AFG vs PAK: शारजाह की पिच और 39 रन की जीत की कहानी
शारजाह फिर वही—छोटे बाउंड्री, बड़े शॉट, और बीच के ओवरों में अचानक गिरते विकेट। यूएई टी20I ट्राई-सीरीज़ 2025 के ओपनर में पाकिस्तान ने अफगानिस्तान पर 39 रन की साफ जीत दर्ज की, और मैसेज साफ रहा: शारजाह में जो टीम पिच की रफ्तार को जल्दी पढ़ ले, वही खेल पर पकड़ बनाती है।
टॉस पाकिस्तान के कप्तान सलमान अली आगा ने जीता और पहले बल्लेबाज़ी चुनी। शुरुआत में 83/4 तक लड़खड़ाने के बाद आगा ने वहीं से पारी संभाली। उन्होंने धैर्य से शुरुआत की, बाउंस और पेस को परखा, और फिर विकेट सेट होते ही स्ट्रोक-प्ले खोला। मोहम्मद नवाज़ के साथ उनकी 50 रन की साझेदारी ने स्कोर को तेज़ी दी और पाकिस्तान 183 तक पहुंच गया—इस मैदान पर मुकाबला जीतने लायक टारगेट।
पिच ने पहले हाफ में बल्ले पर अच्छी गती दी। साइज में कॉम्पैक्ट मैदान, स्क्वायर बाउंड्री छोटी, और कड़ा/सख़्त सरफेस—इन तीन चीज़ों ने स्ट्रोक-मेकिंग आसान रखी। शॉट लगते ही गेंद आउटफील्ड में तेज़ भागी, मिस-हिट भी अक्सर गैप में मिली। यही वजह रही कि पाकिस्तान के मिडिल-ऑर्डर ने डेथ ओवरों में टेम्पो बढ़ाया।
लेकिन कहानी यहीं पूरी नहीं थी। शारजाह की पिच ने बीच के ओवरों में अपना ‘डुअल-पेस’ वाला चेहरा दिखाया—कभी गेंद रुककर आई, कभी अचानक तेज़ उठी। ऐसी सतह पर धीमी गेंदें, कटर और बैक-ऑफ-लेंथ डिलीवरी असर करती हैं, और स्पिनर खेल में आते हैं। पाकिस्तान ने यही समझा, और मैच यहीं से पलटा।
अफगानिस्तान का पीछा शानदार शुरुआत के साथ 92/2 तक पहुंचा। रहमानुल्लाह गुरबाज़ और इब्राहिम ज़ादरान ने पावरप्ले के फायदों को कैश कराया, टाइमिंग साफ दिखी। लेकिन जैसे ही पाकिस्तान ने गति बदली, लेंथ बदली और फिल्डिंग एंगल टाइट किए, 17 गेंदों में पांच विकेट गिरे—स्कोर 92/2 से 97/7। यहीं मैच हाथ से निकल गया।
हरिस रऊफ और सुहफियान मुकीम ने मध्य ओवरों में कमाल किया। रऊफ ने पेस-ऑफ और हार्ड लेंथ से स्ट्राइकर को जकड़ा, तो युवा बाएं हाथ के स्पिनर मुकीम ने हवा में हल्का फ्लोट और आर्म-स्पीड से बल्लेबाज़ों को बीट किया। शाहीन अफ़रीदी और मोहम्मद नवाज़ ने भी दो-दो विकेट लेकर दबाव बनाए रखा। यानी शारजाह बल्लेबाज़ों के अनुकूल रही, पर कौशल और योजनाबद्ध गेंदबाज़ी को इनाम भी मिला।
लाइट्स के नीचे ओस ने भी रोल निभाया। गेंद गीली हुई, ग्रिप मुश्किल हुई, पर पाकिस्तान ने सूखे टॉवेल, तेज़ ओवर-रेट और कटर्स की मदद से कंट्रोल बनाए रखा। यही छोटी-छोटी डिटेल्स, इस तरह की पिच पर, बड़े फर्क का कारण बनती हैं।
शारजाह पिच का गणित, आगे की रणनीति और सीरीज़ का असर
Sharjah Pitch Report का निचोड़ सरल है: छोटे बाउंड्री और सपाट सतह पहले बल्लेबाज़ी को बढ़त देते हैं, पर जैसे-जैसे गेंद पुरानी होती है, रफ्तार घटती है और डुअल-पेस असर दिखाता है। ऐसे में 150–180 के बीच का स्कोर अक्सर डिफेंड करने लायक साबित हो सकता है, बशर्ते गेंदबाज़ लेंथ और गति में विविधता लाते रहें।
टॉस अब भी अहम फैक्टर है। पहले बल्लेबाज़ी में नई गेंद ‘वैल्यू फॉर शॉट्स’ देती है; बाद में ओस के साथ गेंद हाथ से फिसलती है। तब कटर, स्लोअर-बाउंसर और स्टंप-टू-स्टंप लाइन असर करती है। पाकिस्तान ने ठीक यही किया: बीच के ओवरों में मैदान के स्क्वायर हिस्सों को कवर करने के लिए डीप पॉइंट और डीप मिडविकेट को चतुराई से इस्तेमाल किया, और बल्लेबाज़ों को जोखिम लेने पर मजबूर किया।
