GST – भारत की टैक्स प्रणाली को समझें

गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स यानी GST हर रोज़ हमारे जीवन में दिखता है, चाहे आप ऑनलाइन शॉपिंग कर रहे हों या दुकान से खरीदारी। लेकिन अक्सर लोग इसे जटिल मानते हैं, जबकि असल में यह एक ही चरण में कई टैक्स को मिलाकर सरल बनाता है। यहाँ हम आसान भाषा में बताएँगे कि GST क्या है, कौन-कौन से नियम हैं और 2025 की ताज़ा खबरें क्या लेकर आईं हैं।

GST के मुख्य नियम

सबसे पहले जानिए कि GST तीन हिस्सों में बांटा जाता है – CGST (राज्य टैक्स), SGST (केन्द्रीय टैक्स) और IGST (इंटरस्टेट)। जब आप एक ही राज्य में खरीदते‑बेचते हैं, तो CGST और SGST दोनों लगते हैं। अगर दो अलग-अलग राज्यों के बीच लेन‑देन होता है, तो IGST लागू होता है। इस व्यवस्था से डबल टैक्सिंग कम होती है और कर संग्रह आसान बन जाता है।

GST रजिस्ट्रेशन की सीमा व्यापारिक टर्नओवर पर आधारित है। छोटे व्यवसायों के लिए 20 लाख रुपये (कुछ राज्य में 10 लाख) का थ्रेसहोल्ड तय किया गया है। अगर आपका वार्षिक कारोबार इससे ऊपर है, तो आपको GSTIN ले कर रजिस्टर्ड होना पड़ेगा और हर महीने या तिमाही में रिटर्न फाइल करना होगा।

रिटर्न फाइलिंग में दो मुख्य फ़ॉर्म होते हैं – GSTR‑1 (बिक्री विवरण) और GSTR‑3B (संकलित टैक्स). इन्हें समय पर भरना आवश्यक है, नहीं तो पेनाल्टी लग सकती है। कई छोटे व्यापारियों को ये प्रक्रिया भारी लगती है, इसलिए आजकल एप्प्स और अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर मदद कर रहे हैं।

2025 की ताज़ा GST खबरें

2025 में सरकार ने कुछ अहम बदलाव किए हैं। सबसे बड़ा अपडेट यह है कि ई‑कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म अब अपने विक्रेताओं के लिए स्वचालित रूप से IGST कटौती करेंगे, जिससे छोटे sellers को टैक्स गणना में दिक्कत नहीं होगी। साथ ही, रिवर्स चार्ज टैक्स (RCM) की सीमा बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दी गई है, ताकि बड़े ट्रेडरों को भी इस सिस्टम का लाभ मिले।

एक और ध्यान देने योग्य बात यह है कि अब GST पोर्टल पर AI‑आधारित चैटबॉट उपलब्ध है जो रिटर्न भरने में मदद करता है, सवालों के जवाब तुरंत देता है और संभावित त्रुटियों की पहचान कर सुधार सुझाव देता है। इससे छोटे व्यवसायियों का समय बचता है और गलत फ़ाइलिंग से जुड़ी पेनाल्टी कम होती है।

यदि आप खुदरा या सेवाएँ प्रदान करने वाले हैं, तो इन बदलावों को अपनाने के लिए अपने अकाउंटेंट से बात करें। अक्सर छोटे-छोटे फॉर्मेट में भी बड़ी बचत मिल सकती है – जैसे कि इनपुट टैक्स क्रेडिट का सही उपयोग करके भुगतान कम करना।

अंत में एक प्रैक्टिकल टिप: हर महीने की पहली तारीख के बाद दो दिन में अपने सभी खरीद‑बिक्री दस्तावेज़ इकट्ठा कर लें और तुरंत पोर्टल पर अपलोड करें। इस आदत से रिटर्न फाइलिंग के आखिरी मिनट का तनाव खत्म हो जाता है।

GST को समझना मुश्किल नहीं, बस सही जानकारी और थोड़ी सी तैयारी चाहिए। चाहे आप एक स्टार्ट‑अप चला रहे हों या घर से छोटे‑मोटे काम कर रहे हों, ऊपर दिए गए नियमों और अपडेट्स को अपनाकर आप टैक्स में बचत भी कर सकते हैं और कानूनी रूप से सुरक्षित रह सकते हैं।

सरकार ने स्पष्ट किया: 2000 रुपए से कम UPI ट्रांजैक्शन पर GST नहीं लगेगा

के द्वारा प्रकाशित किया गया Ratna Muslimah पर 20 जुल॰ 2025

सरकार ने बताया है कि 2000 रुपए से कम के UPI लेनदेन पर GST नहीं लगाया जाएगा। UPI ट्रांजैक्शन पर GST लगाने की खबर को वित्त मंत्रालय ने गलत बताया। सिर्फ मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) पर GST लगता है, वो पहले ही खत्म किया जा चुका है। सरकार डिजिटल पेमेंट बढ़ाने के लिए कई प्रोत्साहन योजनाएं चला रही है। (आगे पढ़ें)