जब आप समाचार में ‘भारत की विदेश नीति’ सुनते हैं, तो अक्सर जटिल बातों का सामना कर सकते हैं। लेकिन असल में यह सिर्फ भारत कैसे दूसरों के साथ तालमेल बिठाता है, इसका सार है। सरकार अपने राष्ट्रीय हितों को सुरक्षित रखने और विश्व में अच्छा असर बनाने के लिए विभिन्न देशों के साथ समझौता, सहयोग या कभी‑कभी विरोध करती है। यही कूटनीति का मूल काम है।
हर साल भारत नई रणनीतियों अपनाता है—ऊर्जा सुरक्षा, व्यापार बढ़ावा, तकनीकी साझेदारी और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दे प्रमुख होते हैं। इन सबका उद्देश्य भारतीय जनता के जीवन को बेहतर बनाना और अंतरराष्ट्रीय मंच पर सम्मान बढ़ाना है।
सबसे पहले बात करते हैं पड़ोसी देशों की। चीन‑भारत सीमा विवाद, नेपाल‑बांग्लादेश के जल मुद्दे और अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया—all ये सीधे हमारी सुरक्षा से जुड़े हैं। इन समस्याओं का समाधान वार्ता, आर्थिक सहयोग या कभी‑कभी सीमित सैन्य कदमों से किया जाता है।
दूसरा बड़ा क्षेत्र है अमेरिका और यूरोपीय देशों के साथ संबंध। व्यापार समझौते, रक्षा तकनीक साझा करना और टेक्नोलॉजी स्टार्ट‑अप को समर्थन देना यहाँ की मुख्य चालें हैं। हाल ही में भारत ने अमेरिकी कंपनियों के निवेश को बढ़ावा देने वाले कई प्रोजेक्ट्स शुरू किए हैं, जिससे नौकरियां और नई तकनीकी विकास दोनों को फायदा हुआ है।
तीसरा महत्वपूर्ण भाग दक्षिण‑पूर्व एशिया के साथ जुड़ा है—ASEAN देशों के साथ आर्थिक संधि, समुद्री सुरक्षा सहयोग और सांस्कृतिक आदान‑प्रदान इसको मजबूत बनाते हैं। इन देशों के साथ मिलकर भारत ‘इंडो‑पेसिफिक’ रणनीति को आगे बढ़ा रहा है, जिसका लक्ष्य क्षेत्रीय स्थिरता और सामुदायिक विकास है।
अब बात करते हैं आने वाले वर्षों में संभावित बदलावों की। जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक दबाव बढ़ने से भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा, विशेषकर सौर और पवन शक्ति, में बड़े निवेश की घोषणा की है। यह कदम सिर्फ पर्यावरण के लिए नहीं बल्कि ऊर्जा आयात कम करने और विदेशियों को नई तकनीकी बेचने के भी काम आएगा।
डिजिटल कूटनीति एक नया शब्द बन चुका है। भारत अब साइबर सुरक्षा सहयोग, डेटा संरक्षण समझौते और AI विकास में साझेदारी को प्राथमिकता दे रहा है। ये पहलें देश की आर्थिक शक्ति को डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर भी बढ़ाएंगी।
अंत में यह कहना सही रहेगा कि भारत की कूटनीति स्थिर नहीं बल्कि गतिशील है। हर नई चुनौती के साथ नीति बनती, बदलती और फिर से लागू होती रहती है। आप चाहे छात्र हों, व्यापारी हों या सिर्फ खबरों का शौकीन—इन बदलावों को समझना आपको विश्व में भारत की बढ़ती भूमिका देखाने में मदद करेगा।
पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह का 93 वर्ष की आयु में निधन। भरतपुर, राजस्थान में जन्मे नटवर सिंह ने भारतीय कूटनीति में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने कई पदों पर कार्य किया और उच्च सम्मान प्राप्त किये। उनके निधन से राजनीतिक और साहित्यिक जगत में शोक की लहर है। (आगे पढ़ें)