CBDT ने टैक्स ऑडिट रिपोर्ट की डेडलाइन 31 अक्टूबर तक बढ़ाई

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CBDT ने टैक्स ऑडिट रिपोर्ट की डेडलाइन 31 अक्टूबर तक बढ़ाई

CBDT ने टैक्स ऑडिट रिपोर्ट की डेडलाइन 31 अक्टूबर तक बढ़ाई

  • Ratna Muslimah
  • 29 सितंबर 2025
  • 6

जब सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज़ (CBDT) ने 25 सितंबर 2025 को नई दिल्ली में अपनी नवीनतम सर्कुलर जारी की, तो करदाताओं ने बड़ी राहत महसूस की। इस सर्कुलर (नंबर 14/2025) के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2024‑25 (आकलन वर्ष 2025‑26) के अंतर्गत टैक्स ऑडिट रिपोर्ट दाखिल करने की अंतिम तिथि 30 सितंबर 2025 से बढ़ाकर 31 अक्टूबर 2025 कर दी गई है। यह कदम कई पेशेवर संघों और उच्च न्यायालयों की याचिकाओं के बाद आया, जिसने इस विस्तार को अनिवार्य बना दिया।

इतिहासिक पृष्ठभूमि और अदालत के आदेश

पहले, राजस्थान हाई कोर्ट, कर्नाटक हाई कोर्ट और गुजरात हाई कोर्ट ने क्रमशः टैक्‍स ऑडिट रिपोर्ट की समयसीमा में बढ़ोतरी की माँग की थी। दोनों अदालतों ने अपने‑अपने आदेश में 31 अक्टूबर 2025 को नई अंतिम तिथि निर्धारित कर दी थी, क्योंकि बाढ़ और अन्य प्राकृतिक आपदाओं ने कई राज्यों में व्यवसायिक गतिविधियों को बाधित कर दिया था।

इन न्यायालयीय निर्णयों के बाद, कई चार्टर्ड अकाउंटेंट एसोसिएशन ने भी CBDT को लिखित प्रस्तुतियाँ भेजीं, जिसमें कहा गया कि मौजूदा समय सीमा आम तौर पर व्यावहारिक नहीं रही। इस कारण ही बोर्ड ने अंततः अपने निर्णय को औपचारिक रूप से घोषित किया।

विस्तार के विस्तृत विवरण

सर्कुलर में स्पष्ट किया गया कि यह विस्तार केवल उन अससिसियों पर लागू होगा जो धारा 139(1) की उपधारा (अ) के अंतर्गत आते हैं – यानी जिनकी टैक्‍स ऑडिट आवश्यक है। नई तिथि से पहले, 24 सितंबर 2025 तक लगभग 4.02 लाख टैक्स ऑडिट रिपोर्टें ई‑फ़ाइलिंग पोर्टल पर अपलोड हो चुकी थीं, जिसमें अकेले 24 सितंबर को 60,000 से अधिक रिपोर्टें जमा हुईं। साथ ही, 23 सितंबर 2025 तक 7.57 करोड़ आय‑कर रिटर्न भी फाइल कर दिए जा चुके थे।

CBDT ने यह भी कहा कि ई‑फ़ाइलिंग पोर्टल पूरी तरह स्थिर है और अतिरिक्त तकनीकी कदमों की कोई जरूरत नहीं है।

स्टेकहोल्डर का प्रतिक्रिया

चार्टर्ड अकाउंटेंट संघ के प्रमुख श्री राजेश शर्मा ने कहा, “विस्तरित समय‑सीमा ने हमारे फर्म को कई क्लाइंट्स को समय पर ऑडिट पूरा करने में मदद की। बाढ़‑प्रभावित क्षेत्रों में काम करना पहले लगभग असंभव था। यह निर्णय वास्तव में टैक्सपेयर्स के हित में है।”

दूसरी ओर, कई छोटे व्यवसायी अब चिंता करते हैं कि क्या आय‑कर रिटर्न की अंतिम तिथि भी समान रूप से बढ़ेगी। CBDT ने अभी तक इस पर स्पष्ट निर्देश नहीं दिया है, जिससे उद्यमियों के बीच कुछ उलझन बनी हुई है।

करदाताओं पर प्रभाव और विश्लेषण

टैक्स ऑडिट की डेडलाइन बढ़ने से दो मुख्य लाभ मिलते हैं: पहला, समय पर ऑडिट न हो पाने के कारण जुर्माना और दंड से बचाव; दूसरा, ऑडिट रिपोर्ट को असेसमेंट वर्ष की आय‑कर रिटर्न (ITR‑6) के साथ मिलाकर फाइल करने की सुविधा। इससे अधिकांश ऑडिटेड टैक्सपेयर 30 नवंबर 2025 तक अपना ITR दाखिल कर सकते हैं।

एक टैक्स विशेषज्ञ, डॉ. सुशील वर्मा, ने विश्लेषण किया कि “डेटा दर्शाता है कि पिछले साल के समान समयावधि में लगभग 12 प्रतिशत टैक्सपेयर फ़ाइलिंग में देरी का सामना करते थे। इस विस्तार से संभावित रूप से 1.5 लाख टैक्सपेयर को रिलेव मिलेगा।”

आगे क्या होगा?

