डेटा सेंटर वो जगह है जहाँ बड़े‑बड़े सर्वर, स्टोरेज और नेटवर्क डिवाइस एक साथ रखे जाते हैं। ये सर्वर हमारी वेबसाइट, वीडियो, ऐप और ऑनलाइन क्लासेस का डेटा संभालते हैं। बिना डेटा सेंटर के इंटरनेट पर कोई भी चीज़ सही से नहीं चल पाएगी। एक लाइन में कहा जाए तो, डेटा सेंटर डिजिटल दुनिया का ह्रदय है।
आज‑कल हर स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी ऑनलाइन लर्निंग का इस्तेमाल कर रही है। उसी कारण से डेटा सेंटर की मांग बढ़ी है। अगर आपके पास भरोसेमंद डेटा सेंटर नहीं है तो लेक्चर के रिकॉर्डिंग, ई‑पुस्तकें या क्विज़ेस अक्सर lag या टूट सकते हैं। इसलिए शिक्षा सेक्टर में भी डेटा सेंटर का रोल बहुत बढ़ गया है।
डेटा सेंटर में सबसे पहले आते हैं सर्वर। ये छोटे कंप्यूटर होते हैं जो डेटा प्रोसेस करते हैं। फिर स्टोरेज यूनिट्स—SSD या HDD—जिनमें सभी फाइलें सुरक्षित रहती हैं। नेटवर्क इक्विपमेंट (राउटर, स्विच) इन सबको आपस में जोड़ता है, ताकि डेटा जल्दी से तय कर सके। इसके अलावा पावर सप्लाई, बैक‑अप जेनरेटर और एयर कंडीशनिंग भी जरूरी हैं, क्योंकि सर्वर को स्थिर तापमान चाहिए। अगर इनमें से कोई भी घटक फेल हो जाए तो पूरे सिस्टम में समस्या आ सकती है।
एक और चीज़ है सुरक्षा। फिजिकल सेक्योरिटी (कैमराव, बायोमैट्रिक) और साइबर सेक्योरिटी (फ़ायरवॉल, एंटी‑वायरस) दोनों को ध्यान में रखना पड़ता है। इसलिए बड़े डेटा सेंटर में 24×7 निगरानी टीम होती है।
पिछले पाँच साल में भारत ने डेटा सेंटर में भारी निवेश किया है। मुंबई, पुणे, चेन्नई और बंगलौर जैसे शहरों में कई नए फ़ेसिलिटी खुले हैं। मुख्य कारण हैं बढ़ती इंटरनेट उपयोगकर्ता संख्या, क्लाउड सेवाओं की पसंद और सरकारी डिजिटल पहलें जैसे "डिजिटल इंडिया"। अब छोटे‑छोटे स्टार्ट‑अप भी बड़े क्लाउड प्रोवाइडर्स के साथ मिलकर अपने डेटा को सुरक्षित रख सकते हैं।
सुरक्षा मानकों को भी कड़ा किया गया है। भारत ने "डेटा प्रोटेक्टेशन एक्ट" को अपडेट किया, जिससे कंपनियों को डेटा स्टोरेज के नियमों का पालन करना ज़रूरी हो गया। इससे विदेशी कंपनियों को भारत में डेटा सेंटर लगाने में आसानी हुई, क्योंकि अब उनका डेटा स्थानीय कानूनों के तहत सुरक्षित रहता है।
आगे बढ़ते हुए, एआई और बिग डाटा की बढ़ती जरूरतों के कारण डेटा सेंटर के आकार और प्रोसेसिंग पावर में इजाफ़ा होगा। एज़ कंप्यूटिंग—डेटा को यूज़र के करीब लाना—भी जल्दी से लोकप्रिय हो रहा है। इसका मतलब है, छोटे‑छोटे माइक्रो‑डेटा सेंटर शहरों के पास ही बनेंगे, जिससे लेटेंसी कम होगी और यूज़र एक्सपीरिएंस बेहतर होगा।
अगर आप एक शैक्षणिक संस्थान चला रहे हैं या कोई छोटा बिज़नेस है, तो अब बड़े डेटा सेंटर चुनने से पहले अपने जरूरतों को समझें। क्या आपको हाई‑सुरक्षा चाहिए? क्या आपका डेटा अक्सर एक्सेस होता है? इन सवालों के जवाब से आप सही प्राइसेस, लोकेशन और सर्विस लेवल चुन पाएंगे।
संक्षेप में, डेटा सेंटर सिर्फ आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है, बल्कि आज की डिजिटल शिक्षा, ई‑कमर्स और कई ऑनलाइन सर्विसेज़ का आधार है। इसे समझना और सही निर्णय लेना आपके बिज़नेस या एजुकेशन प्लेटफ़ॉर्म को आगे बढ़ा सकता है।
रिलायंस जियो ने 17 सितंबर 2024 को एक बड़े नेटवर्क वाउटेज का सामना किया, जिससे ग्राहक प्रभावित हुए। डेटा सेंटर में आग लगने से सेवाएं बाधित रहीं। कंपनी ने त्वरित कार्रवाई करते हुए समस्या का समाधान किया और सेवाएं बहाल कीं। (आगे पढ़ें)