भारतीय शेयर बाजार ने 26 जनवरी 2025 को महत्वपूर्ण उछाल देखा, जिसमें सेंसेक्स 550 अंक बढ़कर 77,150 पर बंद हुआ, और निफ्टी 50 सूचकांक में 1% से अधिक की वृद्धि हुई। इस सुधार ने निवेशकों को नई उम्मीदें दी हैं, जो कि तेजी से बढ़ते वित्तीय स्टॉक्स के तहत देखी जा रही है। इस उछाल के पीछे कई कारक प्रभावी रहे, जिसमें प्रमुखता से वैश्विक बाजार की सकारात्मक संकेतों ने भूमिका निभाई। इसके साथ ही, आगामी 1 फरवरी को प्रस्तुत होने वाले अंतरिम बजट से बाजार में और उम्मीद बढ़ी है।
वित्तीय क्षेत्र के शेयरों में जबरदस्त तेजी देखी गई, जिससे निवेशकों की भावनाओं को बल मिला। प्रमुख बैंकों और वित्तीय संस्थानों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई, जो हो सकता है कि इस बाजार में बदलाव की दिशा को प्रभावित कर रहे हों। यह बढ़त वैश्विक आर्थिक संकेतकों में सुधार और घरेलू सुधार के कारण भी हो सकता है, जो कि दीर्घकालिक प्रभाव डाल सकते हैं। विशेष रूप से, वित्तीय स्टॉक्स का मजबूती के साथ प्रदर्शन करना बाजार की स्थिरता को दर्शाता है।
इस बीच, कंपनी समाचार में भी कई महत्वपूर्ण घटनाओं का उल्लेख हुआ। पेटीएम ने अपने तीसरी तिमाही के लिए घाटे में कमी की सूचना दी है, जो कि अब 208 करोड़ रुपये का है। इस अवधि में कंपनी के राजस्व में 36% की गिरावट दर्ज की गई, लेकिन लागत प्रबंधन के प्रयासों के कारण घाटा कम होता दिखाई दिया। यह संकेत देता है कि कंपनी अपने वित्तीय प्रदर्शन को सुधारने के लिए ठोस कदम उठा रही है।
अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं में, नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने गो फर्स्ट एयरवेज के लिए परिसमापन को मंजूरी दे दी है। यह कंपनी एक लंबे समय से आर्थिक संकट का सामना कर रही थी और अब इसे परिसमापन प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा। इस निर्णय का असर गो फर्स्ट एयरवेज के कर्मचारियों और संबंधित हितधारकों पर पड़ेगा, जिससे कंपनी के भविष्य को लेकर अनिश्चितता बढ़ी है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज ने भी अपनी तीसरी तिमाही रिपोर्ट पेश की, जिसमें उन्होंने अपने O2C सेगमेंट में लागत नियंत्रण पर ध्यान केंद्रित किया है। कंपनी ने संकेत दिया कि वे अपने मूल्यनिर्धारण रणनीतियों को संतुलित करने का प्रयास कर रहे हैं, जो कि लघु और दीर्घकालिक लाभ को बढ़ावा दे सकता है।
अंतरराष्ट्रीय क्षितिज पर, डोनाल्ड ट्रम्प के पुनः राष्ट्रपति बनने की खबर ने कई क्षेत्रों में हलचल मचाई है, जिसमें शेयर बाजार और H1-B वीज़ा नीति शामिल हैं। यह देखने लायक होगा कि उनके फैसले अमेरिका और अन्य देशों के रिश्तों पर क्या प्रभाव डालेंगे।
रियल एस्टेट क्षेत्र में भी विशेष रूप से लक्ज़री हाउसिंग में जबरदस्त उछाल देखा गया है। 2024 में 5 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के फ्लैटों की बिक्री में 80% की बढ़ोतरी हुई। दिल्ली-एनसीआर में तो हाउसिंग प्राइस में 30% की वृद्धि देखी गई। इस वृद्धि का असर स्थानीय और विदेशी दोनों निवेशकों पर पड़ेगा।
साथ ही, वैश्विक स्तर पर एक प्रमुख रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है कि वैश्विक अरबपतियों की संपत्ति तीन गुना तेजी से बढ़ी है। Oxfam की रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में यह वृद्धि दर कई विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकती है।
अहम व्यक्ति और घटनाएँ
तमल बंद्योपाध्याय ने साइबर धोखाधड़ी के बदलते रूप और भारत में आने वाली चुनौतियों पर विचार साझा किए। उनकी राय के अनुसार, साइबरस्पेस में हो रहे तेज बदलावों ने भारत को नए सुरक्षा खतरों के लिए तैयार किया है। यह आवश्यक है कि साइबर सुरक्षा नीतियों का निरंतर अद्यतन किया जाए और घरेलू उद्योगों को इसके लिए सशक्त किया जाए।
महाकुंभ 2025 की तैयारियों के तहत, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मोबाइल खाद्य जाँच प्रयोगशालाएँ तैनात की हैं। यह कदम सुनिश्चित करेगा कि पर्व के दौरान खाद्य की गुणवत्ता तय मानकों पर खरी उतरे।
अंत में, डोनाल्ड ट्रम्प की उद्घाटन समारोह 2025 के अवसर पर, वैश्विक और घरेलू अर्थनीतियों पर प्रभाव पड़ने का अनुमान है, जो कि व्यापार नीतियों और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को बदल सकता है।
ये बाजार का उछाल असल में बस एक टेम्पररी बूस्ट है। जब तक बजट में वास्तविक सुधार नहीं आएगा, ये सब फुलकारी है। लेकिन अच्छा है कि निवेशकों को थोड़ी उम्मीद मिल रही है।
पेटीएम का घाटा कम हुआ? अच्छा तो अब वो भी लाभ कमा रहे हैं? नहीं भाई, बस उन्होंने खर्च कम किया है, जिससे ग्राहकों की सेवा खराब हो रही है। इस तरह का ‘सुधार’ नहीं चलेगा।
ट्रम्प वापस आ गए? अब हर चीज़ बिगड़ जाएगी! अमेरिका ने हमें हमेशा धोखा दिया है, अब H1-B वीज़ा बंद हो जाएगा और हमारे युवा बेरोजगार हो जाएंगे। ये बाजार का उछाल बस एक धोखा है!
