्थानीय मुद्रा का परिप्रेक्ष्य
हाल ही में भारत और रूस के बीच व्यापारिक रिश्तों में नए मोड़ देखने को मिले हैं। रूस के उप प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव की माने तो 90% व्यापार अब स्थानीय या वैकल्पिक मुद्राओं में किया जा रहा है। भारत में व्यापारिक मामले अब स्थानीय मुद्रा में निबटना संभव है। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जुलाई 2022 में किए गए निर्णय ने इसे आसान बना दिया। दरअसल, रूस को पश्चिमी देशों द्वारा स्विफ़्ट प्रणाली से बाहर कर दिया गया था जिसके चलते यह आवश्यक हो गया कि व्यापारिक रिश्तों को सुगम बनाने के लिए नया तरीका अपनाया जाए।
बैंकिंग संबंधों का विस्तार
मंटुरोव ने भारतीय और रूसी बैंकों के बीच संवाद और सहयोग को और बढ़ाने पर बल दिया। इसके तहत भारत में 20 अधिकृत डीलर (एडी) बैंक द्वारा 22 देशों के साझेदार बैंकों के लिए 92 विशेष रुपया वोस्ट्रो अकाउंट्स खोले गए हैं। इन देशों में बांग्लादेश, म्यांमार, ओमान जैसे देश शामिल हैं। दोनों देशों की सरकारें इस बात पर जोर दे रही हैं कि आगे भी नए-नए उत्पाद और सेवाएं व्यापारिक रिश्तों में शामिल की जाएं।
विनिमय और व्यापारिक असंतुलन का समाधान
भारत और रूस के बीच व्यापार का असंतुलन अब भी एक बड़ी चुनौती है। 2023-24 में भारत ने रूस को केवल 4 बिलियन डॉलर का निर्यात किया जबकि रूस से 61.4 बिलियन डॉलर का आयात किया। मंटुरोव और भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस असंतुलन को दूर करने पर बातचीत की। व्यापार का दायरा बढ़ाने के लिए अधिक उत्पादों को शामिल करने के साथ-साथ व्यापार में नयी सेवाएं जोड़ी जाएंगी। ऐसा प्रयास किया जा रहा है कि 2030 तक दोनों देशों के बीच 100 बिलियन डॉलर का व्यापार लक्ष्य प्राप्त कर लिया जाए।
परिवहन और अंतरिक्ष में सहयोग के नए आयाम
मंटुरोव ने सुझाव दिया कि भारतीय विमान कंपनियों द्वारा रूस के लिए उड़ानें पुनः शुरू की जानी चाहिए क्योंकि वर्तमान में ये केवल रूसी एयरलाइंस एअरोफ्लोट द्वारा संचालित हैं। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय लॉजिस्टिक परियोजनाओं में भारत की भूमिका की सराहना की। इससे न केवल परिवहन लागत को कम किया जा सकेगा बल्कि नए मार्गों के माध्यम से व्यापार को भी बल मिलेगा।
अरबोत्तर योजनाओं में भारत-रूस सहभागिता
मंटुरोव ने अंतरीक्ष और माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में सहयोग की संभावनाओं पर भी जोर दिया। कुडनकुलम परियोजना के पूरा होने के अतिरिक्त उच्च गति वाली स्थानीय इलेक्ट्रिक ट्रेनों का उत्पादन 'मेड इन इंडिया' के तहत भारत में निर्मित करने की योजना भी टैबलेट की गई है। साथ ही डिजिटल तकनीक के क्षेत्र में नए प्रयोगों को प्राथमिकता देने की बातचीत भी हुई। यह उम्मीद की जा रही है कि भारत और रूस के बीच व्यापारिक और वैज्ञानिक सहयोग आने वाले वर्षों में नई ऊंचाइयाँ छूएगा।