आपने हाल ही में कई बार सुना होगा कि बिजली कब बंद हो रही है, खासकर गर्मी के मौसम में। इसका मुख्य कारण अक्सर कोयले की कमी बताया जाता है। तो आखिर कोयला कहाँ से आ रहा है, कौन‑सी समस्याएँ हैं और सरकार क्या कर रही है – ये सब जानना जरूरी है। इस लेख में हम सरल शब्दों में समझेंगे कि आजकोयला आपूर्ति का हाल क्या है और आगे के विकल्प क्या हो सकते हैं।
भारत कोयले पर बहुत हद तक निर्भर करता है, खासकर पावर प्लांटों में. प्रमुख स्रोत दो हैं – घरेलू खनन और आयात. झारखंड, छत्तीसगढ़ और ओडिशा से बड़ी मात्रा में कोयला निकाला जाता है, लेकिन इन ख़ानों की उत्पादन क्षमता अब सीमित हो रही है। साथ ही पर्यावरणीय मानदंड कड़े होने से कई नए खान बंद हुए हैं।
आयात के मामले में भारत मुख्यतः इज़राइल, इंडोनेशिया और ऑस्ट्रेलिया पर भरोसा करता है। 2023‑24 में आयात का प्रतिशत लगभग 30% था, लेकिन हाल ही में अंतरराष्ट्रीय कीमतों में उछाल और लॉजिस्टिक देरी ने सप्लाई को तनावग्रस्त कर दिया। इस वजह से कई राज्य बिजली कटौती की योजना बना रहे हैं, क्योंकि कोयले के बिना थर्मल प्लांट चलाना मुश्किल है.
केन्द्र सरकार ने दो प्रमुख उपाय किए हैं – पहली, कोयला उत्पादन बढ़ाने के लिए नए खानों को लाइसेंस देना, लेकिन पर्यावरणीय मंजूरी में देरी से ये योजना अभी शुरुआती चरण में है। दूसरी, वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की ओर धक्का देना। सौर और पवन ऊर्जा का लक्ष्य 2030 तक कुल बिजली क्षमता का 40% बनाने का रखा गया है. इस दिशा में कई बड़े प्रोजेक्ट चल रहे हैं, जैसे कि गुजरात का सौर पार्क और तमिलनाडु का पवन फार्म.
राज्य स्तर पर भी कदम उठाए जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश ने कोयले की बचत करने के लिए ‘क्लीन क्यूब’ तकनीक अपनाई है, जिससे प्लांट की दक्षता बढ़ती है और कम कोयला खर्च होता है. साथ ही कुछ राज्य अब रात‑भर चलने वाले पावर ग्रिड में बैटरियों का प्रयोग कर रहे हैं ताकि पीक लोड को संभाला जा सके.
क्या ये कदम तुरंत असर करेंगे? नहीं, लेकिन दीर्घकालिक रूप से बिजली कटौती कम होनी शुरू होगी. अभी के लिए उपयोगकर्ता भी कुछ छोटे‑छोटे उपाय अपना सकते हैं – जैसे कि एसी की सेटिंग 24 डिग्री पर रखना, लाइट्स को LED में बदलना और अनावश्यक उपकरण बंद रखना.
समाप्ति में यह कहा जा सकता है कि कोयला आपूर्ति आज चुनौतीपूर्ण स्थिति में है, लेकिन सरकार के नए नियम, नवीकरणीय ऊर्जा की तेज़ी से बढ़ती भागीदारी और व्यक्तिगत बचत उपाय मिलकर समस्या का समाधान करेंगे. अगर हम सब मिलकर ऊर्जा बचाने पर ध्यान दें, तो भविष्य में बिजली कटौती कम होगी और स्थायी विकास संभव होगा.
अदानी समूह का बाजार पूंजीकरण $200 अरब (Rs 16.9 लाख करोड़) के स्तर पर फिर से लौट आया है। इस बड़े उछाल के बावजूद समूह ने तमिलनाडु पावर कंपनी को कोयला आपूर्ति में धोखाधड़ी के आरोपों को खारिज कर दिया है। समूह ने कहा कि कोयले की गुणवत्ता की जाँच कई बिंदुओं पर स्वतंत्र रूप से की गई थी। विपक्षी नेताओं ने संयुक्त संसदीय समिति द्वारा जाँच की माँग की है। (आगे पढ़ें)