ईरान इंटरनेशनल के एडिटोरियल दिशा-निर्देश और अभ्यास का महत्व

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ईरान इंटरनेशनल के एडिटोरियल दिशा-निर्देश और अभ्यास का महत्व

ईरान इंटरनेशनल के एडिटोरियल दिशा-निर्देश और अभ्यास का महत्व

  • Ratna Muslimah
  • 6 अगस्त 2024
  • 17

ईरान इंटरनेशनल के एडिटोरियल दिशा-निर्देश का महत्व

ईरान इंटरनेशनल, एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय समाचार संगठन, ने अपने संपादकीय दिशा-निर्देशों के माध्यम से विश्वसनीय और निष्पक्ष पत्रकारिता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है। इन दिशा-निर्देशों का मूलतः उद्देश्य यह है कि समाचार रिपोर्टिंग में निष्पक्षता और मानव गरिमा का सम्मान बनाए रखा जाए। पत्रकारिता में संतुलित और निष्पक्ष रिपोर्टिंग को सुनिश्चित करने के लिए ऐसे दिशा-निर्देश अत्यंत आवश्यक होते हैं।

निष्पक्ष और संतुलित रिपोर्टिंग

ईरान इंटरनेशनल के दिशा-निर्देश इस बात पर जोर देते हैं कि निजी गुणों जैसे कि यौन रुझान, विकलांगता, जातीयता और उम्र का उल्लेख केवल तब किया जाना चाहिए जब वे कहानी के दृष्टिकोण से प्रासंगिक हों। यह तकनीक कहानी को अनावश्यक पूर्वाग्रह से बचाती है और पाठकों को सही जानकारी पहुंचाती है।

साथ ही, दिशा-निर्देश विभिन्न दृष्टिकोणों के संतुलित प्रतिनिधित्व को प्रोत्साहित करते हैं। यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाता है कि किसी भी विवादस्पद विषय पर सभी पक्षों के विचारों को समान अवसर मिले, ताकि दर्शकों को अपने विचार बनाने का पर्याप्त अवसर मिले।

व्यक्तिगत विचार और उनके संकेत

इन्हीं दिशा-निर्देशों के तहत यह प्रावधान भी है कि यदि किसी खबर में व्यक्तिगत राय शामिल हो, तो उसे स्पष्ट रूप से सूचित किया जाए और यह तथ्यात्मक रूप से सटीक हो। इसके साथ ही, विरोधी दृष्टिकोणों को भी समान रूप से प्रस्तुत किया जाना चाहिए।

इसके अतिरिक्त दिशा-निर्देशों में यह भी शामिल है कि किसी भी विचार सर्वेक्षण या दर्शक वोटों का कड़ा परीक्षण किया जाए और उन्हें उचित संदर्भ के साथ रिपोर्ट किया जाए। यह तकनीक सुनिश्चित करती है कि कोई भी आंकड़ा या परिणाम पाठकों के सामने पूरी स्पष्टता के साथ प्रस्तुत किया जाए।

चुनौतीपूर्ण सामग्री और हिंसात्मक चित्रण

ईरान इंटरनेशनल की आवश्यकताओं के अनुसार, उनका कंटेंट कभी-कभी चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन इसे अनुचित अपमान से बचाने के लिए संतुलित होना चाहिए। इसलिए, हिंसा के मजबूत चित्रण को केवल तब दिखाया जाता है जब कहानी के लिए आवश्यक हो और इसमें भी पाठकों को पूर्व चेतावनी दी जाती है।

योगदानकर्ताओं के साथ सम्मान और जवाबदारी

अपने योगदानकर्ताओं के साथ सम्मान और संवेदनशीलता से पेश आना भी ईरान इंटरनेशनल की प्राथमिकता है। दिशा-निर्देश यह सुनिश्चित करते हैं कि योगदानकर्ता यह जान लें कि वे किस प्रकार की सामग्री में शामिल हो रहे हैं और वे इस प्रक्रिया का हिस्सा होने के लिए सहमत होते हैं। साथ ही, किसी संगठन या व्यक्ति के विरुद्ध आरोप लगाने की स्थिति में, editing team सुनिश्चित करती है कि उनका पक्ष भी रखा जाए जब तक कि कोई ठोस संपादकीय कारण नहीं हो।

सोशल मीडिया पर आचरण

आज के डिजिटल युग में, पत्रकारों और संपादकों का सोशल मीडिया आचरण भी महत्वपूर्ण है। ईरान इंटरनेशनल के दिशा-निर्देश उनके पत्रकारों को सलाह देते हैं कि वे किसी भी ऐसी सामग्री को पोस्ट न करें जो ईरान इंटरनेशनल पर प्रकाशन योग्य न हो। यह कदम पत्रकारों की विश्वसनीयता बनाए रखने और गलत जानकारी की रोकथाम के लिए महत्वपूर्ण है।

