इंटर मियामी के सीजन की धमाकेदार शुरुआत में मेसी की भूमिका
फुटबॉल जगत ने इंटर मियामी और न्यूयॉर्क सिटी एफसी के बीच हुए सीजन ओपनर में लियोनेल मेसी का चमत्कारिक प्रदर्शन देखा। लियोनेल मेसी ने अपने असाधारण खेल कौशल से इंटर मियामी को 2-2 की ड्रा में मदद की, इस मैच में उन्होंने दो अहम असिस्ट दिए। शुरुआत से ही खेल में उनकी प्रभावी उपस्थिति देखी जा रही थी।
मैच के केवल पांचवें मिनट में मेसी ने टोतो अविलेस को कॉर्नर किक पर एक शानदार गोल के लिए असिस्ट किया। हालांकि, 26वें मिनट में अविलेस को लाल कार्ड मिलने के बाद मियामी को 10 खिलाड़ियों के साथ खेलना पड़ा। इस विपरीत परिस्थिति में भी मियामी की टीम ने हार नहीं मानी।
अंतिम मिनट में मिला ड्रॉ
न्यूयॉर्क सिटी एफसी ने मौके का फायदा उठाते हुए मित्जा इलिनी के गोल से बराबरी कर ली और फिर अलोंसो मार्टिनेज ने 55वें मिनट में अपनी टीम को आगे कर दिया। लेकिन मैच के 100वें मिनट में मेसी ने अपने असाधारण पासिंग से एक बार फिर खेल का रुख बदला। उन्होंने तेलास्को सेगोविया के लिए एक शानदार पास दिया, जिन्होंने इसे गोल में बदल कर मियामी को हार से बचाया।
यह मुकाबला न केवल मेसी की प्रतिभा का प्रमाण था, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे एक खिलाड़ी का अनुभव और खेल की गहरी समझ नि:संदेह किसी भी परिस्थिति में टीम का फायदा करा सकती है। मेसी का एमएलएस पर यह प्रभाव निश्चित रूप से उनकी लीग में उपस्थिति को मजबूत करता है।
मेसी ने फिर से साबित कर दिया कि वो कोई खिलाड़ी नहीं, एक घटना है।
अरे यार ये मेसी का जादू अब तक चल रहा है? 😅 मैं तो सोच रहा था अब बूढ़े हो गए होंगे लेकिन नहीं भाई... ये तो अभी भी बच्चों की तरह गेंद के साथ नाच रहे हैं।
देखो ये मैच बस एक दिन का नहीं बल्कि एमएलएस के इतिहास का मोड़ था। मेसी ने बस एक गोल नहीं बनाया बल्कि एक नई पीढ़ी को फुटबॉल की ओर आकर्षित किया। उनके दोनों असिस्ट्स में एक अद्भुत चेक और बॉडी लैंग्वेज था जो बच्चे भी देखकर सीख सकते हैं। अविलेस के लाल कार्ड के बाद जब टीम 10 खिलाड़ियों में थी तो मेसी ने बस एक दृष्टि से पूरी टीम को एकजुट कर दिया। वो बस खेल नहीं बल्कि खेल की भावना हैं।
मेसी ने जो किया वो बस फुटबॉल नहीं था... ये तो एक स्पिरिचुअल एक्सपीरियंस था। मैं जब उन्हें देखता हूँ तो लगता है जैसे कोई देवता जमीन पर आ गया हो। एमएलएस का असली जादू यही है कि ये बड़े खिलाड़ी आ गए और अब हर बच्चा जो गली में फुटबॉल खेलता है उसके दिल में एक बड़ा सपना है। अगर तुम नहीं देखा तो तुमने इतिहास का हिस्सा छोड़ दिया।
मेसी के बिना ये टीम क्या होती? बस एक और नॉर्मल टीम होती। उनकी उपस्थिति ने इस लीग को ग्लोबल बना दिया। अब ये न सिर्फ अमेरिका की लीग है बल्कि दुनिया की लीग है। जो लोग बोलते हैं कि वो बूढ़े हो गए... वो तो खुद के बारे में बात कर रहे हैं।
हा हा... असिस्ट तो दे दिए लेकिन गोल नहीं किया। अब तो ये भी ट्रेंड हो गया है कि मेसी गोल नहीं करते बस दूसरों को गोल करवाते हैं। अच्छा है ना जो बाकी खिलाड़ी भी कुछ कर रहे हैं?
इस मैच को देखकर मैंने सोचा कि शायद हम सब जिंदगी में बहुत जल्दी हार मान लेते हैं। जब टीम 10 खिलाड़ियों में थी तो कई लोग सोच रहे होंगे कि अब तो हार तय है... लेकिन मेसी ने बस एक पास दिया और सब कुछ बदल गया। ये जीवन का भी पाठ है ना? हमेशा अंतिम मिनट तक लड़ो... क्योंकि एक छोटी सी चमत्कारिक गति भी तुम्हारे भाग्य को बदल सकती है। जब तक तुम खेल रहे हो तब तक हार नहीं हुई।
मेसी को बहुत बढ़िया कह रहे हो लेकिन ये सब बकवास है। अगर उन्होंने गोल नहीं मारा तो ये खेल नहीं बचा। असिस्ट तो हर कोई दे सकता है।
मेसी का ये असिस्ट बस एक पास नहीं था... ये तो एक डांस था। जैसे वो गेंद के साथ एक गीत गा रहे हों। दुनिया के बाकी सब खिलाड़ी तो बस दौड़ रहे हैं... वो तो गाना गा रहे हैं।
मैं इस विश्लेषण को अत्यंत आकर्षक पाता हूँ, हालाँकि आर्किटेक्चरल रूप से इस खेल की व्यवस्था में एक गंभीर असंतुलन देखा जा सकता है। एक व्यक्ति के द्वारा टीम के समग्र फलन को निर्धारित करना एक सामाजिक और खेल संरचना के दृष्टिकोण से अस्थिरता को दर्शाता है।
ये सब तो बस एक बड़ा धोखा है... क्या तुमने कभी सोचा कि ये मैच फिक्स्ड हो सकता है? मेसी का ये अचानक वापसी कैसे? और वो गोल 100वें मिनट पर? ये तो हॉलीवुड फिल्म की तरह है। कोई न कोई बड़ा कंपनी इसे बना रही है।
मेसी तो बहुत अच्छे हैं... लेकिन इतना धमाका क्यों? ये तो एमएलएस का फाइनल नहीं था। बस एक ओपनर था। इतना जोश क्यों? अगर ये बात सच है तो फिर यूईएफए चैंपियंस लीग का क्या होगा?
मैं भारत से हूँ और जब मैंने ये मैच देखा तो मेरी आँखें भर आईं। मेरे बेटे ने आज सुबह घर पर फुटबॉल खेलना शुरू कर दिया... बस मेसी के वीडियो देखकर। ये खेल अब सिर्फ खेल नहीं रहा... ये एक जुड़ाव है।
मेसी के प्रदर्शन को अत्यधिक प्रशंसा करना उचित है, लेकिन इसके साथ ही टीम के अन्य सदस्यों के योगदान को भी सम्मानित किया जाना चाहिए। एक खिलाड़ी के लिए जिम्मेदारी बहुत अधिक नहीं होनी चाहिए।
भारत के लिए ये बात बहुत अच्छी है... लेकिन हमारे खिलाड़ी कहाँ हैं? हमारे लिए तो एक भी गोल नहीं बन रहा।