आपने आजकल हर जगह ‘AI’ या ‘मशीन लर्निंग’ का जिक्र सुना होगा. लेकिन असल में ये चीज़ें हमारे रोज़मर्रा की ज़िंदगी से कैसे जुड़ी हैं? इस लेख में हम बात करेंगे कि मशीन लर्निंग क्या है, किस काम आती है और शुरुआती लोग इसे आसानी से कैसे सीख सकते हैं.
सरल शब्दों में कहें तो मशीन लर्निंग कंप्यूटर को डेटा दिखाकर उसके अंदर पैटर्न पहचानना सिखाता है. जैसे आप एक फोटो देख कर ‘बिल्ली’ या ‘कुत्ता’ पहचानते हैं, वही काम कंप्यूटर को भी बड़े डाटासेट से सीखकर करना होता है.
मुख्य तीन प्रकार होते हैं: सुपरवाइज़्ड लर्निंग (लेबल वाले डेटा पर), अनसुपरवाइज़्ड लर्निंग (बिना लेबल के) और रीइन्फोर्समेंट लर्निंग (परिणाम से सीखना). शुरुआती के लिए सबसे आसान है सुपरवाइज़्ड लर्निंग, जहाँ आप ‘स्पैम ईमेल’ या ‘नॉन‑स्पैम’ जैसा टैग लगा कर मॉडल ट्रेन करते हैं.
1. **पायथन सीखें** – पायथन मशीन लर्निंग की सबसे लोकप्रिय भाषा है. अगर आप अभी कोड नहीं जानते तो ‘Codecademy’ या ‘Coursera’ पर बेसिक कोर्स कर सकते हैं.
2. **डेटा साइंस टूल्स इंस्टॉल करें** – Anaconda, Jupyter Notebook और लाइब्रेरी जैसे pandas, numpy, scikit‑learn को सेटअप करना पहला कदम है. ये सब मुफ्त में मिलते हैं.
3. **छोटे प्रोजेक्ट चुनें** – ‘टाइटनिक सर्बाइवर’ या ‘हाउस प्राइस प्रिडिक्शन’ जैसे क्लासिक डेटासेट्स से शुरुआत करें. Kaggle पर कई आसान ट्यूटोरियल मिलते हैं.
4. **मॉडल बनाकर टेस्ट करें** – डेटा को ट्रेन और टेस्ट सेट में बाँटे, मॉडल ट्रेन्ड करें और सटीकता (accuracy) देखें. अगर स्कोअर कम है तो फीचर इंजीनियरिंग या अल्गोरिद्म बदलें.
5. **समुदाय से जुड़ें** – Reddit के r/MachineLearning, GitHub प्रोजेक्ट्स और स्थानीय मीटअप में भाग लेकर सीखते रहिए. सवाल पूछने से समझ तेज़ होती है.
यदि आप करियर की बात करें तो डेटा साइंटिस्ट, AI रिसर्चर या ML इंजीनियर बनना अभी बहुत फायदेमंद है. भारत में कई कंपनियां जैसे टाटा डिजिटल, इन्फोसिस और स्टार्टअप्स लगातार नए टैलेंट की तलाश में हैं.
एक आख़िरी बात – मशीन लर्निंग सीखने में धैर्य जरूरी है. कभी‑कभी मॉडल उम्मीद से कम काम करता है, लेकिन वही समय होता है जब आप नई तकनीकें आज़माते हैं और बेहतर परिणाम निकालते हैं.
तो अब देर किस बात की? पायथन खोलिए, डेटा डाउनलोड करें और पहला कोड लिखिए. जितना प्रयोग करेंगे उतनी ही जल्दी ‘AI’ आपके हाथों में आएगा.
कैरनेगी मेलन विश्वविद्यालय के भूतपूर्व संकाय सदस्य जेफ्री हिंटन को प्रिंसटन विश्वविद्यालय के जॉन जे. हॉपफील्ड के साथ 2024 का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया है। हिंटन की शोध ने कृत्रिम न्यूरल नेटवर्क के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे मशीनें डेटा से सीख सकें। उनके द्वारा विकसित बैकप्रोपेगेशन एल्गोरिदम ने नई प्रगति के दरवाजे खोले और उनका अनुसरण करने वाले कई शोधकर्ताओं को प्रेरित किया। (आगे पढ़ें)