निष्कर्षतः, ईरान इंटरनेशनल के संपादकीय दिशा-निर्देश एक समावेशी और निष्पक्ष रिपोर्टिंग के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। ये दिशा-निर्देश प्रासंगिकता, संवेदनशीलता और निष्पक्षता को प्राथमिकता देते हुए सही सूचना को पाठकों तक पहुंचाने के लिए महत्वपूर्ण हैं। इसके साथ ही, यह सुनिश्चित करता है कि पत्रकारिता समुदाय में एक उच्च स्तरीय नैतिक मानक स्थापित हो।

लेखक के बारे में
Ratna Muslimah

Ratna Muslimah

लेखक

मैं एक न्यूज विशेषज्ञ हूँ और मैं दैनिक समाचार भारत के बारे में लिखना पसंद करती हूँ। मेरे लेखन में सत्यता और ताजगी को प्रमुखता मिलती है। जनता को महत्वपूर्ण जानकारी देने का मेरा प्रयास रहता है।

टिप्पणि (17)
  • vaibhav kapoor
    vaibhav kapoor 8 अगस्त 2024

    ये सब नियम तो बहुत अच्छे हैं, पर असली दुनिया में कोई नहीं मानता। भारत में भी तो ऐसे ही नियम हैं, फिर भी नकली खबरें चलती हैं।

  • ASHWINI KUMAR
    ASHWINI KUMAR 9 अगस्त 2024

    इस तरह के दिशा-निर्देशों को लागू करना बिल्कुल असंभव है। पत्रकार भी इंसान होते हैं, उनके पास भी अपने विचार होते हैं। जब तक हम अपने राजनीतिक और सांस्कृतिक पूर्वाग्रहों को नहीं मानेंगे, तब तक कोई भी 'निष्पक्षता' बस एक शब्द ही रहेगी। ये दिशा-निर्देश तो बिल्कुल निर्जीव हैं-जैसे किसी ने एक फॉर्मूला बनाया हो जिसे अमल करने के लिए कोई जिंदा दिमाग नहीं चाहिए। असली पत्रकारिता तो उस जगह से शुरू होती है जहां आपका दिल दहल रहा हो, आपकी आंखें भर आ रही हों, और आप बिना डरे बोल दें कि ये सच है। इन दिशा-निर्देशों का मतलब तो बस यह है कि अगर आपको कुछ बोलना है तो उसे बहुत सावधानी से लिखो, नहीं तो आपको बर्खास्त कर दिया जाएगा। लेकिन दुनिया तो इतनी साफ़ नहीं है। कभी-कभी आपको एक आवाज़ उठानी पड़ती है, भले ही वो नियमों के खिलाफ हो। जब एक बच्चा बेघर हो जाए, तो उसकी उम्र या जाति बताना जरूरी है-क्योंकि वो उसकी पहचान है। ये सब दिशा-निर्देश तो बहुत अच्छे लगते हैं, लेकिन असल दुनिया में वो लोग जो इन्हें लिखते हैं, वो शायद कभी गलियों में नहीं गए होंगे।

  • Manish Barua
    Manish Barua 11 अगस्त 2024

    मुझे लगता है ये दिशा-निर्देश बहुत जरूरी हैं। क्योंकि आजकल हर कोई कुछ भी डाल देता है। अगर हम थोड़ा संवेदनशील बन जाएं तो बहुत सारे दर्द बच जाएंगे। जैसे कि किसी की विकलांगता का जिक्र करना जरूरी नहीं है अगर वो कहानी का हिस्सा नहीं है।

  • Anupam Sood
    Anupam Sood 13 अगस्त 2024

    अरे यार ये सब लिख लिया तो अब कौन बताएगा कि वो आदमी गे है या नहीं? 😅

  • Shikha Malik
    Shikha Malik 15 अगस्त 2024

    ये दिशा-निर्देश तो बस एक धोखा है। जब तक आपके पास एक अच्छा इंटरव्यू नहीं है, तब तक ये सब बकवास है। और फिर भी आप लोग इसे लागू करने की कोशिश कर रहे हो? ये तो बस एक शो है जिसमें आप अपनी नैतिकता दिखाना चाहते हो।

  • Abhishek saw
    Abhishek saw 16 अगस्त 2024

    मैं इस दिशा-निर्देश को पूरी तरह से समर्थन देता हूं। निष्पक्षता और संवेदनशीलता के बिना पत्रकारिता का कोई अर्थ नहीं है। ये नियम बहुत जरूरी हैं।

  • Nandini Rawal
    Nandini Rawal 17 अगस्त 2024

    सही है। इन दिशा-निर्देशों को अपनाना जरूरी है।

  • Himanshu Tyagi
    Himanshu Tyagi 17 अगस्त 2024

    क्या आपने कभी सोचा है कि ये दिशा-निर्देश वास्तविक दुनिया में कितने लोगों को लागू हो पा रहे हैं? भारत में तो कई अखबार अभी भी जाति और धर्म के आधार पर खबरें लिखते हैं। ये दिशा-निर्देश तो बहुत अच्छे हैं, लेकिन उनका असली प्रभाव क्या है?

