हर दिन हम सुनते हैं कि ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में गरीबी बढ़ती जा रही है। लेकिन सिर्फ़ समस्या बताने से कुछ नहीं होगा, हमें ये समझना चाहिए कि इस पर क्या‑क्या काम चल रहा है और आगे क्या करना चाहिए।
केंद्रीय सरकार ने कई योजना लॉन्च की हैं जो गरीब परिवारों को वित्तीय सुरक्षा देती हैं। उदाहरण के तौर पर, प्रधानमंत्री जनधन योज़ना के तहत बिना बैलेंस वाले बैंक खाते खोलवाए जाते हैं, जिससे हर घर में एक बचत खाता बनता है। इसके अलावा, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA) द्वारा प्रत्येक ग्रामीण परिवार को साल में 100 दिन तक काम मिलता है, जिससे आय का भरोसा बना रहता है।
शिक्षा के क्षेत्र में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसी पहलें लड़कियों की पढ़ाई और स्वास्थ्य पर खर्च कम करती हैं, जो अंततः गरीबी को तोड़ने में मददगार साबित होती हैं। इन योजनाओं का सही उपयोग तभी फायदेमंद होगा जब लोग उनके बारे में पूरी जानकारी रखें और स्थानीय अधिकारी से संपर्क स्थापित करें।
सरकारी योजना के साथ ही स्थानीय NGOs, स्वयंसेवक समूह और पिंड पंचायतें भी बड़ी भूमिका निभा रही हैं। कई गाँवों में सहयोगी कृषि मॉडल अपनाया गया है, जहाँ छोटे किसानों को मिल‑जुलकर खेती करने का मौका मिलता है। इससे उत्पादन बढ़ता है और बाजार में बेहतर कीमतें मिलती हैं।
शहरी इलाकों में रिहायशी कॉलोनियों ने सामुदायिक किचन चलाए हैं—सस्ता भोजन, स्वास्थ्य जांच और शिक्षा कार्यशालाएँ एक ही जगह उपलब्ध कराते हैं। ऐसी पहलें न केवल पोषण की कमी को दूर करती हैं बल्कि लोगों को रोजगार के नए रास्ते भी खोलती हैं।
आप भी अपने क्षेत्र में छोटे‑छोटे बदलाव शुरू कर सकते हैं: पड़ोसी की मदद, स्थानीय कौशल प्रशिक्षण या डिजिटल साक्षरता कार्यक्रमों में भाग ले कर। जब कई लोग मिलकर छोटी‑छोटी समस्याओं को हल करेंगे तो गरीबी का बोझ खुद-ब-खुद घटेगा।
अंत में याद रखें, गरीबी सिर्फ़ आर्थिक स्थिति नहीं है, यह शिक्षा, स्वास्थ्य और अवसरों की कमी से भी जुड़ी है। अगर हम सब मिलकर जागरूकता फैलाएँ, सरकारी योजनाओं को सही दिशा दें और सामुदायिक सहयोग बढ़ाएँ, तो इस चुनौती को हराना संभव है। आगे का रास्ता आसान नहीं, लेकिन ठोस कदम उठाने से बदलाव अवश्य आएगा।
नेल्सन मंडेला अंतर्राष्ट्रीय दिवस 18 जुलाई को नेल्सन मंडेला के जीवन और विरासत को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है। 2024 में थीम 'गरीबी और असमानता का मुकाबला करने के लिए अभी भी हमारे हाथ में है।' मंडेला, दक्षिण अफ्रीका के पहले काले और लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित राष्ट्रपति, ने अपना जीवन समानता, न्याय और मेल-मिलाप के लिए समर्पित किया था। (आगे पढ़ें)