- पावरप्ले फॉर्मूला: नई गेंद पर हार्ड लेंथ पर भी शॉट खेलना आसान—टीमें 6 ओवर में जोखिम लेकर आगे रहें।
- मिड-ओवर ब्रेक: स्पिन/कटर से रफ्तार तोड़ें; कमर-ऊंचाई की स्लोअर शॉर्ट बॉल यहां कारगर रहती है।
- डेथ ओवर्स: यॉर्कर मिक्स करें, पर ओवर-पिच से बचें; बैटिंग टीम फाइन-लेग/थर्ड-मैन के ऊपर शॉट खोजती है।
- फील्डिंग प्लान: स्क्वायर बाउंड्री छोटी—कवर्ड एंगल्स पर डीप फील्डर ज़रूरी।
- ओस मैनेजमेंट: बार-बार गेंद सुखाना, ग्रिप-फ्रेंडली लाइन, और क्रॉस-सीम हिट्स से अनइवन बाउंस निकालना।
टूर्नामेंट संदर्भ में यह जीत पाकिस्तान के लिए टोन-सेटर है। हाल में वेस्ट इंडीज के खिलाफ 2-1 से सीरीज़ जीत के बाद यहां ओपनर जीतना ड्रेसिंग रूम का भरोसा बढ़ाता है। 2023 में इसी शारजाह में अफगानिस्तान ने पाकिस्तान को 2-1 से हराया था, इसलिए यह नतीजा मनोवैज्ञानिक बढ़त भी देता है।
सलमान अली आगा की भूमिका भी साफ होती दिखी—एंकर से फिनिशर की तरफ शिफ्ट, हालात देखकर गियर बदलने की क्षमता। मोहम्मद नवाज़ ने बाएं हाथ के स्पिन-ऑलराउंड विकल्प के रूप में बैलेंस दिया। गेंदबाज़ी में रऊफ का पेस-ऑफ पैकेज और मुकीम का कंट्रोल पाकिस्तान के डेथ और मिड-ओवर कॉम्बो को और शार्प बनाते हैं।
अफगानिस्तान के लिए सीख साफ है: शुरुआत अच्छी हो तो बीच के ओवरों में सिंगल-डबल से स्कोर चलाते रहें, और कटर-स्लोअर के खिलाफ प्लान-B रखें—लेग-साइड ट्रिगर, रिवर्स/लैप की रेपर्टॉयर, और स्ट्राइक रोटेशन। टॉप-ऑर्डर से आगे मिडिल-ऑर्डर की स्टेबिलिटी बढ़ानी होगी ताकि अचानक गिरावट मैच न पलटे।
फॉर्मेट राउंड-रॉबिन है—हर टीम एक-दूसरे से दो-दो मैच खेलेगी, और टॉप-2 टीमें 7 सितंबर को फाइनल खेलेंगी। पाकिस्तान ने शुरुआती बढ़त ले ली है, पर शारजाह की पिच पर तेज़ शुरुआत और स्मार्ट गेंदबाज़ी के साथ अफगानिस्तान आसानी से वापसी कर सकता है. आगे की भिड़ंत में टॉस, ओस और मिड-ओवर की चालें फिर कहानी लिखेंगी।
शारजाह की पिच तो हमेशा से ऐसी ही रही है भाई ये बात नयी नहीं पर आजकल के बल्लेबाज़ तो बस एक ही शॉट से खेलने लगे हैं डेथ ओवर में यॉर्कर और लो-बॉल नहीं आता बस छक्का मारने की जिद है जब गेंद रुक जाती है तो बल्लेबाज़ का रिएक्शन ही बता देता है कि वो कितना अनप्रिपेयर्ड है और ये वो बात है जिसे कोचेस भूल गए हैं अगर तुम लोग इस पिच पर 180 बना रहे हो तो तुम्हारी गेंदबाज़ी इतनी शानदार होनी चाहिए कि बल्लेबाज़ को लगे जैसे गेंद ग्राउंड में जा रही है ना कि बाउंड्री की तरफ और यही पाकिस्तान ने किया उन्होंने बस एक बार जब रहमानुल्लाह और इब्राहिम ने 92/2 किया तो उन्होंने फील्ड को बदला और उनके दिमाग को बदल दिया अब तो बल्लेबाज़ भी डर गए कि अगर मैंने एक शॉट नहीं मारा तो क्या होगा ये वो बात है जो आजकल के क्रिकेट में गायब है डर का खेल बनाना
ये पाकिस्तान का जीतना बस एक बात है अफगानिस्तान तो हमेशा से असली खिलाड़ी नहीं है बस बातें करते हैं