मैं इस बाजार के उछाल को देखकर सोच रही हूँ कि क्या हम वाकई सुधार की ओर बढ़ रहे हैं या फिर सिर्फ एक बड़े निवेशकों के लिए एक नया खेल शुरू हो रहा है? जब लक्ज़री हाउसिंग में 80% बढ़ोतरी हो रही है, तो आम आदमी के लिए घर बनाना असंभव हो रहा है। क्या यही हमारी अर्थव्यवस्था का लक्ष्य है? क्या हम सिर्फ अमीरों के लिए अर्थव्यवस्था बना रहे हैं? क्या हम भूल गए कि अर्थव्यवस्था का मकसद आम जनता की जिंदगी बेहतर बनाना है? जब अरबपतियों की संपत्ति तीन गुना बढ़ रही है, तो गरीबों के लिए बस एक चिकन का टुकड़ा भी एक लक्ज़री हो जाता है।
बाजार उछला 😍 लेकिन घर का बिल नहीं उछला 😭 पेटीएम घाटा कम कर रहा है? यानी अब डिलीवरी नहीं होगी या फिर ग्राहक को धोखा देंगे? ट्रम्प वापस आ गए... अब भारतीय युवा के लिए अमेरिका बंद है 🤡
रिलायंस का O2C सेगमेंट अच्छा है।
यह सब एक अत्यंत अव्यवस्थित और अनैतिक आर्थिक व्यवहार का परिणाम है। बाजार के इस उछाल को आर्थिक स्थिरता के रूप में नहीं देखा जा सकता। यह एक आर्थिक बुलबुला है, जो अपने अंतिम विनाश की ओर बढ़ रहा है।
मैंने देखा कि रिलायंस के O2C सेगमेंट में लागत कम करने के लिए उन्होंने सप्लायर चेन को री-एंजिनियर किया है और ये बहुत बड़ी बात है क्योंकि इससे लंबे समय तक लाभ मिल सकता है और ग्राहकों को भी बेहतर मूल्य मिलेगा अगर वो बेहतर गुणवत्ता वाले उत्पाद दें तो बाजार में विश्वास बढ़ेगा और ये एक सकारात्मक चक्र शुरू हो सकता है लेकिन अगर वो गुणवत्ता नहीं रखेंगे तो ये सब बेकार हो जाएगा
ट्रम्प वापस आया? ओह नो 😅 अब वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक नया एलियन इनवेशन शुरू हो गया! लेकिन अगर हम अपने डिजिटल पेमेंट और एआई इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाएंगे तो हम उनके टैरिफ़ से भी बच सकते हैं। बस थोड़ा सा इनोवेशन और बिल्कुल नहीं डरना 🤖🇮🇳
ये सब एक फेक न्यूज़ कैंपेन है... बाजार उछल रहा है? नहीं, ये सब फेडरल रिजर्व और राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों का मिले-जुले गोल्डन फैक्टर है जो लोगों को धोखा दे रहे हैं... और ट्रम्प वापस आए हैं... अब सब कुछ बदल जाएगा... बस इंतजार करो... अगले 72 घंटे में बैंक बंद हो जाएंगे...
पेटीएम का घाटा कम हुआ? ये तो बस एक फेक न्यूज़ है। वो अपने डेटा को फेक कर रहे हैं। बाजार तो बस बुलबुला है।
बाजार ऊपर गया तो अच्छा हुआ। अब बस लोगों को शेयर खरीदने चाहिए। बाकी सब बकवास है।
रिलायंस ने लागत कम की... यानी अब कर्मचारियों को तनख्वाह काट दी गई? वाह, बहुत बढ़िया बिजनेस मॉडल। सरकार को भी यही करना चाहिए। 😏
इस बाजार के उछाल को देखकर लगता है कि हम सब एक बड़े राजनीतिक खेल में फंसे हुए हैं... बाजार ऊपर जा रहा है लेकिन आम आदमी की जिंदगी नीचे जा रही है... ये सब एक बड़ा धोखा है... जो भी इसमें भाग ले रहा है, वो खुद को धोखा दे रहा है... और ट्रम्प का वापस आना? ये तो अंतिम चेतावनी है...
पेटीएम का घाटा कम हुआ? बस एक बड़ा बकवास। कंपनी ने बस खर्च कम किया है, नहीं तो लाभ नहीं हुआ। ये तो बस फेक न्यूज़ है।
ट्रम्प वापस आ गए? अब हमारे युवाओं को अमेरिका जाने का रास्ता बंद हो गया। ये तो राष्ट्रीय आत्मा पर हमला है। अब हमें अपने घर में बैठकर बाजार देखना होगा।
महाकुंभ के लिए मोबाइल फूड लैब्स तैनात करना बहुत अच्छा विचार है। भारत की संस्कृति में खाने का महत्व है, और इस तरह का ध्यान रखना जरूरी है। बहुत बढ़िया कदम।
यह बाजार की वृद्धि वास्तविक आर्थिक आधार पर आधारित नहीं है। इसमें निवेशकों की भावनात्मक प्रतिक्रियाएँ अधिक प्रभावी हैं। इसलिए, यह एक अस्थायी स्थिति है जिसका लंबे समय तक टिकना संभव नहीं है।