भारतीय शेयर बाजार ने 27 नवंबर, 2025 को एक ऐतिहासिक मील का पत्थर तोड़ दिया — निफ्टी50 26,300 के पार पहुँच गया और बीएसई सेंसेक्स पहली बार 86,000 के शिखर पर पहुँच गया। ये निशान बस एक आंकड़ा नहीं, बल्कि भारत की आर्थिक ऊर्जा का प्रतीक है। सुबह 10:19 बजे आईएसटी के समय, निफ्टी 26,278.00 पर था — 73 अंकों की चढ़ाई के साथ — जबकि सेंसेक्स 85,903.02 पर था, 294 अंकों की बढ़ोतरी के साथ। ये रिकॉर्ड बस एक दिन की बात नहीं, बल्कि पिछले दिन के तेज़ रफ्तार अपकैप और मिडकैप शेयरों की लगातार बढ़ती रुचि का परिणाम है।
पिछले दिन की ताकत आज की उड़ान का आधार
26 नवंबर को, जब निफ्टी 26,200 के पार पहुँचा था, तो बाजार ने एक अलग ही ऊर्जा दिखाई। बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स दोनों 1.2% बढ़े। ये बात बताती है कि बाजार केवल बड़े कंपनियों पर ही निर्भर नहीं है — छोटे और मध्यम आकार के निवेश भी अब बड़े निवेशकों की पसंद बन गए हैं। बाजाज ऑटो और बाजाज फाइनेंस जैसी कंपनियाँ 2% तक चढ़ीं। अगर आपको लगता है कि ये बस फेस्टिवल सीजन का एक अस्थायी उत्साह है, तो आप गलत हैं।
विश्लेषकों की राय: बुलिश मोड में बदल गया बाजार
डॉ. वीके विजयकुमार, जीओजित इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के मुख्य निवेश रणनीतिकार, ने एक बात साफ कर दी: "कल के 320 अंकों की चढ़ाई ने बाजार की संरचना को बुलिश मोड में बदल दिया है। निफ्टी और सेंसेक्स के नए रिकॉर्ड्स अब सिर्फ समय का सवाल है।" उनके अनुसार, ये उछाल केवल तकनीकी नहीं, बल्कि मूलभूत आधार पर भी टिका हुआ है — Q3 और Q4 के लिए उम्मीदियों के साथ। अक्टूबर में देखी गई उपभोक्ता खर्च की बढ़ोतरी अब कंपनियों के अर्जित लाभ में बदल रही है। ये बात उनके लिए बहुत ज़रूरी है।
क्या चल रहा है बाजार के पीछे?
ये उछाल एक तरफ़ भारतीय आर्थिक गतिविधियों का नतीजा है, तो दूसरी तरफ़ वैश्विक तालमेल का। अमेरिका में फेडरल रिज़र्व ने दिसंबर में ब्याज दर कम करने की संभावना बढ़ा दी — इससे वैश्विक निवेशकों का भावनात्मक बोझ हल्का हुआ। एशियाई बाजार भी इसी तरह ऊपर की ओर बढ़े। भारत ने इस तरह अपने घर के निवेशकों के साथ-साथ विदेशी फंड्स को भी अपनी ओर खींच लिया। और फिर आया भारत सरकार का बड़ा फैसला — भारतीय कैबिनेट ने रेयर ईथ चुंबक निर्माण के लिए 7,280 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दे दी। ये सिर्फ एक योजना नहीं, बल्कि चीन के ऊपर भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता का संकेत है।
ब्लॉक डील और सोने का स्थिर रुख
बाजार के बीच में एक बड़ा ब्लॉक डील भी आया — व्हर्लपूल ऑफ इंडिया में प्रमोटर्स ने 95 लाख शेयर (₹965 करोड़ के बराबर) बेचने की घोषणा की। ये डील अकेले में बाजार को गिरा नहीं सकता, लेकिन इसके बारे में चर्चा ने निवेशकों को सोचने पर मजबूर कर दिया। फिर भी, सोने की कीमतें स्थिर रहीं — पिछले सप्ताह के शिखर के बाद भी उतार-चढ़ाव नहीं। ये बात बताती है कि निवेशक अभी भी शेयर बाजार में भरोसा रख रहे हैं।
क्या आगे की राह आसान होगी?