  • sandhya jain
    sandhya jain 18 अगस्त 2024

    मुझे लगता है कि ये दिशा-निर्देश एक बहुत बड़ी उम्मीद का प्रतीक हैं। जब तक हम अपने अंदर के पूर्वाग्रहों को नहीं स्वीकार करेंगे, तब तक हम निष्पक्ष नहीं हो सकते। लेकिन इन नियमों के जरिए एक ऐसा वातावरण बनाया जा सकता है जहां लोग धीरे-धीरे बदलें। मैंने अपने बच्चे को एक बार एक खबर दिखाई थी जिसमें एक विकलांग बच्चे के बारे में लिखा था, और उसने पूछा-'मम्मी, क्या वो बच्चा भी हमारे जैसा है?' उस दिन मैंने समझा कि पत्रकारिता का मतलब बस खबर देना नहीं, बल्कि इंसान को इंसान बनाना है। ये दिशा-निर्देश वहीं से शुरू होते हैं जहां एक बच्चा सोचने लगे कि दूसरा इंसान भी उसका हिस्सा है।

  • Ranjani Sridharan
    Ranjani Sridharan 19 अगस्त 2024

    लेकिन क्या अगर किसी का यौन रुझान खबर का हिस्सा है तो? जैसे कि एक नेता जिसके बारे में कहा जा रहा है कि वो गे है और उसकी नीतियां उसकी जिंदगी पर निर्भर करती हैं? क्या हम उसे छिपाएंगे? क्या ये दिशा-निर्देश असल में असलियत को छिपा रहे हैं?

  • Shailendra Soni
    Shailendra Soni 21 अगस्त 2024

    मुझे लगता है ये दिशा-निर्देश बहुत अच्छे हैं। लेकिन एक बात-क्या हम इन्हें लागू करने के लिए अपने दिमाग को बंद कर देते हैं? क्या निष्पक्षता का मतलब ये नहीं है कि हम सब कुछ बताएं लेकिन सही तरीके से?

  • TARUN BEDI
    TARUN BEDI 22 अगस्त 2024

    इस दिशा-निर्देश के तहत जो बातें लिखी गई हैं, वो सिर्फ एक दृष्टिकोण हैं। ये एक उत्तर-पश्चिमी विचारधारा का उत्पाद है, जो भारतीय संस्कृति के लिए अप्रासंगिक है। हमारी समाज में जाति, धर्म, और परिवार का महत्व है-ये चीजें अक्सर एक खबर के अर्थ को बदल देती हैं। जब एक आदमी की जाति बताई जाती है, तो ये उसके सामाजिक बारे में जानकारी देती है, न कि उसकी विकलांगता के बारे में। आप जो बता रहे हैं, वो एक ऐसा नियम है जो भारत के वास्तविक जीवन को नहीं समझता। ये दिशा-निर्देश तो बस एक आयातित विचार हैं, जिन्हें हम बिना सोचे अपना लेते हैं। असली पत्रकारिता तो वहां से शुरू होती है जहां आप अपने समाज को समझते हैं, न कि वहां जहां आप एक अंग्रेजी फॉर्मूले को दोहराते हैं।

  • Vikas Rajpurohit
    Vikas Rajpurohit 23 अगस्त 2024

    ये सब नियम तो बहुत बढ़िया हैं... लेकिन अगर कोई नेता अपने बेटे को बर्बर तरीके से मार दे और उसकी उम्र 14 साल हो तो क्या हम उसकी उम्र नहीं बताएंगे? 😱

  • Hari Wiradinata
    Hari Wiradinata 23 अगस्त 2024

    ये दिशा-निर्देश बहुत अच्छे हैं। इन्हें अपनाने से लोगों को सही जानकारी मिलती है।

  • Leo Ware
    Leo Ware 23 अगस्त 2024

    संतुलन ही असली बात है। जानकारी तो देनी ही है, लेकिन उसे बिना घृणा के।

  • Sujit Ghosh
    Sujit Ghosh 24 अगस्त 2024

    ये सब दिशा-निर्देश तो बहुत अच्छे हैं... लेकिन अगर ईरान के खिलाफ कोई खबर आए तो क्या हम इन्हें अपनाएंगे? नहीं! हम तो तुरंत उसे बढ़ावा देंगे! ये सब बकवास है, बस एक दिखावा है।

  • ASHWINI KUMAR
    ASHWINI KUMAR 25 अगस्त 2024

    ये सब नियम तो बहुत अच्छे हैं, पर असली दुनिया में कोई नहीं मानता। भारत में भी तो ऐसे ही नियम हैं, फिर भी नकली खबरें चलती हैं। जब तक हम अपने राजनीतिक पूर्वाग्रहों को नहीं स्वीकार करेंगे, तब तक कोई भी 'निष्पक्षता' बस एक शब्द ही रहेगी।

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