जब आप शेयर, क्रिप्टो या कोई भी वित्तीय उपकरण खरीदते‑बेचते हैं, तो उसका दाम दो जगह दिख सकता है – आधिकारिक एक्सचेंज और ग्रे (काली) बाजार। अगर ग्रे बाज़ार में कीमत आधिकारिक दर से अधिक हो, तो वही अतिरिक्त रकम ग्रे मार्केट प्रीमियम कहलाती है। आसान शब्दों में कहें तो, आप उसी चीज़ के लिए दो‑तीन रुपये ज्यादा दे रहे हैं.
कभी कभी ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उस एसेट की माँग तेज़ होती है और आधिकारिक सप्लाई कम रह जाती है. निवेशकों को जल्दी‑जल्दी खरीदना पड़ता है, तो कीमत बढ़ जाती है। यही कारण नहीं है कि प्रीमियम हमेशा बुरा हो – कभी‑कभी यह बाजार में उत्साह का संकेत भी देता है.
1. सीमित उपलब्धता: अगर कोई नई कंपनी अपना शेयर लिस्ट नहीं करवाती, तो लोग ऑफ‑एक्सचेंज ट्रेडिंग (OTC) पर वही शेयर ढूँढते हैं। क्योंकि कम आपूर्ति होती है, कीमत बढ़ती है.
2. अधिक मांग: किसी इवेंट या खबर से अचानक खरीदारों की संख्या बढ़े तो आधिकारिक बाजार में लिक्विडिटी नहीं रहती, इसलिए ग्रे बाज़ार में प्रीमियम बनता है.
3. नियामक बाधाएँ: कुछ देशों में विदेशी निवेश पर रोकें होती हैं। इन मामलों में स्थानीय traders हाई‑प्राइस लेकर ट्रेड करते हैं, जिससे प्रीमियम बढ़ जाता है.
4. भौगोलिक अंतर: अगर आप किसी देश से बाहर के शेयर चाहते हैं और वहाँ का एक्सचेंज बंद है, तो आपको ग्रे चैनल पर जाना पड़ता है – जहाँ दाम अक्सर अधिक होते हैं.
पहला कदम: सही जानकारी रखें। आधिकारिक कीमत, ट्रेडिंग वॉल्यूम, समाचार स्रोत – सबको ट्रैक करें. अगर प्रीमियम 10% से ऊपर जा रहा हो तो सावधानी बरतें.
दूसरा: ऑफ़लाइन या अनौपचारिक चैनलों पर भरोसा न करें। अक्सर ग्रे बाज़ार में धोखाधड़ी भी बढ़ती है. केवल विश्वसनीय ब्रोकर और एक्सचेंज का उपयोग करें.
तीसरा: वैकल्पिक विकल्प देखें. अगर किसी शेयर पर प्रीमियम बहुत ज्यादा है, तो समान कंपनी के अन्य शेयर या ETF चुन सकते हैं जो कम प्रीमियम वाले हों.
चौथा: समय का उपयोग करें. प्रीमियम अक्सर अल्पकालिक उछाल होता है. अगर आप दीर्घ‑कालीन निवेशक हैं तो इंतजार कर सकते हैं जब तक कीमत सामान्य हो जाए.
पाँचवां टिप: जोखिम को सीमित रखें. अपने पोर्टफ़ोलियो का केवल 5‑10% ही ऐसे हाई‑रिस्क एसेट में डालें. इससे अगर प्रीमियम गिरता है तो नुकसान छोटा रहेगा.
ग्रे मार्केट प्रीमियम समझना कठिन नहीं है – बस यह देखिए कि आधिकारिक कीमत से कितनी अधिक आप दे रहे हैं और क्यों. सही जानकारी, भरोसेमंद प्लेटफ़ॉर्म और सीमित जोखिम के साथ आप इस अतिरिक्त लागत को कम कर सकते हैं। भविष्य में जब भी किसी एसेट का दाम दो जगह दिखे, इन बिंदुओं को याद रखें – इससे आपका निवेश सुरक्षित रहेगा।
हुंडई मोटर इंडिया का आईपीओ 15 अक्टूबर को खुलने जा रहा है। यह पूरी तरह से 14.2 करोड़ शेयरों का ऑफर-फॉर-सेल है और कोई नई इश्यू नहीं है। आईपीओ का मूल्य बैंड 1,865-1,960 रुपये प्रति शेयर तय किया गया है। हालांकि ग्रे मार्केट में इसका प्रीमियम 90% तक गिर गया है, ब्रोकरेज हाउसेज ने इसे 'सब्सक्राइब' रेटिंग दी है। (आगे पढ़ें)