राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार: क्या है उनका काम और क्यों जरूरी है?

जब आप टीवी पर या सोशल मीडिया में राष्ट्रीय सुरक्षा की खबर देखते हैं, अक्सर नाम के साथ एक व्यक्ति का जिक्र सुनते हैं – रक्षा मंत्रियों, विदेश मामलों के मंत्री नहीं, बल्कि ‘सुरक्षा सलाहकार’। ये लोग सीधे प्रधानमंत्री को रणनीतिक सुझाव देते हैं और देश की सुरक्षा से जुड़ी बड़ी‑बड़ी फैसलों में मदद करते हैं।

सलाहकार का काम सिर्फ रिपोर्ट पढ़ना या मीटिंग करना नहीं है। वे जासूसियों, खुफिया एजेंसियों और रक्षा संस्थानों से मिली जानकारी को समझते हैं, उसका विश्लेषण करते हैं और फिर आसान भाषा में सरकार के शीर्ष नेताओं तक पहुंचाते हैं। उनका लक्ष्य जोखिम को कम करना और संभावित खतरे का जल्दी पता लगाना होता है।

सलाहकार की भूमिका क्या है?

पहला काम – जानकारी इकट्ठा करना। भारत में विभिन्न एजेंसियों (RAW, IB, NSA) अलग‑अलग डेटा लाते हैं। सलाहकार इसे एक जगह जोड़कर बड़े पैमाने पर देखता है। दूसरा कदम – जोखिम का मूल्यांकन। अगर कोई सीमा के पास असामान्य आंदोलन है या साइबर हमले की संभावना है, तो वह संभावित असर को आंकता है और तय करता है कि कब कौन सा कदम उठाना चाहिए।

तीसरा, नीति बनाना। सलाहकार सरकार को बताता है कि नई नीतियों में क्या जोड़ना चाहिए, जैसे सीमा पर ड्रोन्स का इस्तेमाल या साइबर सुरक्षा के लिए नया कानून। चौथा, आपातकालीन प्रतिक्रिया। अगर अचानक कोई घटना घटती है – चाहे वह आतंकवादी हमला हो या प्राकृतिक आपदा – तो वे तुरंत सबसे प्रभावी कार्रवाई की सलाह देते हैं।

ताज़ा खबरों का असर और हमारे दैनिक जीवन पर क्या पड़ता है?

पिछले कुछ महीनों में कई महत्वपूर्ण अपडेट हुए हैं। उदाहरण के तौर पर, दिल्ली‑एनसीआर में तेज़ आँधी‑बारिश की चेतावनी जारी हुई थी। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने तुरंत मौसम विभाग और आपदा प्रबंधन एजेंसियों को अलर्ट किया, जिससे सड़कों की सफाई और बिजली कटौती जैसी तैयारियां जल्दी पूरी हो सकीं। इसी तरह, विदेशों में उभरते टेरर ख़तरों के बारे में सलाहकार ने विशेष सूचना दी, जिसके कारण एयरपोर्ट सुरक्षा में अतिरिक्त जाँचें लग गईं।

इन फैसलों का असर सीधे आपके रोज़मर्रा जीवन पर पड़ता है – चाहे वह सुरक्षित यात्रा हो, या इंटरनेट पर आपकी व्यक्तिगत जानकारी की रक्षा। जब सरकार तेज़ी से कदम उठाती है, तो आपको झटके कम महसूस होते हैं और भरोसा बढ़ता है। इसलिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के अपडेट को नजर में रखना फायदेमंद होता है।अगर आप इस टैग पेज पर आते हैं, तो आप पाएँगे कि कैसे विभिन्न क्षेत्रों – रक्षा, विदेश नीति, साइबर सुरक्षा आदि – एक साथ जुड़े हुए हैं। हर लेख में हम कोशिश करते हैं कि जटिल सरकारी शब्दों को साधारण भाषा में समझाएँ, ताकि आप बिना किसी झंझट के बात को समझ सकें और अपनी राय बना सकें।

अंत में यही कहा जा सकता है: राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सिर्फ ‘दूर की चीज़’ नहीं हैं, बल्कि वे हमारे देश की शांति और स्थिरता का बुनियादी हिस्सा हैं। उनके काम को जानना आपको सूचित नागरिक बनाता है और कभी‑कभी आपके आसपास के छोटे‑छोटे फैसलों में बड़ा बदलाव लाता है।

डिप्टी एनएसए विक्रम मिश्री बने नए विदेश सचिव, जानिए उनके करियर की खासियतें

के द्वारा प्रकाशित किया गया Ratna Muslimah पर 29 जून 2024

भारत के नए विदेश सचिव के रूप में डिप्टी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) विक्रम मिश्री की नियुक्ति की गई है। आधिकारिक आदेश के अनुसार, मिश्री 15 जुलाई से पदभार संभालेंगे। वह 1989 बैच के भारतीय विदेश सेवा (IFS) अधिकारी हैं और वर्तमान में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय में डिप्टी एनएसए के रूप में कार्यरत हैं। मिश्री विनय मोहन क्वात्रा का स्थान लेंगे, जिन्हें इस वर्ष मार्च में छह महीने का विस्तार मिला था। (आगे पढ़ें)