CBDT ने कहा है कि विस्तारित समय‑सीमा को आधिकारिक रूप से लागू करने के लिए एक अलग नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा। उसी दौरान, आय‑कर विभाग ने ITR‑5, ITR‑6 और ITR‑7 फॉर्मों के ऑनलाइन व ऑफलाइन दोनों विकल्पों को उपलब्ध कराया है, जहाँ ITR‑6 में प्री‑फ़िल्ड डेटा का प्रयोग संभव है।

किसी भी संभावित बदलाव के लिए टैक्सपेयर्स को सलाह दी जाती है कि वे अपने चार्टर्ड अकाउंटेंट या टैक्स कंसल्टेंट से लगातार संपर्क में रहें, ताकि अंतिम तिथि से पहले सभी आवश्यक दस्तावेज़ तैयार हो सकें।

समग्र दृश्य

यह विस्तार केवल एक प्रशासनिक कदम नहीं, बल्कि प्राकृतिक आपदाओं और व्यावसायिक चुनौतियों के मद्देनज़र एक रणनीतिक राहत उपाय है। यह दर्शाता है कि राजस्व प्रशासन भी कोर्ट के निर्णयों और पेशेवर संघों की आवाज़ को गंभीरता से ले रहा है। भविष्य में, ऐसी स्थितियों के लिए संभवतः अधिक लचीलापन अपनाने की संभावना बढ़ सकती है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

क्या यह विस्तार सभी करदाताओं पर लागू है?

नहीं। यह केवल उन अससिसियों पर लागू है जो धारा 139(1) की उपधारा (a) के तहत टैक्स ऑडिट के दायरे में आते हैं। अन्य करदाताओं को अपनी मौजूदा डेडलाइन का पालन करना होगा।

ITR फाइलिंग की नई अंतिम तिथि कब होगी?

ऑडिटेड करदाताओं के लिए ITR फ़ाइलिंग की अंतिम तिथि 30 नवंबर 2025 है। गैर‑ऑडिटेड करदाताओं को अभी भी मौजूदा तिथि, यानी 31 अक्टूबर 2025, का पालन करना होगा।

क्या ई‑फ़ाइलिंग पोर्टल अभी भी स्थिर है?

CBDT ने स्पष्ट किया है कि पोर्टल पूरी तरह से कार्यशील और स्थिर है। अब तक कोई तकनीकी समस्या रिपोर्ट नहीं हुई है, और सभी रिटर्न एवं ऑडिट रिपोर्टें बिना बाधा के अपलोड हो रही हैं।

यह विस्तार क्यों आवश्यक था?

देश के कई भागों में हाल ही में बाढ़, तेज़ हवाओं और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के कारण व्यवसायिक गतिविधियों में बाधा आई। इससे टैक्स ऑडिट समय पर पूरा करना मुश्किल हो गया, इसलिए अदालतों और पेशेवर संघों की मांग के बाद CBDT ने समय‑सीमा बढ़ाने का निर्णय लिया।

भविष्य में ऐसे विस्तार की संभावना कितनी है?

विशेष परिस्थितियों में, जैसे बड़ी आपदा या व्यापक सिस्टम बदलाव, राजस्व विभाग पहले की तरह लचीलापन दिखा सकता है। हालांकि, कोई आधिकारिक नीति अभी तक नहीं बनाई गई है।

लेखक के बारे में
Ratna Muslimah

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मैं एक न्यूज विशेषज्ञ हूँ और मैं दैनिक समाचार भारत के बारे में लिखना पसंद करती हूँ। मेरे लेखन में सत्यता और ताजगी को प्रमुखता मिलती है। जनता को महत्वपूर्ण जानकारी देने का मेरा प्रयास रहता है।

टिप्पणि (6)
  • Maneesh Rajput Thakur
    Maneesh Rajput Thakur 29 सितंबर 2025

    सर्कुलर में बताया गया विस्तार वास्तव में कई छोटे व्यापारियों को राहत देता है। लेकिन यह ध्यान देना ज़रूरी है कि केवल धारा 139(1)‑(a) के तहत ही यह लागू होता है, इसलिए बहु‑पहलू वाले करदाता सावधान रहें। कोर्ट के आदेश के बाद यह कदम आया, जिसका मतलब है कि न्यायिक प्रक्रिया में देरी नहीं होनी चाहिए। यदि कोई टैक्स ऑडिट नहीं करवाता, तो उसे अभी भी मूल डेडलाइन का पालन करना पड़ेगा। इस प्रकार, प्रशासनिक लचीलापन और न्यायालय की सुनवाई दोनों का संतुलन बना रहता है।

