क्या आपने कभी सोचा है कि भारत‑रूस के बीच व्यापार कितना बड़ा हो सकता है? आंकड़े बताते हैं कि 2023‑24 में दोनों देशों का कुल व्यापार लगभग 10 अरब डॉलर तक पहुंच गया। यह संख्या पिछले साल की तुलना में 12 % बढ़ी, और अभी भी कई क्षेत्रों में संभावनाएँ अनछुई हैं। अगर आप एक छोटा व्यापारी या बड़े उद्योग के मालिक हैं, तो इस लेख में आपको समझ आएगा कि कहाँ से शुरुआत करें और कौन‑सी सरकारी योजनाएं मदद कर सकती हैं।
सबसे पहले बात करते हैं उन सामानों की जो दोनों देशों के बीच सबसे ज्यादा बदले जाते हैं। भारत से रूस को मुख्य रूप से फार्मास्यूटिकल्स, सॉफ्टवेयर सेवा, कपड़ा और धातु एक्सपोर्ट होते हैं। दूसरी तरफ़ रूस से भारत को तेल, गैस, एल्युमिनियम, पोटैशियम उर्वरक और कुछ हाई‑टेक उपकरण मिलते हैं। ये आइटम सिर्फ बड़ी कंपनियों तक सीमित नहीं—छोटे ट्रेडर्स भी इन में भाग ले सकते हैं अगर सही लाइसेंस और कस्टम प्रोसेस समझें।
हालिया दो साल में दो बड़े समझौते हुए हैं: पहला, रूसी फ़ूड कंपनी ने भारतीय जड़ी‑बूटी उत्पादकों के साथ मिलकर एंटी‑ऑक्सिडेंट सप्लीमेंट बनाना शुरू किया; दूसरा, भारत की रक्षा कंपनियों को रूस से मिलिटरी इन्फ्रास्ट्रक्चर में भागीदारी का अवसर मिला। दोनों समझौते न केवल व्यापार बढ़ाते हैं बल्कि तकनीकी सहयोग भी खोलते हैं।
अगर आप इस दिशा में आगे बढ़ना चाहते हैं, तो सबसे पहले डिज़िटलीकरण पोर्टल (DGFT) पर अपना IEC नंबर अपडेट करें. इससे एक्सपोर्ट/इम्पोर्ट प्रक्रिया तेज होती है। फिर, रुसी एंबेसी के व्यापार विभाग से संपर्क करके आवश्यक प्रमाणपत्र और मानक (ISO, GOST) की लिस्ट प्राप्त करें. अधिकांश मामलों में, दो‑तरफ़ा मान्यता वाले प्रोडक्ट्स को बिना अतिरिक्त टेस्टिंग के मंजूरी मिलती है।
अगला कदम है वित्तीय सहायता लेना। भारतीय सरकार ने "भारतीय‑रूसी व्यापार सुविधा योजना" लॉन्च की है जो छोटे और मध्य वर्ग (MSME) कंपनियों को 30 % तक का सुभीधा लोन देती है। इस लोन पर ब्याज दर कम होती है और रिवर्स लेटर ऑफ क्रेडिट भी उपलब्ध होता है, जिससे भुगतान में देरी नहीं होती।
सप्लाई चेन मैनेजमेंट के लिए लॉजिस्टिक पार्टनर चुनें जो दोनों देशों में मौजूद हो. कई भारतीय लॉजिस्टिक्स कंपनियों ने रूसी बंदरगाहों (सेवस्तोपोल, नवनोरोड) पर क्लियरेंस पॉइंट स्थापित कर रखे हैं। इससे कस्टम ड्यूटी और बोरोक्लिंग समय कम होता है।
अंत में, बाजार रिसर्च को नजरंदाज नहीं करना चाहिए। भारत‑रूस व्यापार पोर्टल (इंडियन ट्रेड फेडरेशन) पर सालाना रिपोर्ट डाउनलोड कर सकते हैं, जिससे आप देख पाएंगे कि कौन‑से प्रोडक्ट्स की माँग बढ़ रही है और किस कीमत पर प्रतिस्पर्धी बने रह सकते हैं।
संक्षेप में, भारत‑रूस व्यापार एक बड़ा अवसर है जो सही जानकारी और सरकारी मदद से आसान हो सकता है। यदि आप अभी कदम नहीं उठाते, तो कोई और पहले ही इस बाजार में अपना नाम बना लेगा। तो देर न करें—आज ही अपने व्यवसाय को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाने की योजना बनाएं।
हाल में भारत और रूस के 90% व्यापार का संचालन स्थानीय या वैकल्पिक मुद्राओं में हो रहा है। रूस के उप प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव ने इसमें बैंकिंग संबंधों के विस्तार की आवश्यकता पर जोर दिया। भारतीय रिजर्व बैंक ने जुलाई 2022 में रूपयों में व्यापार की सुविधा दी थी। यह कदम रूस के स्विफ्ट से बाहर होने के कारण किया गया। व्यापार असंतुलन को दूर करने के लिए देशों के बीच विविधता लाने पर भी चर्चा हुई। (आगे पढ़ें)