जब हम टेलीविजन या ऑनलाइन साइट पर कोई समाचार देखते हैं, तो अक्सर ऐसा लगता है कि कुछ जानकारी ज़्यादा उजागर हो रही है और कुछ पीछे धकेली जा रही है। यही पक्षपात का मूल कारण है – लेखक या चैनल की सोच, राजनीति या व्यावसायिक हित के आधार पर जानकारी को मोड़ना। इस पेज में हम बतायेंगे कि पक्षपात कैसे बनता है और रोज़मर्रा की ख़बरों में इसे पहचानने के क्या‑क्या संकेत होते हैं.
सबसे पहला प्रकार है भाषाई पक्षपात – शब्द चुनते समय भावनात्मक लहजा डालना. जैसे "बढ़ती हुई महँगाई" की जगह "धमाकेदार महँगी" लिख देना, जिससे पाठक का दिमाग पहले से तय हो जाता है। दूसरा रूप स्रोत चयन पक्षपात है – एक ही घटना पर अलग‑अलग स्रोतों को दिखाना या छोड़ देना. अगर आप सिर्फ सरकार के बयान सुनते हैं और विरोधी आवाज़ नहीं सुनते, तो आपका विचार भी पक्षपाती बनता है.
पहला कदम – कई स्रोतों से खबर पढ़ें. अगर तीन अलग‑अलग पोर्टल एक ही घटना पर भिन्न‑भिन्न रुख दिखाते हैं, तो आप खुद तय कर सकते हैं कि कौन सा पहलू छुपा है। दूसरा, लेख में उपयोग किए गए adjectives (विशेषण) को नोट करें. "सफल" या "विफल" जैसे शब्द अक्सर राय को झुकाते हैं. तीसरा, आँकड़े और डेटा देखें. अगर कोई रिपोर्ट सिर्फ एक आंकड़ा लेकर निष्कर्ष निकाल रही है, तो उसकी बैकग्राउंड चेक करना जरूरी है.
खेल की खबरों में भी पक्षपात दिखता है. उदाहरण के लिए, ऊपर दिए गए पोस्ट "AFG vs PAK" में शारजाह पिच का वर्णन बहुत ही सकारात्मक लिखा गया है जबकि वही पिच पाकिस्तान के बल्लेबाजों को मुश्किल बना सकती थी। इसी तरह, "Wimbledon 2025" की फाइल में केवल दो खिलाड़ियों पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिससे अन्य टैलेंट्स को नजरअंदाज़ किया गया.
अगर आप पढ़ रहे हैं कि सरकार ने UPI लेनदेन पर GST नहीं लगाया, तो देखें कि क्या लेख में कोई विरोधी आवाज़ या संभावित नकारात्मक प्रभाव बताया गया है या नहीं. अक्सर आर्थिक खबरों में सिर्फ लाभ की बात करके नुकसान को छुपा दिया जाता है.
पक्षपात का असर केवल जानकारी तक ही सीमित नहीं रहता; यह लोगों के निर्णय, वोटिंग और ख़रीदारी की आदतों पर भी पड़ता है. इसलिए जब आप कोई नई खबर पढ़ते हैं, तो ऊपर बताई गई टिप्स को अपनाएं – कई स्रोत देखें, भाषा पर ध्यान दें, आँकड़ों की जाँच करें.
आखिर में याद रखें कि हर पत्रकार या वेबसाइट का अपना एजनडा होता है, लेकिन हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम उस एजनडा को पहचानें और सच्चाई तक पहुँचने के लिये खुद पहल करें. यही सचेत पाठक बनाता है समाज को अधिक पारदर्शी और भरोसेमंद.
पूर्व पाकिस्तानी क्रिकेटर बासित अली ने पाकिस्तान क्रिकेट की वर्तमान स्थिति पर चिंता व्यक्त की है, उनका कहना है कि यह पक्षपात और कुप्रबंधन के कारण विनाश की ओर बढ़ रहा है। उनकी ये टिप्पणी पाकिस्तान की हाल की खराब प्रदर्शन के बाद आई है। बासित अली के इन बयानों ने क्रिकेट प्रेमियों और विशेषज्ञों के बीच एक बहस छेड़ दी है। (आगे पढ़ें)