जम्मू और कश्मीर विधानसभा चुनावों में दो सीटों से चुनाव लड़ेंगे उमर अब्दुल्ला, प्रारंभिक अनिच्छा के बाद बदल गया फैसला

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जम्मू और कश्मीर विधानसभा चुनावों में दो सीटों से चुनाव लड़ेंगे उमर अब्दुल्ला, प्रारंभिक अनिच्छा के बाद बदल गया फैसला

जम्मू और कश्मीर विधानसभा चुनावों में दो सीटों से चुनाव लड़ेंगे उमर अब्दुल्ला, प्रारंभिक अनिच्छा के बाद बदल गया फैसला

  • Ratna Muslimah
  • 6 सितंबर 2024
  • 11

उमर अब्दुल्ला का दो सीटों से चुनाव लड़ने का फैसला

नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने आगामी जम्मू और कश्मीर विधानसभा चुनावों में दो सीटों से चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है। यह निर्णय उनके पहले के चुनाव लड़ने के प्रति अनिच्छा से एक महत्वपूर्ण बदलाव है। उमर अब्दुल्ला ने पहले कहा था कि वे विधानसभा चुनावों में नहीं लड़ेंगे, जिसमें उनके पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री के रूप में भूमिका का हवाला दिया गया था। लेकिन अब उन्होंने यह फैसला बदल लिया है, अपने पार्टी सहयोगियों और जनता को गलत संदेश न देने की आवश्यकता को मंजूरी दी है।

गंदरबल विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने का निर्णय

गंदरबल विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने का उनका निर्णय उस क्षेत्र से है जिसे उन्होंने पहले 2009 से 2014 तक प्रतिनिधित्व किया था। नेशनल कॉन्फ्रेस की सूची में 32 उम्मीदवारों में उमर अब्दुल्ला का नाम शामिल है, जो गंदरबल सीट के लिए है। यह कदम पार्टी की रणनीति के साथ तालमेल करता है ताकि चुनावी प्रक्रिया में पूरी तरह से भाग लिया जा सके और उमर अब्दुल्ला की भागीदारी उनके सहयोगियों के प्रयासों को कमजोर न करे जो भी चुनाव लड़ रहे हैं।

पार्टी की रणनीति और सीट-बंटवारे की व्यवस्था

पार्टी की रणनीति और सीट-बंटवारे की व्यवस्था

पार्टी की रणनीति के तहत उमर अब्दुल्ला की भागीदारी महत्वपूर्ण है। इससे चुनाव प्रक्रिया की वैधता को बल मिलता है और मतदाता उत्साह से भाग लेते हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के बीच सीट-बंटवारे की व्यवस्था काफी हद तक अंतिम रूप ले चुकी है, हालांकि कुछ विवादित सीटों पर अभी भी चर्चा जारी है।

चुनाव लड़ने के निर्णय का महत्व

उमर अब्दुल्ला के चुनाव लड़ने के निर्णय को पार्टी के चुनाव अभियान के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यह निर्णय पार्टी की रणनीति को बल देता है और चुनावी प्रक्रिया की वैधता को बनाए रखने के लिए आवश्यक है। उमर अब्दुल्ला के चुनाव लड़ने से उनके पार्टी सहयोगियों और जनता में चुनावी प्रक्रिया के प्रति विश्वास बढ़ता है।

उमर अब्दुल्ला के इस निर्णय के पीछे कई कारण हो सकते हैं। एक ओर, उनकी पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस को चुनाव में पूरी तरह से भाग लेने की आवश्यकता है, वहीं दूसरी ओर यह कदम उनके सहयोगियों और मतदाताओं में आत्मविश्वास को बनाए रखता है।

गंदरबल विधानसभा सीट का महत्व

गंदरबल विधानसभा सीट का महत्व उमर अब्दुल्ला के लिए विशेष है। उन्होंने इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व पहले किया है और यहां की जनता के साथ उनके पुराने संबंध हैं। इस सीट से चुनाव लड़ने का निर्णय उनके पार्टी सहयोगियों और मतदाताओं के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत है कि वे अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से ले रहे हैं।

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Ratna Muslimah

Ratna Muslimah

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मैं एक न्यूज विशेषज्ञ हूँ और मैं दैनिक समाचार भारत के बारे में लिखना पसंद करती हूँ। मेरे लेखन में सत्यता और ताजगी को प्रमुखता मिलती है। जनता को महत्वपूर्ण जानकारी देने का मेरा प्रयास रहता है।