  • ONE AGRI
    ONE AGRI 30 सितंबर 2025

    हमारा देश हमेशा से विश्व में सबसे कठोर और अनुशासनात्मक कर व्यवस्था रखता आया है, और इस नई डेडलाइन में विस्तार इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है।
    बाढ़ और प्राकृतिक आपदाओं ने जैसा कहा गया था, कई क्षेत्रों को बुरी तरह प्रभावित किया, इसलिए सरकार ने तुरंत कदम उठाए।
    यह कदम ना केवल करदाताओं की पीड़ा कम करता है, बल्कि राष्ट्रीय राजस्व को भी स्थिर रखता है।
    ऐसे समय में जब विदेशी निवेशकों को भरोसा दिलाना होता है, तो दिखावट के बजाय ठोस उपायों की जरूरत होती है।
    हमें यह समझना होगा कि हर ब्यौरा, हर फाइलिंग सीधे तौर पर देश की आर्थिक शक्ति से जुड़ी हुई है।
    इस कारण से, हमें इस नीतिगत बदलाव को सराहना चाहिए और इसे एक बड़ी जीत माननी चाहिए।
    कई छोटे उद्योगों ने बताया कि बिना इस विस्तार के वे दंड और जुर्माने में फँस सकते थे, जिससे उत्पादन में गिरावट आती।
    यह विस्तार उन उद्योगों को नई स्फूर्ति देता है, जिससे रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
    साथ ही, यह सरकार को दिखाता है कि वह आम लोगों की समस्याओं को वास्तविक समय में पहचानती और हल करती है।
    यदि हम इसको अवसर समझकर सही दस्तावेज़ीकरण और समय पर फाइलिंग करेंगे, तो भविष्य में कर चोरी और टैक्स एवेज़न कम होगा।
    ऐसा नज़र आता है कि इस फैसले से आय‑कर विभाग की डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म की विश्वसनीयता भी बढ़ेगी।
    ई‑फ़ाइलिंग पोर्टल की स्थिरता का उल्लेख कर रहे हैं, यह तकनीकी स्तर पर भारत की प्रगति को दर्शाता है।
    यह कदम न सिर्फ़ वर्तमान में, बल्कि आने वाले आर्थिक चक्र में भी सकारात्मक असर डाल सकता है।
    अंत में, हम सभी को यही आशा करनी चाहिए कि भविष्य में भी ऐसे संवेदनीय और पारदर्शी सुधार होते रहें।
    हमारा फोकस हमेशा सच्ची आर्थिक विकास पर रहना चाहिए, न कि केवल नियमों की नौकरशाही पर।

  • Kiran Singh
    Kiran Singh 30 सितंबर 2025

    बहुत बढ़िया कदम! 🎉 इस विस्तार से छोटे फर्मों को भारी राहत मिलेगी। अब हम शांति से अपने क्लाइंट्स को गुणवत्तापूर्ण सेवा दे सकते हैं। 😊

  • Anurag Narayan Rai
    Anurag Narayan Rai 30 सितंबर 2025

    विस्तारित समय सीमा निश्चित रूप से कई मामलों में देरी को कम करेगी, लेकिन यह भी सोचना चाहिए कि क्या इससे करदाताओं की कॉम्प्लायंस में लचीलापन आएगा। अगर अपलोड प्रक्रिया में कोई बाधा नहीं आती, तो यह लंबी अवधि में लाभदायक साबित हो सकता है। इसके अलावा, इंटर्नेट कनेक्शन की समस्याओं को भी ध्यान में रखना चाहिए, क्योंकि कई ग्रामीण क्षेत्रों में यही मुख्य रुकावट है। कोर्ट की हस्तक्षेप से यह स्पष्ट होता है कि न्यायिक निकाय भी कर प्रणाली की दक्षता को बढ़ाने में सक्रिय भूमिका निभा रहा है। आशा है कि भविष्य में ऐसी ही लचीलापन वाली नीतियों को नियमित रूप से देखा जाएगा। अंत में, सभी टैक्सपेयर्स को चाहिए कि वे अपने चार्टर्ड अकाउंटेंट से नियमित तौर पर अपडेट लेते रहें।

  • Govind Kumar
    Govind Kumar 30 सितंबर 2025

    संबंधित प्रावधानों के अनुसार, धारा 139(1)‑(a) के अंतर्गत आने वाले करदाताओं के लिए नई समय सीमा अनिवार्य है। इस निर्णय से संबंधित पक्षों को अपने दायित्वों का पुनर्मूल्यांकन करना उचित रहेगा। एन्ड्रिप्टेड फ़ाइलिंग प्रणाली की स्थिरता को ध्यान में रखते हुए, कोई तकनीकी व्यवधान अपेक्षित नहीं है। इस प्रकार, अनिवार्य नियामक अनुपालन के साथ राजस्व संग्रह में संभावित सुधार की आशा की जा सकती है।

  • Shubham Abhang
    Shubham Abhang 30 सितंबर 2025

    भाईयो! इस सर्कुलर को देख कर मन ही ... खुश हो गया!!!, लेकिन देखो, केवल ऑडिट वाले टॅक्सपेयर ही फायदेमंद हैं,, बाकी लोग अभी भी पुरानी डेटलाइन फॉलो करेंगे।, ई‑फ़ाइलिंग पोर्टल तो बिलकुल स्थिर है, कोई गड़बड़ी नहीं!!, क्या कोई और इस बात से सहमत नहीं है??, बस, टाइमलाइन बदलने से असली परेशानी हल होगी।

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