सुल्तानपुर में जल निगम अभियंता हत्या मामला: गवाही टलने से न्याय प्रक्रिया प्रभावित
यूपी के सुल्तानपुर में जल निगम (ग्रामीण) के कार्यकारी अभियंता संतोष कुमार की हत्या को लेकर चल रही आपराधिक सुनवाई एक बार फिर से चर्चा में है। हत्या की यह वारदात अगस्त 2024 की एक रात घटी थी, जब संतोष कुमार अपने किराए के मकान पर मौजूद थे। हमलावरों ने उन्हें बेरहमी से मारकर गला दबाया, और जब तक ड्राइवर संदीप वापस लौटे, अभियंता की हालत गंभीर हो चुकी थी। पुलिस जांच में सामने आया कि संदीप को जानबूझकर किसी बहाने बाहर भेजा गया था।
इस केस में असिस्टेंट इंजीनियर अमित कुमार शाह और प्रदीप राम को मुख्य आरोपी बनाया गया है, जो अभी तक जेल में हैं। प्रकरण के केंद्र में जल जीवन मिशन से जुड़े ठेका एजेंसी पर बनी 250 पन्नों की चार्जशीट है, जिसको तैयार करने में संतोष कुमार की अहम भूमिका थी। संतोष कुमार के भाई संजय ने बाकायदा एफआईआर दर्ज करवाई, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि चार्जशीट के चलते आंतरिक रंजिश और बदले की भावना से खोज-खबर ली गई और फिर हत्या की गई।
हाल ही में अदालत में एक और महत्वपूर्ण गवाही होनी थी, लेकिन साक्षियों के न पहुंचने के चलते कार्यवाही 25 अप्रैल 2025 तक टाल दी गई। बीते सुनवाई में सरकारी गवाह चौकीदार भगौती प्रसाद की जिरह पूरी हो चुकी है, जिस पर बचाव पक्ष के वकील संतोष पांडे ने सवाल-जवाब किए। अब अदालत ने अन्य साक्षियों को अगली सुनवाई के लिए बुलाया है ताकि घटना की कड़ी जोड़ी जा सके।

जांच में फॉरेंसिक साक्ष्य, जल निगम कर्मचारियों की भूमिका और विभागीय राजनीति
पुलिस जांच के दौरान कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। घटनास्थल से निकलने वाले फॉरेंसिक सबूत, पानी में भीगे कपड़े, गला दबाने के चिह्न और कमरे की अव्यवस्था—हर चीज़ ने एक गंभीर साजिश की ओर इशारा किया। पुलिस ने जल निगम के कई कर्मचारियों से पूछताछ की और उनके बयान दर्ज किए, जिससे यह साफ हो गया कि विभाग में लंबे समय से तनाव चल रहा था।
मामले की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अभियोजन पक्ष संतोष कुमार के ड्राइवर संदीप की गवाही को खास मान रहा है, जो वारदात के वक्त मौजूद नहीं थे। उनकी ओर से दर्ज बयान और घटनास्थल की फॉरेंसिक रिपोर्ट, साथ ही अभियंता के मोबाइल व गतिविधियों की जांच ने केस की नींव मजबूत की है।
- अदालत ने गवाहों के समय से न पहुंचने पर सख्त रुख अपनाया है।
- जांच के दौरान विभागीय राजनीति व व्यक्तिगत रंजिशों की भी चर्चाएं गर्म हैं।
- प्रमुख गवाहों की कमी और साक्ष्यों की पुष्टि अभी भी लंबित है।
अब देखने वाली बात यही है कि अगली सुनवाई में कौन-कौन से गवाह सामने आते हैं और विभाग के अंदर की यह कलह किस मोड़ पर जाकर खत्म होती है। अक्सर सरकारी विभागों में आंतरिक राजनीति विवाद का कारण बनती रही है, मगर हत्याकांड तक मामला जाना हर किसी को हैरान कर गया है। वक्त ही बताएगा इस केस का आगे क्या हश्र होता है, लेकिन इस बहुचर्चित जल निगम हत्या केस की हर छोटी-बड़ी अपडेट स्थानीय लोगों से लेकर पूरे प्रदेश के अफसरों की नजर में है।