नताराजन चन्द्रशेखरन – शिक्षा और सामाजिक बदलाव की कहानी

जब हम बात नताराजन चन्द्रशेखरन, एक प्रमुख शैक्षिक कार्यकर्ता और सामाजिक सुधारक. Also known as एन.सी. चन्द्रशेखरन की सोच को समझते हैं, तो तुरंत दूरस्थ शिक्षा, तकनीक जो ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों को जोड़ती है याद आता है। साथ ही शिक्षा नीति, सरकारी दिशा‑निर्देश जो गुणवत्ता तय करते हैं भी उनके काम में घनिष्ठ रूप से जुड़ी है। उनका लक्ष्य सामाजिक परिवर्तन, समुदाय में सकारात्मक बदलाव लाना है, जिससे हर छात्र को सीखने का बराबर मौका मिले।

नताराजन चन्द्रशंखरन का सफर बहुत सरल नहीं रहा। उन्होंने छोटे शहर में बड़ी कठिनाइयों के बीच पढ़ाई की और समझा कि शिक्षा केवल कक्षा तक सीमित नहीं रहनी चाहिए। बचपन में उन्होंने देखा कि कई बच्चे ऑनलाइन कनेक्शन की कमी के कारण पढ़ नहीं पाते थे। यही कारण था कि उन्होंने दूरस्थ शिक्षा को मुख्य हथियार बनाया। उन्होंने स्थानीय NGOs के साथ मिलकर मोबाइल लर्निंग सेंटर स्थापित किए, जहाँ इंटरनेट की पहुँच न होने वाले बच्चों को डिजिटल पाठ्यक्रम उपलब्ध कराए गए। इस पहल ने उन बच्चों के भविष्य को ही नहीं, बल्कि पूरे आस‑पास के समुदाय को नई दिशा दी।

प्रमुख पहल और उनका असर

एक बार उन्होंने कहा था, "अगर शिक्षा को सभी तक पहुँचाना है, तो तकनीक को अपनाना ही होगा।" इसके बाद उन्होंने कई सरकारी योजनाओं में सक्रिय भूमिका निभाई। शिक्षा नीति में उन्होंने वैयक्तिकृत लर्निंग मॉड्यूल के समावेश की वकालत की, जिससे हर छात्र की सीखने की गति के अनुसार सामग्री उपलब्ध हो सके। इन नीतियों ने कई राज्य स्तर की बोर्ड परीक्षाओं में छात्राओं की सफलता दर को 15% तक बढ़ाया। साथ ही उन्होंने सामाजिक परिवर्तन को साकार करने के लिए महिला शिक्षा कार्यक्रम भी चलाए, जिससे ग्रामीण महिलाओं ने पहले कभी न सोचा था वो भी पेशेवर कौशल हासिल किया।

उनकी सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक थी "स्मार्ट क्लासरूम" मॉडल का रोल‑आउट। इस मॉडल में स्थानीय स्कूलों को डिजिटल बोर्ड, टैबलेट और ऑनलाइन पाठ्यक्रम तक पहुंच प्रदान की गई। परिणामस्वरूप, स्कूल में उपस्थिति दर 30% बढ़ी और छात्राओं की पुस्तकालय उपयोगिता दुगनी हुई। इस पहल को विभिन्न मीडिया आउटलेट्स ने सराहा और कई राज्यों ने इसे अपना मॉडल बना लिया। अब यह मॉडल एक राष्ट्रीय मानक बन चुका है, और नताराजन चन्द्रशेखरन का नाम इस बदलाव के पीछे के प्रमुख कार्यकर्ता के रूप में जुड़ा है।

पर छोटी‑छोटी चुनौतियों ने कभी उनके उत्साह को कम नहीं किया। इंटरनेट कनेक्शन की समस्या, वित्तीय सीमाएँ, और कभी‑कभी स्थानीय प्रशासन का समर्थन न मिलना, ये सभी बाधाएँ थीं। लेकिन उन्होंने इन्हें सीखने के अवसर में बदल दिया। उन्होंने स्थानीय पावर ग्रिड के साथ सहयोग करके सोलर‑पावर्ड लर्निंग पावरेटर स्थापित किए, जिससे बैटरियों की जरूरत नहीं रही। इस तरह की नवाचारों ने न केवल लागत घटाई, बल्कि पर्यावरणीय प्रभाव को भी कम किया। उनकी कहानी यह दिखाती है कि कठिनाइयों से लड़ते हुए भी बड़े लक्ष्य हासिल किए जा सकते हैं।

आज नताराजन चन्द्रशेखरन अपने काम को स्केल करने पर काम कर रहे हैं। उनका अगला कदम है पूरी भारत में 10,000 डिजिटल लर्निंग हब स्थापित करना, ताकि हर गांव में उच्च गुणवत्ता की शिक्षा उपलब्ध हो सके। उन्होंने कहा है कि "शिक्षा का अधिकार सभी को होना चाहिए, चाहे उनका आधा या दूरदराज़ गांव हो।" इस विज़न के साथ वे कई टेक कंपनियों और सरकारी विभागों के साथ सहयोग कर रहे हैं, ताकि तकनीकी इनोवेशन को बढ़ावा दिया जा सके। उनका मानना है कि जब शिक्षा और तकनीक एक साथ चलेंगे, तो सामाजिक परिवर्तन अनिवार्य है।

यदि आप नतारोजन चन्द्रशेखरन के काम में रुचि रखते हैं, तो नीचे दी गई सूची में आप उनके विभिन्न पहलुओं को कवर करने वाले लेख, रिपोर्ट और अपडेट पाएँगे। ये लेख उनकी दूरस्थ शिक्षा की रणनीतियों, नीति सुधारों, और सामाजिक प्रभावों को गहराई से समझाते हैं, जिससे आप उनके योगदान को और स्पष्ट रूप से देख सकेंगे। अब आइए, इस पेज पर संकलित खबरों और विश्लेषणों को देखें।

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