आपने शायद समाचार में चांदीपुरा वायरस का नाम सुना होगा, लेकिन असली बात क्या है? ये एक नई प्रकार की वायरल बीमारी है जो पिछले साल के अंत से छोटे शहरों और गांवों में फैल रही है। अब तक इसके कई केस मिले हैं, पर डॉक्टरों ने बताया कि अगर सही समय पर पहचान हो जाए तो आसानी से ठीक किया जा सकता है। इस लेख में हम सीधे-सीधे बताएंगे कि वायरस कैसे काम करता है, कौन‑से लक्षण देखना चाहिए और रोज़मर्रा की छोटी‑छोटी आदतों से आप खुद को कैसे बचा सकते हैं।
चांदीपुरा वायरस के शुरुआती लक्षण अक्सर फ्लू या सर्दी जैसी ही दिखते हैं, इसलिए कई बार लोग इसे हल्के में ले लेते हैं। आम तौर पर बुखार (101°F से ऊपर), सिरदर्द, शरीर में थकान और खाँसी प्रमुख होते हैं। कुछ मामलों में गले में जलन या नाक बहना भी देखा गया है। अगर ये लक्षण दो‑तीन दिन तक बने रहें और साथ ही तेज़ी से सांस फूलने की शिकायत शुरू हो जाए तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। खास बात यह है कि वायरस का असर बच्चों और बुज़ुर्गों पर ज़्यादा होता है, इसलिए इन उम्र वर्ग के लोगों में हल्का भी बुखार दिखे तो सावधानी बरतें।
वायरस का सबसे बड़ा रास्ता हाथों की सफाई और सामाजिक दूरी है। साबुन से कम से कम 20 सेकंड तक हाथ धोएँ, खासकर बाहर आने‑जाने या सार्वजनिक जगहों पर स्पर्श करने के बाद। अगर पानी नहीं मिल रहा तो अल्कोहल‑आधारित हैंड सैनिटाइज़र इस्तेमाल कर सकते हैं। घर में एयर प्यूरीफ़ायर या खुली खिड़कियों से ताज़ा हवा का प्रवाह रखें, इससे वायरस के कण कम देर तक रहेंगे। भीड़भाड़ वाले स्थानों से बचें, विशेषकर बंद बाजार और सार्वजनिक परिवहन में जहाँ संपर्क अधिक होता है।
खान‑पान की बात करें तो विटामिन‑सी और प्रोटीन वाला आहार इम्यूनिटी को बूस्ट करता है। नींबू पानी, फलों का जुस या दही रोज़ाना लें। अगर आपको पहले से कोई पुरानी बीमारी जैसे डायबिटीज या हाई ब्लड प्रेशर है तो डॉक्टर की सलाह से नियमित चेक‑अप करवाते रहें। यह छोटे‑छोटे बदलाव वायरस के फैलाव को काफी हद तक रोक सकते हैं।
किसी भी तरह का एंटीवायरल दवा सिर्फ़ डॉक्टर की परामर्श से ही लें। खुद से कोई दवा मिलाना या गॉरमेटिक ट्रीटमेंट अपनाने से समस्या बढ़ सकती है। अगर बुखार बहुत तेज़ हो, सांस लेने में कठिनाई या छाती में दर्द महसूस हो तो तुरंत एम्ब्युलेंस बुलाएँ; ये संकेत गंभीर स्थिति का संकेत हैं और जल्दी इलाज ज़रूरी है।
समाज में जागरूकता भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। अपने पड़ोसियों को सफ़ाई के नियमों के बारे में बताएं, बच्चों को हाथ धोने की आदत डालें और सोशल मीडिया पर झूठी खबरों को फैलाने से बचें। जब तक हम सभी मिलकर सावधानी बरतेंगे, तब तक इस वायरस को नियंत्रित करना आसान हो जाएगा।
संक्षेप में, चांदीपुरा वायरस कोई जटिल रोग नहीं है—समय पर पहचान और सही सफ़ाई के नियमों से इसे मात दी जा सकती है। अगर आप या आपके परिवार में कोई ऊपर बताए गए लक्षण महसूस करे तो देर न करें, तुरंत डॉक्टर से मिलें। स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें, छोटी‑छोटी आदतों को बदलें और सुरक्षित रहें।
जुलाई 10 से अबतक गुजरात में छह बच्चों की संदिग्ध चांदीपुरा वायरस के कारण मौत हो गई है। कुल 12 मामले दर्ज किए गए हैं। यह वायरस ज्यादातर बुखार और तीव्र मस्तिष्कजनित शूल पैदा करता है और मच्छरों, टिकों और सैंड फ्लाई के जरिए फैलता है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल ने पुष्टि की है कि मरीजों के नमूने पुणे के राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान भेजे गए हैं। (आगे पढ़ें)