अगर आप भारत के जल संरचनाओं में रूचि रखते हैं तो भूशी डैम आपके लिस्ट में होना चाहिए। यह बाँध कर्नाटक में स्थित है, जहाँ से कई जिलों को पानी मिलता है। आजकल इस पर चर्चा का कारण सिर्फ पानी नहीं, बल्कि बिजली उत्पादन, पर्यटन और पर्यावरणीय पहलू भी हैं।
भूशी डैम 1970 के दशक में बनना शुरू हुआ था। शुरुआती मकसद सिंचाई को आसान बनाना और जल संग्रहण को बढ़ावा देना था। अब यह लगभग 70 टेरेग्राम पानी रख सकता है, जिससे कई खेतों को बार‑बार सूखा नहीं झेलना पड़ता। इसके अलावा डैम से निकलने वाली बिजली भी आसपास के गांवों में रोज़मर्रा की जरूरतें पूरी करती है।
डैम के पास एक छोटा जलाशय बना है जहाँ लोग पिकनिक और फोटोग्राफी का आनंद लेते हैं। इस जगह पर छोटे‑छोटे कैफ़े और बोटिंग साजो‑सामान भी उपलब्ध हैं, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है।
पिछले महीनों में सरकार ने भूशी डैम के विस्तार का ऐलान किया था। नया प्रोजेक्ट जल स्तर को 5 मीटर तक बढ़ाने और अतिरिक्त टर्बाइन लगाने पर केंद्रित है। इससे बिजली उत्पादन करीब 20% बढ़ेगा और बारिश के मौसम में बाढ़ नियंत्रण बेहतर होगा।
इसी दौरान पर्यावरणीय समूहों ने डैम की साइड में रहने वाले वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए एक अभयारण्य बनाने की माँग रखी है। राज्य सरकार अब इस पर विचार कर रही है और कई NGOs से मिलकर योजना तैयार कर रही है।
यदि आप पर्यटन हेतु आना चाहते हैं तो सबसे अच्छा समय अक्टूबर‑नवंबर का होता है, जब मौसम ठंडा रहता है और जलाशय की खूबसूरती अपने चरम पर होती है। यहाँ के गाइड आपको स्थानीय इतिहास, फ़्लोरिडा जैसी जलीय खेलों और बायो-डाइविंग के बारे में बता देंगे।
भूशी डैम का भविष्य साफ़ पानी, स्थायी ऊर्जा और पर्यटन से जुड़ा हुआ दिखता है। चाहे आप किसान हों, इंजीनियर या बस यात्रा प्रेमी—इस बाँध के पास कुछ न कुछ नया सीखने को मिलेगा। नवीनतम समाचारों की जाँच करते रहें और स्थानीय प्रशासन की घोषणाओं पर ध्यान दें, ताकि आप इस महत्वपूर्ण जल संरचना का पूरा फ़ायदा उठा सकें।
लोनावला के भूशी डैम जलप्रपात पर एक दर्दनाक हादसा हुआ जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई और दो बच्चे लापता हो गए। यह घटना 30 जून को लगभग 12:30 बजे घटित हुई। मरने वालों में शाहिस्ता अंसारी (36), अमीमा अंसारी (13), और उमैरा अंसारी (8) शामिल हैं। राहत-बचाव दल इन बच्चों को खोजने में जुटी है। (आगे पढ़ें)