जब कोई नया स्टार्टअप या प्रोजेक्ट शुरू होता है तो अक्सर उसे शुरुआती पूँजी की जरूरत पड़ती है। इसी जगह एंकर निवेशक आते हैं – वो लोग जो पहले दौर में बड़े पैमाने पर पैसे लगाते हैं और बाकी फंडिंग को आसान बनाते हैं. उनके पास न सिर्फ पैसा, बल्कि अनुभव भी होते हैं, इसलिए उनका समर्थन अक्सर कंपनी के लिए भरोसे का संकेत माना जाता है.
पहले तो अपने प्रोजेक्ट की जरूरत समझिए। अगर आपको जल्दी स्केल‑अप करना है और बाजार में जगह बनानी है, तो ऐसे एंकर चाहिए जो उद्योग से जुड़े हों. फिर उनका ट्रैक रिकॉर्ड देखिए – पिछले इन्वेस्टमेंट्स सफल रहे या नहीं. एक आसान तरीका ये है कि आप उनके पोर्टफोलियो कंपनी की ग्रोथ रेट देखें. अगर कई कंपनियां 2‑3 साल में बढ़ी हैं, तो वह निवेशक भरोसेमंद हो सकता है.
बड़ी रकम लगाते ही एंकर निवेशकों की डिमांड भी बढ़ती है. वो अक्सर कंपनी पर अधिक नियंत्रण चाहते हैं – बोर्ड में सीट, रणनीतिक फैसले आदि. अगर आप पूरी आज़ादी चाहिए तो शर्तें पहले से तय कर लो. दूसरा जोखिम यह है कि कुछ एंकर अपनी खुद की अपेक्षाओं के कारण प्रोजेक्ट को जल्दी बंद कर सकते हैं. इसलिए निवेश समझौते में एक ‘ट्रिगर क्लॉज़’ रखें, जिससे दोनों पक्ष सुरक्षित रहें.
एक और बात ध्यान रखिए – एंकर निवेशक अक्सर अगली फंडिंग राउंड में भी मदद करते हैं. इसका मतलब है कि आपको उनके साथ अच्छा रिश्ता बनाए रखना चाहिए. नियमित अपडेट देना, प्रगति रिपोर्ट शेयर करना और जब जरूरत पड़े तो सलाह लेना आपके लिए फायदेमंद रहेगा.
समाप्ति में यह याद रखें कि एंकर निवेशक सिर्फ पैसा नहीं लाते, वो नेटवर्क, मार्केट एक्सेस और बेस्ट प्रैक्टिस भी देते हैं. अगर आप सही साथी चुनते हैं तो आपका स्टार्टअप तेजी से बढ़ सकता है. इसलिए समय ले कर रिसर्च करें, सवाल पूछें और अपने लक्ष्य के अनुसार निर्णय लें.
ओला इलेक्ट्रिक ने अपने प्रारंभिक सार्वजनिक निष्कर्ष (IPO) से पहले एंकर निवेशकों से ₹2,763 करोड़ जुटाए हैं। IPO आज से खुल रहा है और इसका लक्ष्य ₹4,073 करोड़ जुटाना है। कंपनी ने IPO के लिए मूल्य बैंड ₹59-62 प्रति शेयर निर्धारित किया है। यह IPO ओला की उत्पाद पेशकश और निर्माण क्षमता को बढ़ाने की रणनीति का हिस्सा है। (आगे पढ़ें)