सरकार ने स्पष्ट किया: 2000 रुपए से कम UPI ट्रांजैक्शन पर GST नहीं लगेगा

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सरकार ने स्पष्ट किया: 2000 रुपए से कम UPI ट्रांजैक्शन पर GST नहीं लगेगा

सरकार ने स्पष्ट किया: 2000 रुपए से कम UPI ट्रांजैक्शन पर GST नहीं लगेगा

  • Ratna Muslimah
  • 20 जुलाई 2025
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UPI लेनदेन पर GST: भ्रम या हकीकत?

इन दिनों सोशल मीडिया पर अफवाह तेजी से फैलाई जा रही है कि सरकार अब 2000 रुपए से ज्यादा के UPI लेनदेन पर GST लगाएगी। लेकिन वित्त मंत्रालय ने यह साफ कर दिया है कि ऐसी कोई भी खबर पूरी तरह से निराधार है। न तो सरकार ने कोई ऐसा प्रस्ताव भेजा है, न ही कोई नोटिफिकेशन जारी हुआ है। यही नहीं, सरकार ने खुलकर कहा है कि GST सिर्फ उन चार्जेज़ पर लगता है, जो मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) के नाम पर लिए जाते हैं, और वो भी UPI ट्रांजैक्शन के लिए पिछले चार साल से पूरी तरह खत्म हो चुका है।

दरअसल, जनरल पब्लिक जब दुकानदार को UPI से पेमेंट करती है, तो इसमें किसी तरह का MDR नहीं लिया जाता। 2020 में वित्त मंत्रालय ने नोटिफिकेशन के जरिए UPI और रुपे ट्रांजैक्शन पर MDR को हटा दिया था। इसका मतलब, जब कोई ग्राहक किसी मर्चेंट को UPI के जरिए पेमेंट करता है, तो उससे कोई एक्स्ट्रा चार्ज नहीं लिया जाता—इसलिए GST भी लागू नहीं होता।

सरकार की डिजिटल पेमेंट नीति और कारोबारियों से जुड़े नियम

सरकार की नीति रही है कि डिजिटल पेमेंट को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा दिया जाए। इसी मकसद से 2021-22 से ऑपरेशनल इंसेंटिव स्कीम भी शुरू की गई, जिसमें UPI के कम मूल्य के लेनदेन पर बैंक और भुगतान सेवा प्रदाताओं को प्रोत्साहन राशि मिलती है। लगातार तीन सालों में प्रोत्साहन स्कीम के तहत लगभग 7,200 करोड़ रुपए वितरित किए जा चुके हैं। इससे UPI ट्रांजैक्शन में जबरदस्त उछाल आया है—2019-20 में जहां UPI का कुल ट्रांजैक्शन 21 लाख करोड़ था, वह अब 260 लाख करोड़ के पार हो गया है। खास बात, P2M यानी पर्सन-टू-मर्चेंट ट्रांजैक्शन 59 लाख करोड़ के आंकड़े को छू चुके हैं।

अब बात छोटे कारोबारियों की, जिनके पास हाल ही में कुछ GST नोटिस भेजे गए। इनमें UPI ट्रांजैक्शन के आधार पर डाटा लिया गया था। इन नोटिसों को लेकर गलतफहमियां फैलीं कि सरकार UPI पर टैक्स वसूल रही है। जबकि हकीकत यह है कि कानून के मुताबिक, सालाना 40 लाख या इससे ज्यादा की बिक्री (गुड्स) या 20 लाख से ज्यादा (सर्विस) होने पर कारोबारियों के लिए GST रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है। अगर कोई कारोबारी पैकेज्ड स्नैक्स या टैक्सेबल आइटम्स बेचता है, तब ही रजिस्ट्रेशन की जरूरत है। जरूरी चीज़ें, जैसे ब्रेड वगैरह, GST के दायरे में नहीं आतीं।

इसलिए, असल में इन नोटिसों का मकसद टैक्स चोरी की जांच या सिस्टम में पारदर्शिता लाना है, न कि UPI के माध्यम से छोटे लेन-देन पर टैक्स लगाना। सरकार का फोकस डिजिटल ट्रांजैक्शन को लगातार बढ़ाने और यूजर्स के लिए सुविधा बढ़ाने पर है।

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Ratna Muslimah

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मैं एक न्यूज विशेषज्ञ हूँ और मैं दैनिक समाचार भारत के बारे में लिखना पसंद करती हूँ। मेरे लेखन में सत्यता और ताजगी को प्रमुखता मिलती है। जनता को महत्वपूर्ण जानकारी देने का मेरा प्रयास रहता है।

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