अगर आप सोच रहे हैं कि ये उछाल टिकेगा या नहीं, तो जवाब है — ये टिकेगा, अगर उपभोक्ता खर्च और निवेश की रुचि बनी रहे। भारतीय रिज़र्व बैंक की ब्याज दर कम करने की उम्मीद और फेडरल रिज़र्व के फैसले अभी भी बाजार के लिए निर्णायक हैं। फेस्टिवल सीजन के बाद थोड़ा मंदी आ सकती है, लेकिन अगर कंपनियों के लाभ Q3 और Q4 में अच्छे रहे, तो अगले तीन महीने में निफ्टी 27,000 के पार भी जा सकता है।
क्या बाजार अभी भी सुरक्षित है?
ये सवाल बहुत से छोटे निवेशकों के मन में है। जवाब सरल है: अगर आप लंबी अवधि के लिए निवेश कर रहे हैं, तो हाँ। अगर आप तेज़ मुनाफा चाहते हैं, तो ये दौर बहुत खतरनाक हो सकता है। आज के रिकॉर्ड्स ने बाजार को एक नई ऊंचाई पर ले जाया है — लेकिन ये ऊंचाई अभी भी बनी रहेगी या नहीं, ये भारत के आर्थिक आंकड़ों पर निर्भर करेगा।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्या निफ्टी और सेंसेक्स के ये रिकॉर्ड अस्थायी हैं?
नहीं, ये अस्थायी नहीं हैं। ये रिकॉर्ड बाजार के मूलभूत समर्थन — उपभोक्ता खर्च में बढ़ोतरी, कंपनियों के लाभ की उम्मीद और ब्याज दर कम होने की संभावना — पर टिके हैं। हालाँकि, तकनीकी रूप से थोड़ा सुधार आ सकता है, लेकिन दीर्घकालिक दिशा अभी भी ऊपर की ओर है।
किन कंपनियों ने इस उछाल में सबसे ज़्यादा योगदान दिया?
बाजाज ऑटो, बाजाज फाइनेंस, रिलायंस इंडस्ट्रीज़ और एचडीएफसी बैंक ने इस रैली में प्रमुख भूमिका निभाई। इनमें से बाजाज फाइनेंस और एचडीएफसी बैंक के शेयर निरंतर ऊपर चढ़ रहे हैं, क्योंकि उनके ऋण बहुत अच्छे रहे हैं और उपभोक्ता ऋण में बढ़ोतरी हुई है।
रिज़र्व बैंक और फेडरल रिज़र्व के ब्याज दर फैसले का क्या प्रभाव होगा?
अगर भारतीय रिज़र्व बैंक ब्याज दर कम करता है, तो बैंकों का कर्ज़ सस्ता होगा और निवेश बढ़ेगा। अमेरिकी फेडरल रिज़र्व का फैसला भी वैश्विक निवेशकों के लिए भारत को आकर्षक बनाता है। दोनों के एक साथ ब्याज दर कम करने की संभावना ने भारतीय शेयर बाजार को वैश्विक निवेशकों की ओर खींच लिया है।
क्या छोटे निवेशकों के लिए अभी निवेश करना सुरक्षित है?
हाँ, अगर आप लंबी अवधि के लिए निवेश कर रहे हैं। अभी का बाजार शेयर बाजार के लिए एक अच्छा मौका है — खासकर मिडकैप और स्मॉलकैप स्टॉक्स में। लेकिन अगर आप तेज़ मुनाफा चाहते हैं, तो ये दौर बहुत अस्थिर हो सकता है। डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो बनाना सबसे सुरक्षित रास्ता है।
क्या रेयर ईथ योजना बाजार को लंबे समय तक प्रभावित करेगी?
बिल्कुल। ये योजना भारत को इलेक्ट्रिक वाहन, रिन्यूएबल एनर्जी और डिफेंस सेक्टर में चीन के ऊपर आत्मनिर्भर बनाएगी। इससे न केवल निर्माण क्षेत्र में निवेश बढ़ेगा, बल्कि टेक्नोलॉजी कंपनियों के लाभ भी बढ़ेंगे। ये एक बड़ा बुनियादी बदलाव है — जो अगले पांच साल तक बाजार को बढ़ावा देगा।
क्या भारतीय बाजार अब वैश्विक बाजारों के समान हो गया है?
अभी नहीं, लेकिन ये दिशा में बहुत आगे बढ़ गया है। अब भारतीय बाजार अमेरिकी और एशियाई बाजारों के साथ निकटता से जुड़ गया है। विदेशी निवेशक अब भारत को एक अलग बाजार नहीं, बल्कि एक अलग अवसर मानते हैं। ये बदलाव अभी शुरू हुआ है — और ये बहुत बड़ा हो सकता है।