अगर आप शहर में रहते हैं या शहर की आर्थिक हलचल को फॉलो करते हैं, तो इस पेज पर आपको वही चीज़ मिलेगी जो रोज‑रोज़ आपके काम आती है। हम यहाँ सबसे नई वित्तीय खबरों, शेयर बाजार की चाल और सरकार की नीतियों के असर को आसान भाषा में बताते हैं। पढ़ते ही समझेंगे कि आपका पैसा कहाँ बच सकता है या कहां निवेश करना फायदेमंद रहेगा।
सरकार ने हाल ही में कहा कि 2000 रुपये से कम के UPI लेन‑देनों पर GST नहीं लगेगा। इसका मतलब है छोटे‑छोटे भुगतान अब और सस्ते हो जाएंगे, खासकर ऑनलाइन खरीदारी या बिल पेमेंट में। इसी तरह, GST का विस्तार कुछ क्षेत्रों तक सीमित किया गया है, जिससे छोटे व्यापारियों को राहत मिलेगी। इन बदलावों के पीछे की वजह आसान डिजिटल लेन‑देनों को बढ़ावा देना है, ताकि नकदी पर निर्भरता घटे और टैक्स कलेक्शन सुधरे।
GST में हुई यह छूट सिर्फ़ UPI तक ही सीमित नहीं रही। अब कुछ मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) पर भी GST का बोझ हट गया है, जिससे भुगतान गेटवे कंपनियों के खर्च कम हुए हैं और वह बचत सीधे कस्टमर को पास हो सकती है। अगर आप फ्रीलांस काम करते हैं या छोटे‑व्यापार में हैं, तो इन बदलावों से आपका ऑपरेटिंग खर्च घटेगा—सिर्फ़ एक छोटा‑सा लाभ नहीं, बल्कि दीर्घकालिक स्थिरता की राह बनती है।
शहर में रहने वाले निवेशकों के लिए शेयर बाजार का अपडेट बहुत जरूरी है। जनवरी 2025 में BSE‑Sensex ने 77,150 पर पहुँचा, जबकि निफ्टी भी 1% से ऊपर गया। इस उछाल का कारण कई बड़े कंपनियों की मजबूत क्वार्टरली रिपोर्ट और बजट में आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज है। खासकर टेक और फाइनेंस सेक्टर में नई नौकरियां और निवेश अवसर बढ़ रहे हैं—तो अगर आप इन क्षेत्रों में अभी तक नहीं जुड़े, तो एक नजर जरूर डालें।
पर याद रखें, शेयर बाजार में उतार‑चढ़ाव सामान्य है। इसलिए हमेशा दीर्घकालिक दृष्टिकोण रखिए और पोर्टफ़ोलियो को विविध बनाइए। उदाहरण के तौर पर, यदि आप FMCG या हेल्थकेयर जैसी स्थायी मांग वाले सेक्टरों में निवेश करते हैं, तो मार्केट की अस्थिरता कम महसूस होगी। साथ ही, छोटे‑स्ट्रोक वाले स्टॉक्स जैसे लिवरपूल या ब्रेंटफोर्ड भी कभी‑कभी अचानक ऊपर-नीचे होते रहते हैं—इन्हें सिर्फ़ ट्रेंड के आधार पर नहीं, बल्कि कंपनी की बुनियादी स्थिति को देख कर चुनना चाहिए।
एक और बात जो अक्सर छूट जाती है वो है डिविडेंड यील्ड। कई बड़े कंपनियां लगातार लाभांश देती रहती हैं; अगर आप नियमित आय चाहते हैं तो ऐसे शेयरों को देखें। इससे सिर्फ़ पूँजी बढ़ेगी नहीं, बल्कि हर साल अतिरिक्त नकदी भी मिलेगी।
अंत में, चाहे आप सरकारी नीतियों का असर समझना चाहें या शेयर बाजार की चाल देखना—इन सभी चीज़ों को एक साथ मिलाकर आप अपने वित्तीय लक्ष्य को तेज़ी से पा सकते हैं। इस पेज पर रोज‑रोज़ अपडेट पढ़ते रहिए और अपनी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बनाइए।
वित्तीय टाइम्स के एक लेख में रिमोट वर्क की बढ़ती प्रवृत्ति और इसका शहरी अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव का गहन विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है। लेख में उपभोक्ता व्यवहार में बदलाव और इसके चलते स्थानीय व्यवसायों, विशेष रूप से खुदरा और आतिथ्य क्षेत्रों पर पड़ने वाले प्रभावों पर चर्चा की गई है। (आगे पढ़ें)