टिप्पणि (11)
  • Himanshu Tyagi
    Himanshu Tyagi 7 सितंबर 2024

    उमर अब्दुल्ला का ये फैसला सिर्फ रणनीति नहीं, बल्कि जम्मू-कश्मीर की राजनीति में एक नए मोड़ की शुरुआत है। जब तक वो खुद चुनाव लड़ रहे हैं, उनकी पार्टी का कोई भी नारा असली लगता है। गंदरबल में उनकी लोकप्रियता अभी भी जमीन पर मजबूत है।

  • Shailendra Soni
    Shailendra Soni 7 सितंबर 2024

    अरे भाई... ये सब तो बस दिखावा है। उमर अब्दुल्ला ने कहा था न कि वो नहीं लड़ेंगे, अब बदल गए? जब तक इंसान बदलते रहेंगे, राजनीति बदलती रहेगी। बस अब ये देखना है कि ये दो सीटें जीत पाते हैं या फिर गिर जाती हैं।

  • Sujit Ghosh
    Sujit Ghosh 7 सितंबर 2024

    अरे ये तो बहुत अच्छा हुआ! जम्मू-कश्मीर में अब तक जो लोग बाहर से आकर फैसले करते थे, वो सब भाग गए। अब अपने ही बड़े नेता ने खुद घुसकर लड़ने का फैसला किया है। ये देश की ताकत है। अगर ये नहीं लड़ेगा तो कौन लड़ेगा? 🇮🇳🔥

  • sandhya jain
    sandhya jain 9 सितंबर 2024

    इस फैसले के पीछे कोई एक कारण नहीं है, ये तो एक बहु-आयामी निर्णय है। एक ओर तो पार्टी की रणनीति है, दूसरी ओर जनता के साथ उनका अनजाने में बना हुआ भावनात्मक बंधन है। और तीसरी ओर... ये दर्शाता है कि नेतृत्व कभी-कभी अपने पुराने वादों को भी बदल सकता है, अगर वो जनहित में हो। ये नेता का सच्चा रूप है - जो बदल सके, लेकिन अपने मूल्यों को न छोड़े।

  • Anupam Sood
    Anupam Sood 11 सितंबर 2024

    अरे यार फिर से ये सारा नाटक 😒 एक बार कह दिया कि नहीं लड़ूंगा, फिर बदल गए... जाने दो, लेकिन ये सब दिखावा है। जब तक ये सीटें नहीं जीत रहे, तब तक ये सब बकवास है। जय हिन्द 🙃

  • Shriya Prasad
    Shriya Prasad 11 सितंबर 2024

    गंदरबल में उनकी वापसी एक अच्छा संकेत है।

  • Balaji T
    Balaji T 13 सितंबर 2024

    इस निर्णय के विषय में व्यापक रूप से चर्चा की जानी चाहिए, क्योंकि यह राजनीतिक नैतिकता के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण प्रश्न उठाता है। एक नेता के द्वारा अपने पूर्व कथन को बदलना, यदि यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए आवश्यक हो, तो इसे एक नैतिक आवश्यकता के रूप में देखा जाना चाहिए।

  • Nishu Sharma
    Nishu Sharma 14 सितंबर 2024

    मुझे लगता है ये फैसला बहुत सही है क्योंकि गंदरबल में उनकी जमीनी ताकत अभी भी बहुत मजबूत है और अगर वो नहीं लड़ेगे तो लोगों को लगेगा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस डर गया है और वो अपने लोगों को छोड़ दिया है और ये बहुत खतरनाक है क्योंकि लोग निराश हो जाएंगे और अन्य पार्टियों की ओर बढ़ जाएंगे

  • Shraddha Tomar
    Shraddha Tomar 15 सितंबर 2024

    इस फैसले में एक नया एनर्जी फील है जैसे कि अब राजनीति फिर से जिंदा हो रही है। जब नेता खुद घुस जाएं तो लोगों को लगता है कि ये असली है। उमर अब्दुल्ला के लिए गंदरबल सिर्फ एक सीट नहीं, ये एक अहसास है - जिम्मेदारी का, जड़ों का, और वापसी का। ये नहीं बदला, ये अपडेट हुआ 💫

  • Priya Kanodia
    Priya Kanodia 17 सितंबर 2024

    ये सब तैयारी है... किसी के लिए बाहर से कुछ आ रहा है... ये फैसला भी एक ट्रैप है... जब तक एक नेता चुनाव लड़ता है, उसकी जानकारी बाहर से आ रही होती है... ये सब अंडर कवर है... ये जानकारी बाहर नहीं आनी चाहिए... ये चुनाव नहीं, ये ऑपरेशन है... 🕵️‍♀️💣

  • Darshan kumawat
    Darshan kumawat 17 सितंबर 2024

    अब्दुल्ला के बिना ये पार्टी एक बिना दिल का शरीर है। अगर वो नहीं लड़ेगा तो कौन लड़ेगा? ये फैसला बहुत जरूरी था।

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