जब हम बात इन्कम टैक्स एक्ट, भारत में आयकर नियमों को परिभाषित करने वाला मुख्य कानून की करते हैं, तो समझना जरूरी है कि यह आयकर अधिनियम, कानूनी ढांचा जो विभिन्न आय वर्गों पर कर दर तय करता है से जुड़ा है। यही एक्ट आयकर रिटर्न, वित्तीय वर्ष के अंत में दाखिल करने वाला फॉर्म की फॉर्मेट और समयसीमा निर्धारित करता है। साथ ही, टैक्स प्लानिंग टैक्स प्लानिंग, कर बचत के लिए रणनीति बनाना को प्रभावी बनाता है। इस परिचय में हमने तीन प्रमुख संबंधीय इकाइयों को चिह्नित किया क्योंकि ये हर आयकर दायरकर्ता के लिए दैनिक कामकाज का हिस्सा हैं।
इन्कम टैक्स एक्ट सिर्फ एक कागजी दस्तावेज़ नहीं, बल्कि वास्तविक जीवन में लागू होने वाला ढांचा है। इन्कम टैक्स एक्ट आयकर रिटर्न की फाइलिंग को तय करता है, जिससे हर करदात्ता को यह पता चलता है कि कौन‑सा आय वर्ग किस स्लैब में आता है। आयकर रिटर्न टैक्स प्लानिंग के लिए आधार बनाता है, इसलिए सही समय पर रिटर्न जमा करना प्लानिंग की सफलता का पहला कदम है। टैक्स प्लानिंग वित्तीय वर्ष में कर बचत को अधिकतम करता है, क्योंकि यह विभिन्न अनुभाग‑विशेष छूट (जैसे हाउस प्रॉपर्टी, मेडिकल बीमा, शिक्षा खर्च) को समझने में मदद करता है। 2024‑25 के बजट में कई धारा‑परिवर्तन हुए थे – जैसे 80D के तहत वरिष्ठ नागरिकों के लिए अतिरिक्त कटौती, और 80C की सीमा को 1.5 लाख से 2 लाख तक बढ़ाया गया। ये बदलाव इन्कम टैक्स एक्ट के तहत नई रणनीतियों की जरूरत पैदा करते हैं, इसलिए टैक्स प्लानिंग को अपडेट रखना अनिवार्य है। वित्तीय वर्ष का अर्थ 1 अप्रैल से 31 मार्च तक का गैप है, जहाँ सब कुछ – आय, निवेश, किराया, देनदारी – को इन्कम टैक्स एक्ट के नियमों के साथ मिलाकर देखें तो कुल मिलाकर कर बोझ घटाया जा सकता है।
अब जब आप इन्कम टैक्स एक्ट, आयकर अधिनियम, आयकर रिटर्न और टैक्स प्लानिंग के बीच का जाल समझ गए हैं, तो हमारे नीचे दिए गए लेखों में आपको ताज़ा अपडेट, विशेषज्ञों के विचार और व्यवहारिक टिप्स मिलेंगे। चाहे आप अपने पहले रिटर्न के बारे में झुंझलाहट महसूस कर रहे हों, या एक अनुभवी करदाता हों जो नई छूटों को प्लान में जोड़ना चाहते हों – इस टैग पेज पर सब कुछ व्यवस्थित रूप से उपलब्ध है। नीचे की सूची में हालिया समाचार, केस स्टडी और आसान‑से‑फॉलो गाइड्स हैं, जो आपके कर‑जागरूकता को अगले स्तर तक ले जाने में मदद करेंगे। आगे बढ़ें, पढ़ें और अपने टैक्स को समझदारी से मैनेज करें।
CBDT ने 25 सितंबर 2025 को टैक्स ऑडिट रिपोर्ट की अंतिम तिथि 31 अक्टूबर 2025 तक बढ़ा दी, जिससे बाढ़‑प्रभावित क्षेत्रों के करदाताओं को राहत मिली। (आगे पढ़ें)