पाकिस्तान ने जीत का इस्तेमाल करके अफगानिस्तान के दिमाग में एक डर डाल दिया जो अब उनकी जीत के रास्ते में आएगा और ये बात बड़ी है क्योंकि जब तुम बल्लेबाज़ के मन में शक पैदा कर दो तो वो खुद ही अपने आप को बाहर कर देता है ये नहीं कि गेंदबाज़ ने उसे आउट किया बल्कि उसका दिमाग उसे बाहर कर दिया और यही असली क्रिकेट है जो हम आजकल देख नहीं पा रहे
ये पिच तो जैसे कोई दोहरा दिमाग वाला इंसान है जो एक दम खुश हो जाता है फिर अचानक गुस्सा हो जाता है और तुम उसके साथ बात नहीं कर पाते बल्लेबाज़ भी ऐसे ही थे शुरुआत में तो जैसे सब कुछ आसान है फिर अचानक गेंद रुक गई और वो बस खड़े रह गए जैसे किसी ने उनका जीवन बदल दिया हो और जब तुम एक ऐसे दिमाग वाली पिच पर खेल रहे हो तो बस एक चीज़ चाहिए दिमाग की शांति और पाकिस्तान ने वो दिमाग दिखाया जो शांत रहे बिना झूमे बिना झप्पी लगाए बस धीरे धीरे खेल बदल दिया और अफगानिस्तान का दिमाग टूट गया
ओस का रोल नहीं बताया गया ये तो बहुत बड़ी बात है गेंद गीली हो गई तो ग्रिप चला गया और तब पाकिस्तान ने टॉवेल और तेज़ ओवर रेट का इस्तेमाल किया ये बात कोई नहीं बताता लेकिन ये वो छोटी चीज़ है जो बड़ा फर्क डालती है और अगर तुम इसे नहीं समझते तो तुम्हारी टीम कभी शारजाह में जीत नहीं पाएगी क्योंकि यहाँ तो गेंद का रिकॉर्ड भी बदल जाता है और तुम्हारा रिकॉर्ड भी
ये सब तो बहुत अच्छा लग रहा है लेकिन क्या आप लोगों को पता है कि ये पिच तैयार करने वाले किसी और देश के लिए फायदा उठा रहे हैं? ये सब एक बड़ा षड्यंत्र है जिसमें पाकिस्तान को जीतने के लिए पिच तैयार की गई है और ओस भी इसी लिए आया है क्योंकि वो जानते थे कि अफगानिस्तान के बल्लेबाज़ ओस में गेंद को नहीं पकड़ पाएंगे और ये सब बस एक तरह का गैर-जिम्मेदार खेल है जिसमें खिलाड़ी नहीं बल्कि पिच खेल रही है
यहाँ तक कि गेंदबाज़ों के बारे में लिखने का भी तरीका अत्यंत अनुचित है। एक व्यक्ति के द्वारा लिखी गई इस विश्लेषणात्मक रिपोर्ट को आम जनता के लिए बहुत अधिक जटिल बनाया गया है। इसमें अत्यधिक शब्दावली का उपयोग किया गया है जो कि वास्तविक खेल के साथ कोई संबंध नहीं रखती। यह तो बल्कि एक अकादमिक पेपर की तरह है, जिसे किसी ने गलती से क्रिकेट वेबसाइट पर पोस्ट कर दिया है। एक साधारण बल्लेबाज़ को यह लिखना चाहिए था: 'पाकिस्तान ने जीत ली'। बाकी सब कुछ बस वाक्य-रचना का खेल है।
पाकिस्तान ने जीता तो क्या हुआ अफगानिस्तान तो बस बातें करता है असली टीम तो हमारी है
इस पिच के बारे में जो कुछ लिखा गया है वो सब बहुत ज्यादा लिख दिया गया है इतना लिखने की जरूरत नहीं थी बस बता देते कि पिच पर गेंद रुकती थी और पाकिस्तान ने उसे समझ लिया और जीत गया बाकी सब बस लेखक का अपना जुनून है जिसे वो अपने शब्दों में बहुत लंबा बना रहा है
ये जो शारजाह की पिच है वो तो जैसे कोई पुराना दोस्त है जिसे तुम जानते हो लेकिन हर बार उसका रवैया अलग होता है एक बार वो तुम्हारे साथ हँसता है तो दूसरी बार उसका दिल बदल जाता है और तुम उसकी बात समझ नहीं पाते और यही बात आज खेल में दिखी अफगानिस्तान ने शुरुआत अच्छी की लेकिन जब पिच ने बदलाव किया तो वो बस रह गए और पाकिस्तान ने जो बातें नहीं की वो सब बस अपने खेल से कह दी और इसीलिए ये जीत इतनी खास है क्योंकि इसमें कोई बातें नहीं बल्कि खेल का जुनून था