When talking about शेयर बायबैक, कंपनी द्वारा अपने जारी किए हुए शेयरों को फिर से खरीदने की प्रक्रिया. Also known as स्टॉक पुनर्खरीद, it allows firms to reduce शेयरों, कुल शेयर पूँजी को घटाकर प्रति शेयर आय बढ़ाने की रणनीति और कभी‑कभी डिविडेंड देने के विकल्प को बदलता है.
इस लेख में हम शेयर बायबैक के मुख्य पहलुओं को तोड़‑कर देखेंगे, जैसे कि यह कब और क्यों किया जाता है, किस तरह से यह कंपनी की वित्तीय स्वास्थ्य को प्रतिबिंबित करता है, और निवेशकों को कौन‑से संकेत देता है। हम साथ ही कंपनी, जो शेयर जारी करती है और बायबैक का निर्णय लेती है के अंदरूनी कारणों, और डिविडेंड, शेयरधारकों को लाभ के रूप में मिलने वाला नियमित भुगतान से उसके संबंधों को भी समझेंगे।
शेयर बायबैक कंपनी की पूँजी संरचना को सीधे प्रभावित करता है – जब शेयर कम होते हैं तो बकाया इक्विटी घटती है, जिससे बैलेंस शीट पर रिटर्न ऑन इक्विटी (ROE) बढ़ जाता है। यह निवेशकों के लिए एक सकारात्मक संकेत हो सकता है कि प्रबंधन के पास अतिरिक्त नकदी है और वह उसे शेयरधारकों को वापस देना चाहता है। दूसरी ओर, बाजार की धारणा बायबैक की घोषणा पर निर्भर करती है; अगर बाजार इसे कंपनी के भविष्य में विश्वास के रूप में देखता है तो स्टॉक कीमतें त्वरित रूप से ऊपर जा सकती हैं। अंत में, जब कंपनी डिविडेंड की बजाय बायबैक चुनती है, तो यह अक्सर अधिक कर‑अनुकूल विकल्प माना जाता है, क्योंकि शेयरधारक को मूलधन पर पूँजी लाभ कर कम देना पड़ता है। इन संबंधों को समझने से आपको तय करने में मदद मिलेगी कि किसी बायबैक घोषणा के बाद शेयर खरीदना या बेचकर बाहर निकलना बेहतर रहेगा या नहीं।
नीचे आप विभिन्न लेख और अपडेट देखेंगे जो शेयर बायबैक के विभिन्न पहलुओं – जैसे नियामक दिशा‑निर्देश, अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों के केस स्टडी, और आधे साल में बायबैक से बने रिटर्न – को कवर करते हैं। यह संग्रह आपके लिए एक व्यापक गाइड है, चाहे आप शुरुआती हों या अनुभवी निवेशक। आगे पढ़ते हुए आप पाएँगे कि बायबैक के पीछे कौन‑से व्यावहारिक कदम होते हैं और किस तरह से आप इस जानकारी को अपने पोर्टफोलियो में रणनीतिक रूप से इस्तेमाल कर सकते हैं।
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