Modi 3.0: नये कैबिनेट से स्मृति ईरानी, अनुराग ठाकुर और अन्य मंत्री हुए बाहर - नई चुनौती

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Modi 3.0: नये कैबिनेट से स्मृति ईरानी, अनुराग ठाकुर और अन्य मंत्री हुए बाहर - नई चुनौती

Modi 3.0: नये कैबिनेट से स्मृति ईरानी, अनुराग ठाकुर और अन्य मंत्री हुए बाहर - नई चुनौती

  • सुशीला गोस्वामी
  • 9 जून 2024
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मोदी 3.0: नई कैबिनेट में बड़े बदलाव

मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के शुरू होते ही मंत्रिमंडल में बड़े बदलाव किए गए हैं। कई जाने-माने चेहरे नये कैबिनेट से बाहर हो गए हैं। इसमें सबसे महत्वपूर्ण नाम स्मृति ईरानी और अनुराग ठाकुर का है। ज्ञातव्य है कि नई सरकार ने नये चेहरों को मौका देने का प्रयास किया है।

स्मृति ईरानी: महिला और बाल विकास मंत्री का पद छूटा

स्मृति ईरानी, जो महिला और बाल विकास मंत्री थीं, उन्हें इस बार कैबिनेट में जगह नहीं मिली। स्मृति को पिछले लोकसभा चुनाव में पराजय का सामना करना पड़ा, जहां वह किशोरी लाल शर्मा से 1.6 लाख वोटों से हारीं। उनकी हार ने उनके मंत्री पद की निरंतरता को संकट में डाल दिया। नई सरकार में उनकी जगह पर कोई नया चेहरा होगा।

अनुराग ठाकुर: हामिरपुर से जीत के बावजूद कैबिनेट से बाहर

पूर्व सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने हामिरपुर से 1.8 लाख वोटों से जीत दर्ज की, लेकिन शायद उनकी लोकप्रियता कम नहीं हो सकी। उन्हें नरेंद्र मोदी द्वारा आयोजित चाय बैठक में आमंत्रित नहीं किया गया। यह संकेत था कि उन्हें नई कैबिनेट में जगह नहीं मिलेगी। यह निर्णय बीजेपी के सहयोगी दलों को सत्ता में घुसने के लिए किया गया है।

राजीव चंद्रशेखर: तकनीकी मंत्रालय से बाहर

राजीव चंद्रशेखर जो इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी के राज्य मंत्री थे, उन्हें भी हटाया गया है। वे थिरुवनंतपुरम से शशि थरूर से हार गए थे। यह हार उनकी क्षेत्रीय नेतृत्व को कमजोर कर चुकी है, जिससे उनकी मंत्रिमंडली स्थान खो गया।

आरके सिंह: पावर मंत्रालय का विदाई

पूर्व केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने आरा निर्वाचन क्षेत्र से सीपीआई(एमएल)एल के सुधामा प्रसाद से लगभग 60,000 वोटों से हारे। उनकी जगह अब शायद तेलगू देशम पार्टी या जनता दल(यू) या किसी अन्य सहयोगी दलों से मंत्री बनाया जाएगा।

पुरुषोत्तम रुपाला और नारायण राणे: जीत के बावजूद बाहर

पुरुषोत्तम रुपाला, जिन्हें मछली और डेयरी मंत्रालय दिया गया था, उनके बावजूद राजकोट सीट जीतने के बाद भी उन्हें हटाया गया है। इसी प्रकार, पूर्व में छोटे, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री नारायण राणे भी जीत के बावजूद सीट से बाहर हो गए।

राजनीतिक मतभेद और सहयोगी दलों का बढ़ता प्रभाव

राजनीतिक मतभेद और सहयोगी दलों का बढ़ता प्रभाव

नई कैबिनेट में भाजपा के सहयोगी दलों का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। जैसे तेलगु देशम पार्टी, जनता दल-यूनाइटेड, जनता दल-सेक्युलर और राष्ट्रीय लोक दल के मंत्री नई कैबिनेट में शामिल हो सकते हैं। इस निर्णय का उद्देश्य गठबंधन को मज़बूत करना और भारतीय राजनीति में एक नई दिशा देना भी है।

पुराने लेकिन दमदार चेहरे

इसके बावजूद, कई पुराने और दमदार चेहरों को नई कैबिनेट में बिठाया गया है। इसमें अमित शाह, राजनाथ सिंह, निर्मला सीतारमन, एस. जयशंकर, नितिन गडकरी, मनसुख मंडाविया, पीयूष गोयल, अश्विनी वैष्णव, धर्मेंद्र प्रधान, भूपेंद्र यादव, प्रह्लाद जोशी, किरण रिजिजू, सी.आर. पाटिल, एल. मुरुगन, हरदीप पुरी, एम.एल. खट्टर, शिवराज चौहान, गजेंद्र शेखावत, सुरेश गोपी और जितिन प्रसाद शामिल हैं।

इन अनुभवी नेताओं के होने से मोदी सरकार को एक मजबूत और स्थायी नेतृत्व मिलेगा। यह निर्णय दर्शाता है कि मोदी सरकार ने तरोताजा नेताओं को मौका देने के साथ-साथ अनुभव को भी नज़रअंदाज नहीं किया।

अगले पांच साल की रणनीति

अगले पांच साल की रणनीति

नई कैबिनेट के गठन से यह स्पष्ट है कि सरकार ने अगले पांच सालों के लिए एक व्यापक रणनीति बनाई है। आर्थिक सुधार, अंतरराष्ट्रीय संबंध, और सामाजिक कल्याण पर जोर दिया जाएगा। इसके अलावा, नए और युवा चेहरों को प्रमुख मंत्रालयों में मौका देने की योजना है, ताकि युवाओं की समस्याओं को बेहतर तरीके से संबोधित किया जा सके।

इस बदलाव का उद्देश्य राजनीतिक संतुलन बनाना और भाजपा के भीतर और बाहर दोनों जगह एक नई ऊर्जा का संचार करना है। यह देखना दिलचस्प होगा कि कैसे नई कैबिनेट अपने कार्यकाल के दौरान इन चुनौतियों से निपटती है।

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सुशीला गोस्वामी

सुशीला गोस्वामी

लेखक

मैं एक न्यूज विशेषज्ञ हूँ और मैं दैनिक समाचार भारत के बारे में लिखना पसंद करती हूँ। मेरे लेखन में सत्यता और ताजगी को प्रमुखता मिलती है। जनता को महत्वपूर्ण जानकारी देने का मेरा प्रयास रहता है।

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